कौड़ी के चमत्कार

           


 कौड़ी एक घोंघे की भांति समुंद्री जीव होता है जिसके ऊपर कठोर अस्थि का खोल लगा रहता है। यह अलग-अलग जगह पर सफेद, पीली, चितकबरी और गुलाबी रंग की पाई जाती है। समुंद्र के किनारे मछुआरे इसको बेचते हुए मिल जाएंगे। पूरे विश्व में सभी समुंद्रो के किनारे अलग-अलग प्रकार की कौड़ी मिलती है। कौड़ी के कई प्रकार के उपयोग लोग करते है।

        आदिवासी लोग इसके कई प्रकार के गहने बनाकर अपने शरीर पर धारण करते हैं। उनके लिये कौड़ी मुफ्त में मिलने वाली चीज है। जिससे अपने शरीर की सजावट करते है। अपने पालतू पशुओं को भी कौड़ी के गहने बनाकर सजावट के लिए पहनाते है। गाय, बैल, ऊंट आदि पालतू पशुओं को कौड़ी से सजाया जाता है। छोटे बच्चों को नजर से बचाने के लिए उसके गले में कौड़ी बांधकर रखा जाता है।

        आज से हजार साल पहले सीमेंट का आविष्कार नहीं हुआ था। उस समय के भवनों, महलों, किलों आदि में अंदर का प्लास्टर कौड़ी को पीसकर उससे किया जाता था। बैल या भैंसें की मदद से पीसने वाले घट में कौड़ी को पानी और चूना मिलाकर पीसा जाता था। जब वह एकदम टेलकम पाउडर जैसा चिकना बारीक हो जाता था तब राजमिस्त्री उससे प्लास्टर करते थे। आज भी पुराने भवनों में कौड़ी का प्लास्टर देखने को मिल जाता है। जिसकी चमक अभी भी वैसी ही लगती है।

        कौड़ी की भस्म बनाकर आयुर्वेद में काम ली जाती है। इसको संस्कृत में कर्पदक भस्म कहते है। इसका उपयोग पाचन तंत्र के विकारों को ठीक करने में किया जाता है। इसकी तासीर गर्म होती है। अम्ल पित में इसका विशेष योग बनाकर दिया जाता है। मंदाग्नि, ग्रहणी आदि रोगों में भी इसके योग बनते है। अजीर्ण, पेट का भारीपन, एसिडिटी, नेत्र रोग, टी.बी. आदि रोगों में इसका उपयोग वैद्य लोग करते आ रहे है। जी मचलने और खट्टी डकारों के साथ उल्टी आती हो तो इसको औषधि के रूप में दिया जाता है। कौड़ी की भस्म सांस रोग में मक्खन के साथ दी जाती है। इससे पेट में गैस के गोले बनना और पेट का दर्द होना आदि भी ठीक होता है। इसका सेवन वैद्य की सलाह से ही किया जाना चाहिए। कौड़ी की भस्म बनाने की आयुर्वेद में विधी दी गई है। इसको शुद्ध करके ही अनुभवी वैद्य इसकी भस्म बनाते है। आयुर्वेदिक औषधि बनाने वाली विभिन्न कम्पनीयां कौड़ी भस्म बनाती है।

        कौड़ी का उपयोग ज्योतिष, वास्तु और तांत्रिक क्रियाओं में भी किया जाता है। पीली कौड़ी को माता लक्ष्मी की मूर्ति के सामने रखकर पूजा करनी चाहिए। इससे आर्थिक तंगी दूर होती है। ग्यारह कौड़ीयाँ लेकर एक लाल कपड़े में बांधकर अपने घर के मुख्य द्वार पर लटकाने से नकारात्त्मक ऊर्जा दूर रहती है और घर में सुख समृद्धि का वास होता है। परिवार के सदस्यों को बुरी नजर से बचाने के लिए एक पीले रंग की कौड़ी को ताबीज में बांधकर उन्हें पहना दें। इससे बुरी नजर से बचाव होगा। शुक्रवार के दिन सफेद रंग की ग्यारह कौड़ी लेकर उन्हें केसर और हल्दी में भिगोकर लाल कपड़े में बांधकर उस पोटली को तिजोरी में रख दें ऐसा करने से धन संबंधी समस्याओं का सामना नहीं करना पडे़गा।

        हिन्दु धर्म में कौड़ी को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। लक्ष्मी की पूजा करते समय पूजन सामग्री में कौड़ी अवश्य रखें। लक्ष्मी की उत्त्पति और कौड़ी की उत्त्पति भी समुंद्र से हुई है। शास्त्रों के अनुसार कौड़ी धन को आकर्षित करती है। जिस घर में कौड़ी की पूजा होती है ऐसी मान्यता है कि वहाँ सदैव लक्ष्मी जी विराजमान रहती है और कभी अन्न धन की कमी नहीं रहती। पीली कौड़ी को शुक्रवार के दिन अपने पर्स में रखने से आपके पास धन की कभी कमी नहीं रहेगी। बच्चों के कमर में काला धागा बांधकर भी कौड़ी पहनाने से उन्हें नजर नहीं लगती। सावन के महीने में गहरा पीले रंग की कौड़ीयों को कपड़े में बांधकर घर की उत्तर दिशा में छुपाकर रखने से कुबेर मालामाल कर देते है। इस प्रकार कौड़ी के कई प्रयोग ज्योतिषशास्त्र, तंत्रशास्त्र और वास्तुशास्त्र में विस्तार से दिये गये है। जिनके भाग्य में लिखा होता है उनको ये प्रयोग फलदायी होते है।

Comments

  1. कौड़ी के बारे में इतनी अच्छी जानकारी पढ़कर बहुत अच्छा लगा, इस पेज पर नित्य नई जानकारी मिलती रहती है जिससे ज्ञान में निरंतर वृद्धि होती रहती है

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  2. आपके ब्लॉग से धर्म संस्कृति का सहजता से ज्ञान प्राप्त हो जाता है

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  3. Good to know and well explained

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  4. Good for knowledge 👍

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  5. Detailed very useful information

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  6. Dhanyawad, shubh kamnaye.

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  7. I appreciate after reading your blog/ nat mastak vandan and pranam

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  8. बहुत अच्छा ब्लॉग सर,आपके सभी ब्लॉग बहुत ही अच्छे रहते जिनमे पौराणिक और आधुनिक दोनों प्रकार की जानकारी समाहित रहती है|
    Thankyou so much sir🙏

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