अश्वगंधा

          


 जड़ी बूटीयों की महारानी अर्थात् क्वीन ऑफ हर्बस जिनसेंग (Ginseng) को कहते है और अश्वगंधा को भारतीय जिनसेंग कहते है। कोरोना काल के बाद से अश्वगंधा का चमत्कार सबने देख लिया है। अश्वगंधा में इम्यूनिटी बढ़ाने की बहुत ताकत होती है। आयुर्वेद में शक्तिवर्धक, धातुवर्धक, मानसिक रोगों आदि में अश्वगंधा का बहुतायत से उपयोग होता है। प्राकृतिक रूप से बहुत पहले यह नागौर में उपलब्ध होती थी। अतः इसको नागौरी अश्वगंधा के नाम से भी लम्बे समय से जाना जाता है। आजकल इसकी बड़े पैमानें पर खेती राजस्थान के पूर्वी जिलों और मध्यप्रदेश के पश्चिमी जिलों में हो रही है। इसका निर्यात भी बड़ी मात्रा में हो रहा है। राजस्थान में रामगंज मंड़ी और मध्यप्रदेश में नीमच मंडी इसकी बड़ी मण्डियाँ है। यहाँ किसान अपना माल ले जाकर बेचते है और यहाँ के व्यापारी सभी दवा बनाने वाली कम्पनीयों को और निर्यातकों को अश्वगंधा का माल बेचते है। इन दिनों मण्डियों में व्यापारियों ने अश्वगंधा को प्रोसेस करने के लिए जैसेः- क्लीनिंग, शोर्टिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग आदि के लिये मशीने लगा रखी है।

            अश्वगंधा का उपयोग व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से अधिक ऊर्जा प्रदान करने के लिये किया जाता है। भारत के पुराने आयुर्वेद के ग्रंथो में इसका वर्णन किया गया है। अश्वगंधा पुरूष और महिला दोनों के लिये उपयोगी है। छोटे बच्चों जो कुपोषण के कारण दुर्बल होते जाते है। उन बच्चों को भी आधा ग्राम अश्वगंधा सर्दियों में दूध के साथ देते है। अश्वगंधा को गोली बनाकर पाउडर बनाकर भी काम में लिया जाता है। इसका अश्वगंधारिष्ट भी बनता है। मानसिक और शारीरिक बल बढ़ाने के लिये जितनी भी औषधियाँ बनती है उसमें अश्वगंधा का उपयोग होता ही है। अश्वगंधा का उपयोग केवल बीमारी ठीक करने के लिए नहीं अपितु सदैव स्वस्थ रहे, इसके लिए भी किया जाता है। डिप्रेशन व अनिद्रा की बीमारी में अश्वगंधा रामबाण औषधि है। शारीरिक रूप से निर्बल लोगों के लिये यह वजन में बढ़ोतरी करती है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है।

            आधुनिक चिकित्सा पद्धति में अश्वगंधा का ऐक्सट्रेक्ट निकाल कर इसके कैप्सूल बनाये जाते है। जो पूरे विश्व में धड़ल्ले से बिक रहे है। अश्वगंधा जोड़ो के दर्द और गठिया में बहुत अच्छा काम करता है। वात रोगों में उसका उपयोग किया जाता है। आजकल कई कम्पनीयां हर्बल टी के नाम से अश्वगंधा टी बाजार में बेच रही है। अश्वगंधा के कई प्रोड्क्ट जो एनर्जी फूड के नाम से बनाये जाते है। बाजार में खूब बिक रहे है। च्यवनप्राश में अश्वगंधा मुख्यरूप से डाली जाती है।

            बाजार में अश्वगंधा चूर्ण, अश्वगंधा टेबलेट और अश्वगंधा कैप्सूल मिल रहे है। इनको शहद या दूध के साथ लिया जाता है। विभिन्न प्रकार के यौन रोगों में अश्वगंधा का उपयोग किया जाता है। अश्वगंधा से पुरूषों की नसों और स्नायुसंस्थान बेहतर बनता है। इसके सेवन से तनाव और चंचलता दूर होती है। अश्वगंधा का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सक की परामर्श से ही करना चाहिए।

Comments

  1. अश्वगंधा के बारे में आप द्वारा दी जानकारी ज्ञानवर्धक है। धन्यवाद,

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bilkul sahi likha hai aap ne
      We are big supplyers of Ashwagandha n all Ayurvedic Raw materials last 60 years in India.

      Delete

Post a Comment

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे