कौड़ी के चमत्कार
कौड़ी एक घोंघे की भांति समुंद्री जीव होता है जिसके ऊपर कठोर अस्थि का खोल लगा रहता है। यह अलग-अलग जगह पर सफेद , पीली , चितकबरी और गुलाबी रंग की पाई जाती है। समुंद्र के किनारे मछुआरे इसको बेचते हुए मिल जाएंगे। पूरे विश्व में सभी समुंद्रो के किनारे अलग-अलग प्रकार की कौड़ी मिलती है। कौड़ी के कई प्रकार के उपयोग लोग करते है। आदिवासी लोग इसके कई प्रकार के गहने बनाकर अपने शरीर पर धारण करते हैं। उनके लिये कौड़ी मुफ्त में मिलने वाली चीज है। जिससे अपने शरीर की सजावट करते है। अपने पालतू पशुओं को भी कौड़ी के गहने बनाकर सजावट के लिए पहनाते है। गाय , बैल , ऊंट आदि पालतू पशुओं को कौड़ी से सजाया जाता है। छोटे बच्चों को नजर से बचाने के लिए उसके गले में कौड़ी बांधकर रखा जाता है। आज से हजार साल पहले सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था। उस समय के भवनों , महलों , किलों आदि में अंदर का प्लास्टर कौड़ी को पीसकर उससे किया जाता था। बैल या भैंसें की मदद से पीसने वाले घट में कौड़ी को पानी और चूना मिलाकर पीसा जाता था। जब वह एकदम टेलकम पाउडर जैसा चिकना बारीक हो जाता था तब राजमिस्त्री उससे