हरित रेगिस्तान

        


 राजस्थान सरकार ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश को 20 प्रतिशत वन से आछादित करना होगा। इस हेतु इस वर्ष 2023-24 में पूरे प्रांत के 50 जिलों में 80 हजार हेक्टेयर में वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया गया। जिसके लिए 5 करोड़ पौधे वन-विभाग की नर्सरियों से वितरित किए जा रहे हैं। इस महत्ती योजना को क्रियान्वित करने के लिए छः माह तक की आयु का पौधा 9 रू. प्रति पौधा और बारह माह का पौधा 15 रू. प्रति पौधा से दिए जा रहे हैं। जो लागत मूल्य से भी कम है। 10 पौधे तक व्यक्तिगत लेने वाले को मात्र 2 रू. प्रति पौधा उपलब्ध कराया जा रहा है। राजकीय उपक्रमों और गैर-सरकारी संगठनों को 50 हजार से 2 लाख पौधों के लेने पर 50 प्रतिशत तक छूट दी जायेगी एवं 2 लाख से अधिक पौधे लेने पर 75 प्रतिशत की छूट दी जायेगी। इतना ही नहीं पौधां का आर्डर और भुगतान ऑनलाइन करने की सुविधा दी गई हैं।

               राज्य सरकार की ‘‘ट्री आउट साइड फोरेस्ट स्कीम‘‘ को सफल बनाने के लिए वन विभाग कमरकस कर तैयार खड़ा है। पर्यावरण को बेहतर बनाने, आम जनता को क्लाइमेट चैंज के प्रति जागरूक करने एवं जनमानस का जीवनस्तर सुधारने के लिए यह स्कीम अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रदेश के जन प्रतिनिधि, स्वंयसेवी संस्थाए, युवा, सेल्फ हेल्प ग्रुप, महिला मण्डल एवं विधार्थी इस काम को सफल बनाने में रूचि ले रहे है।

               इस वर्ष औसत से अधिक वर्षा होना अच्छा संकेत हैं। जिस वर्ष अच्छी बारिश लम्बे समय तक होती है उस वर्ष वृक्षारोपण की सफलता बढ़ जाती है। इस वर्ष मई से चक्रवाती बरसात शुरू हो गयी थी। जो जून तक अर्थात् दो महीना लम्बे समय तक चक्रवाती बरसात होती रही हैं। जुलाई में मानसून आया। जो भी वृक्षारोपण किया गया वह सफल रहा है। अब आवश्यकता है, उन पेड़ो की सुरक्षा एवं देखभाल की जिसके लिए विभिन्न स्टोक होल्डर्स ने जिम्मेवारियाँ ले रखी हैं। अतः उम्मीद है कि इस वर्ष का वृक्षारोपण अन्य वर्षा की अपेक्षा अधिक सफल होगा। अधिक बरसात होने के कारण तालाब, नाली, नदी-नाले और बांध सजल हो गये है। वृक्षारोपण को सफल करने में यह पानी जीवनदान देगा।

               अधिक पानी बरसने से वन क्षेत्र का क्षेत्रफल बढ़ाने में आसानी रहती हैं। जितना वन क्षेत्र बढ़ेगा उतना वर्षा का औसत भी बढ़ता हैं। अतः राजस्थान को वन से आच्छादित करने का सपना साकार होगा। राजस्थान के वन-विभाग ने यह निर्णय लिया है कि रेगिस्तान के स्थानीय पेड़ो की ही नर्सरी बड़ी मात्रा मे लगाई जायें क्योंकि उन पेड़ों को लगने और पनपने में यहाँ कि जलवायु उन पेड़ों के लिए अनुकुल है। कठिन परिस्थितियों में भी आसानी से पनप सकने वाले पौधे लगाए जाने का निर्णय लिया गया। जैसेः- मीठा जाल, खारा जाल, बोरड़ी, नीम, करंज, खेजड़ी कुमठ कैर, कंकेड़ा, देशी बबुल, सहजन, पीपल, बरगद, गुलर रोहिड़ा आदि। इस वर्ष फलदार पौधो में भी कई प्र्रजातियाँ लगायी जा रही हैं। जिससे बच्चों को फल मिल सके और पक्षियों को भी भोजन मिल सके जैसे अनार, जामुन, बेर, नींबू, आम आदि।

        राजस्थान का राज्य वृक्ष खेजड़ी और राज्य का फूल रोहिड़ा के पेड़ भी लगाने के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। पूर्वी राजस्थान में बहेड़ा, हरड़, रीठा, आवंला, महुआ आदि औषधीय पेड़ों को भी बड़ी मात्रा में लगाना शुरू किया है। सरकार के साथ-साथ नागरिकों में भी वृक्षारोपण की रूचि उत्तरोतर बढ़ती जा रही हैं। पर्यावरण संरक्षण में जन चेतना का विकास हुआ है। पेड़ लगाने के साथ-साथ पेड़ों के रख रखाव की भी जिम्मेवारी लोग ले रहे हैं। विशेषकर स्कूल के विद्यार्थी व अध्यापकों के द्वारा यह कार्य बखूबी किया जा रहा हैं। इस पुनीत कार्य में लगे सभी स्टेक होल्डर्स को शत्शत् प्रणाम।

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