इंजीनियर ने मिट्टी से बनाया सोना
अजमेर के रहने वाले शोभित सोनी इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई करने के बाद भी अपने जॉब से प्रसन्न नहीं थे। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद शोभित पूना जाकर इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए किया। उनके मन में बार-बार विचार आता था कि कुछ सस्टेनेबल और मुनाफे वाला खुद का व्यापार शुरू करें जिससे पर्यावरण भी शुद्ध रहे और आत्मिक शांति भी मिले।
सड़क के किनारे चाय की दुकान पर काँच की गिलास में चाय पीते
समय उनको अच्छा और हाइजेनिक नहीं लगा। तुरंत उनके मन में आया कि काँच, पेपर या प्लास्टिक के कप
की तुलना में कुल्हड़ में चाय पीना ज्यादा हाइजेनिक और सस्टेनेबल विकल्प है। कुल्हड़
में चाय पीने वाले लोग चाय के लिये अधिक पैसा भी चुकाने को तैयार हैं क्योंकि
स्वास्थ्य सर्वोपरि होता है।
कुल्हड़ बनाने और
बेचने का काम प्रजापति लोग करते है। जो एक असंगठित बाजार है। उन्होनें अजमेर व
उसके आसपास के मिट्टी से कुल्हड़ बनाने वाले परिवारों से संपर्क करके पता किया, इस व्यापार में उन्हें
कोई विशेष लाभ नहीं होता है। उन्होनें 50 लाख रूपये लगाकर अजमेर में कुल्हड़ बनाने की फैक्ट्री लगाई।
उनको कुल्हड़ बनाने का कोई आइडिया नहीं था। मिट्टी के बर्तन बनाना एक आर्ट है। इस
काम के लिये सही लोगों को चुनने में समय लगता है। कुछ महीनों बाद शोभित को सही लोग
मिल गये जो प्रजापति बिरादरी के थे। प्रतिदिन दस हजार कुल्हड़ बनना शुरू हो गया।
धीरे-धीरे उत्पादन और मांग बढ़ती गई। शोभित का उत्साह बढ़ने लगा व टर्नओवर भी तेजी
से बढ़ने लगा।
शोभित का आत्मबल बढ़ने
लगा। उसने सोचा कि मिट्टी का काम करने वाला कारीगर पचास लाख रूपये निवेश करके
कुल्हड़ बनाने का काम शुरू नहीं कर सकता। अतः उसने कुल्हड़ बनाने की एक छोटी मशीन
डेवलप की। शोभित ने उस मशीन को ऑपरेट करने की अपने यहाँ काम करने वाले कारीगरों को
और अन्य मिट्टी का काम करने वाले कारीगरों को मशीन से कुल्हड़ बनाने की ट्रेनिंग
शुरू की। काम सीखने के बाद शोभित उनको वह मशीन दे देता और कुल्हड़ बनाकर उनसे पूरा
माल उचित दाम पर खरीद लेता। इंजीनियर का दिमाग काम आया और शोभित ने इस मशीन के कई
मॉडल भी विकसित किये। हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार उनमें से कोई भी मॉडल खरीद
सकता है।
शोभित के पास कई कारीगर अपना उत्पादन लेकर आने
लगे। इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए की पढ़ाई अब उसके काम आ रही है। वह मिट्टी के
कुल्हड़ को बडे़ शहरों और अंतराष्ट्रीय बाजार में ऑनलाईन मार्केटिंग के द्वारा
पहुंचा सका। अपनी कम्पनी की आकर्षक वेबसाइड बना कर उसका खूब प्रचार-प्रसार किया।
सोशल मीडिया पर हर समय एक्टिव रहता है। निर्यात व घरेलू मार्केट में उसने अपनी पकड़
मजबूत कर दी। उसका टर्नओवर बढ़ता गया। इस समय अपने कुल्हड़ के बिजनेस से शोभित सोनी
सालाना 2.76 करोड़ रूपये का
टर्नआवर कर रहे है। उनका कहना है कि मिट्टी का कुल्हड़, ग्लास या प्लास्टिक किसी
भी कप से ज्यादा हाइजेनिक है। यह लोगों की रोजगार तो देता ही है साथ ही लोगों के
स्वास्थ्य की भी रक्षा करता है। मिट्टी का कुल्हड़ प्रयोग करने के बाद वापस मिट्टी
में मिल जाता है। किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैलाता है। इस ईकोफ्रेण्डली कुल्हड़
का महत्त्व पूरी दुनिया समझने लगी है।
Eco-friendly is Important for everyone we also use deeya in every dipawali you gave good knowledge thank you sir
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