पाम ऑयल

             


    भारत में खाद्य तेल का उत्पादन पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है अतः बाहरी देशों से आयात किया जाता है। आयात किये जाने वाले खाद्य तेलों में पाम ऑयल सबसे अधिक खरीदा जाता है। यह तेल मलेशिया, कम्बोडिया से खरीदा जाता है। पाम ऑयल हम सीधा उपयोग में नहीं लेते है। लेकिन प्रतिदिन खाने वाली कई चीजों में यह मिला होता है। वास्तविकता यह है कि हमारे दैनिक जिंदगी इसके बिना चल ही नहीं पा रही है। किसी प्रकार का जंक फूड हो, या स्ट्रीट फूड यहाँ तक कि आइसक्रीम में भी इस ऑयल का उपयोग होता है। इतना ही नहीं देश में जितने भी कुकिंग ऑयल बाजार में मिलते है उन सभी में पाम ऑयल मिलाया जाता है। विश्व में सबसे अधिक पाम ऑयल भारत ही आयात करता है। पाम ऑयल के कुल उत्पादन का 20 प्रतिशत केवल भारत उपयोग करता है।

        एक जमाना था हमारे देश में खाद्य तेलों का उत्पादन खपत के अनुसार खूब होता था। खाद्य तेल भोजन में आवश्यक होता है। जिस जगह पर जो तिलहनी फसल होती थी वही तेल खाया जाता था। जैसेः-तिल का तेल व सरसों का तेल, भारत के मैदानी राज्यों में खूब पैदा होता था और यही खाया जाता था। गुजरात व आंध्र्रप्रदेश में कॉटन सीड ऑयल अर्थात कपासिया तेल और मूंगफली तेल खाते थे। महाराष्ट्र में भी कपासिया तेल के साथ कुसुम का तेल भी खाते थे। महाराष्ट्र में भी कपासिया तेल के साथ कुसुम का तेल भी खाते थे। तटीय राज्यों में जहाँ नारियल बहुत अधिक होता है वहाँ के लोग नारियल का तेल खाद्य तेल के रूप में खाते थे। खाद्य तेल लोग अपनी आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त मात्रा में समय-समय पर घाणी से निकलवा लेते थे। हर गाँव से तेल निकालने की बैल से चलने वाली घाणीयां होती थी।

आजकल बहुत सारी खाने की चीजे फैक्ट्रियों में बन रही है। वे लोग बिस्कुट, कूकीज, आलू की चिप्स, नमकीन, कुरकुरे, सोयास्टिक आदि सभी डिब्बा बंद और पैकेट में बंद भोजन सामाग्री में पाम ऑयल का ही इस्तेमाल करते है। डिटरजेन्ट के उत्पादन और टूथपेस्ट के निर्माण में भी पाम ऑयल का उपयोग होता है। भारत में हर वर्ष 2.5 करोड टन खाने के तेल की खपत होती है। लेकिन घरेलू उत्पादन मात्र 1.11 टन ही है। बाकी तेल हमें आयात करना पड़ता है। विश्व में सबसे अधिक तेल भारत में ही खाया जाता है।

        भारत में आयात किये जाने वाले तेल में 25 प्रतिशत सोयाबीन तेल, 12 प्रतिशत सूरजमुखी का तेल और बाकी का पाम ऑयल होता है। इस तेल को अदृश्य तेल भी कहते है। क्यांकि यह किचन में तो प्रयोग होता नहीं दिखता लेकिन इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से हो रहा है। ब्रेड़, नुडल्स मिठाईयां, चॉकलेट्स और नमकीन से लेकर कॉस्मेटिक्स, साबुन डिटरजेन्ट जैसेः थ्डब्ळ उत्पाद बनाने में पाम तेल का खूब इस्त्ेमाल होता है। दुनिया का यह सबसे सस्ता तेल है।

        पाम ऑयल स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है। क्यांकि इसमें टाईग्सिरीसाइडस की मात्रा काफी अधिक होती है। यह टाईग्सिरीसाइडस हार्ट के लिए काफी हानिकारक होती है। इससे हार्ट की धमनियों में अधिक मात्रा में फेट जमा होने लगता है। जिससे हार्ट ब्लाकेज होता है। अधिक मात्रा में इसका लेवल हो जाने पर हार्ट-अटैक का खतरा बना रहता है। अतः पाम ऑयल के सेवन से बचना चाहिए। उसकी जगह तिली, सरसों, मूंगफली आदि का तेल इस्तेमाल करना चाहिए। उच्च रक्तचाप से सम्बन्धित समस्या पाम तेल से पैदा होती है। यह तेल पचाने में बहुत मुश्किल आती है इसलिए कमजोर पाचन शक्ति वालों के लिए यह जहर है।

        रिफाइन्ड तेल को प्रोसेस करने के लिए कई तरह के केमिकल काम में लिए जाते है जो नुकसानदेह होते है। इसमें हैक्सिन नाम का कैमिकल काम में लिया जाता है। जो कई प्रकार की परेशानियां करता है। लम्बे समय तक इसका इस्तेमाल करने से मोटापा, आँख से कम दिखाई देना, सिरदर्द आदि समस्याएँ हो जाती है। हैक्सिन का इस्तेमाल रिफाइन्ड तेल को प्रोसेस करने के लिए इसलिए इस्तेमाल किया जाता है जिससे बीज से अधिक तेल निकाला जा सके। फिर भी कुछ हैक्सिन तेल में बच जाता है। जिससे हमारा स्वास्थ्य काफी खराब होता है। पाम तेल से कैंसर और कोलेस्ट्रॉल का खतरा भी बढ़ जाता है। सिंगापुर में पाम ऑयल से लोगों का स्वास्थ्य इतना खराब हो गया कि सरकार ने इसकी जगह सोयाबीन का तेल इस्तेमाल करने की सलाह दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मलेशिया में पाम ऑयल के इस्तेमाल में कमी की गयी तो दिल के मरीजो की संख्या 15 प्रतिशत कम हो गयी।

        यूरोपियन फूड सिक्योरिटी असोसिएट्स का कहना है कि जब इस तेल को गर्म करके इस्तेमाल किया जाता है। तो पाम तेल से कैंसर हो सकता है। पाम तेल को गर्म करने से ग्लासिडाइल फैटी एसिड (ळम्) का निर्माण होता है। इसका इस्तेमाल करने से लोगों के शरीर में ग्लाइसोडोल का निर्माण होता है। ग्लाइसोडोल का प्रयोग जब चूहों और बिल्लियों पर किया गया तो उनके भीतर ट्यूमर पाया गया।

        पाम ऑयल से बचने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि केवल घर में बनी हुई चीजें ही खानी चाहिए। बाजार में बने हुए फॉस्ट फूड, पैक्ड फूड जैसेः- पिज्जा, बिस्कुट, कुकीज, ब्रेड चॉकलेट्स, नमकीन, नुडल्स, कुरकुरे, सोया स्टिक, आलू चिप्स आदि नहीं खानी चाहिए।

Comments

  1. नमस्ते जी, बहुत ही उत्तम जानकारी है आपके आलेख में । ऐसी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कोटि कोटि धन्यवाद ।

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  2. Informative about food oil Thank you sir

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  3. Very nice and effective information.

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