जय हो बाजरी की
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष के रूप में घोषित किया है। मोटे अनाजों में बाजरा सबसे अधिक पैदा होता है और खाया भी जाता है। बाजरा में भरपूर पौष्टिक तत्त्व होते है। राजस्थान में तो कई जिलो में ग्रामीणों द्वारा वर्ष पर्यन्त बाजरा ही मुख्य भोजन के रूप में खाया जाता है। बाजरी का फ्लेक्स बनाकर स्वादिष्ट पोहा भी बनाया जाता है। जो चावल के पोहे से भी ज्यादा पौष्टिक होता है। बाजरा ग्लूटेन मुक्त फाइबर होता है, जो डायबिटिज और हृदयरोगियों के लिए लाभदायक रहता है। संयोग है कि रेगिस्तान में जहाँ बाजरा होता है, वहाँ मूंग भी प्रचुर मात्रा में बोया जाता है। मूंग की दाल के साथ बाजरे का सोगरा खाने से शरीर की प्रोटीन की प्रतिदिन की आवश्यकता पूरी हो जाती है। बाजरी और मूंग की दाल खाने से मोटापा, डायबिटिज, हृदयरोग आदि दूर रहते है।
रेगिस्तान में दीपावली के पहले ही बाजरा और तिल
की फसल पककर तैयार हो जाती है। घाणी से तिल का तेल निकलवाकर उस तेल को यहाँ के लोग
उपयोग में लाते है। बाजरी का गर्म-गर्म सोगरा तिल के तेल में चूरकर गुड़ मिलाकर
सर्दियों में खाया जाता है। जो अत्यधिक पोषक तत्त्वों से भरपूर होता है। बाजरी का
खींचड़ा बनाते समय पाँच-पाँच प्रतिशत मूंग और मोठ की दाल भी मिक्स की जाती है।
खींचडे़ के साथ-साथ पककर ये दाल अति स्वादिष्ट लगती है, जिसमें तिल का तेल मिलाकर खाया जाता है। गाय का घी भी
मिलाकर खाया जाता हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी पिछले दिनों
अमेरिका गये थे। वहाँ पर व्हाईट हाऊस का जो भोज उनके स्वागत में दिया गया था,
उसमें विशेष रूप से बाजरी के कई व्यंजन बनाकर
परोसे गये थे। इतना ही नहीं आने वाले सितम्बर महीने में नई दिल्ली में जी-20 देशां का सम्मेलन होने जा रहा हैं। सारी
बड़ी-बड़ी होटले इस सम्मेलन में आने वाले मेहमानां के लिए बुक हो चुकी है। उनके
नाश्ता और खाने-पीने के मैन्यू भी नये रूप से तय हो रहे हैं। उसमें भी बाजरी के
विभिन्न व्यंजनों को सम्मिलित किया गया है।
काजरी
जोधपुर में बाजरी के कृषिकरण के लिए कई प्र्रकार के शोध कार्य चल रहे है। बाजरी के
पोषक तत्त्वों पर भी शोधकार्य काजरी में हो रहा है। परंपरागत रूप से बाजरी का
खींचड़ा, सोगरा, राबड़ी आदि व्यंजन राजस्थान में खाये जाते है।
काजरी द्वारा बाजरी के बिस्कुट, नानकताई, लड्डू और कुकीज बनाकर भी किसान मेलों में
प्रदर्शित किये। इनको खाकर तत्कालीन राजस्थान के कृषि मंत्री श्री हरजीराम बुरकड़
ने काजरी के वैज्ञानिकों की बहुत तारीफ की और कहा कि बाजरी के ऐसे प्रोड्क्ट बाजार
में उपलब्ध कराये जाये। इन प्रोड्क्ट को बनाने का प्रशिक्षण किसानों को नियमित
दिया जाना चाहिए।
गेहूँ के खाखरे बनाकर खाने की प्रथा राजस्थान
और गुजरात में लम्बे समय से है। जिसे नाश्ते के रूप में लोग खाते है। खाखरे एक बार
बनाकर रखने के बाद तीन से चार महीनों तक इनका उपयोग कर सकते है। स्वाद के अनुसार
खाखरे में कई फ्लेवर बनते है।
रेगिस्तान के रेतीले धोरो में जहाँ बाजरी होती
है वहाँ मोंठ का उत्पादन बहुत होता है। बीकानेरी भुजिया मांठ का ही बनता है। जो
विश्व प्रसिद्व है। मोंठ का खाखरा भी ग्रामीण इलाकों में खूब बनाया जाता हैं। यह
भी कई दिनों तक खराब नहीं होता है। मांठ प्रोटीन का बहुत अच्छा स्त्रोत है। दलहनी
फसल होने के कारण जिस खेत में मांठ बोया जाता है, मांठ की फसल वातावरण से नाइट्रोजन लेकर खेत में देती हैं।
अधिकतर मोंठ मिश्रित खेती के रूप में बोया जाता है। बाजरी व तिल की फसलों में 10-15 प्रतिशत मोंठ का बीज मिश्रित बोया जाता है।
मुख्य फसल बाजरी और तिल तो ऊपर बढ़ जाते है और मांठ जमीन पर फैलता है। मोंठ का पौधा
मुख्य फसलों के लिए मल्चिंग का काम करता है। यदि बरसात कम भी होती हैं तो मोठ की
फसल के कारण मुख्य फसल को नमी मिलती रहती है तथा नाइटा्रेजन भी मिलता रहता है।
मांठ की मिश्रित खेती करने से मुख्य फसल का उत्पादन 25-30 प्रतिशत बढ़ जाता है और खेत की उर्वरा शक्ति में भी बढ़ोतरी
होती है। मिश्रित खेती रेगिस्तान की हजारों साल पुरानी ट्रेडिशनल टेक्नोलोजी है।
इन दिनों काजरी जोधपुर के वैज्ञानिकों ने बाजरी
के खाखरे बनाने की शुरूआत करके किसानों को प्रशिक्षण देना शुरू किया है। बाजरे के
खाखरे को 3-6 महीने तक रख सकते है। 100 ग्राम खाखरे में 12.6 ग्राम प्रोटीन, 8.6 ग्राम कार्बोहाइड्रेड के साथ-साथ 378 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। अतिरिक्त वसा नहीं होने के कारण यह
बच्चों के लिए काफी उपयोगी है। इसका कुरकुरापन बच्चों को बहुत पसन्द आता है। इसको
खाने से दांत मजबूत रहते है। काजरी के द्वारा सात अलग-अलग फ्लेवर में खाखरे बनाये
गये है। जैसेः मेगी मसाला खाखरा, कसूरी मेथी खाखरा,
पुदीना खाखरा, चाट मसाला खाखरा, पावभाजी मसाला खाखरा, तिल खाखरा और
जीरा खाखरा आदि। जिन्हें ब्रेकफास्ट के रूप में खाया जाता है।
व्यावसायिक रूप से इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन करके निर्यात भी संभव है। एक
शोध के अनुसार 100 ग्राम बाजरी में
एनर्जी 360 कैलोरी, प्रोटीन, 12 ग्राम कैल्सियम, 42 मिलीग्राम, फॉस्फोरस 242 मिलीग्राम एवं आयरन 8 मिलीग्राम पोषक तत्त्व पाये जाते है। विभिन्न रोगों से
लड़ने की रोगप्रतिरोधक क्षमता बाजरी के खाने से शरीर में बनती है। बाजरी एक ताकतवर
खाद्यान्न है। परिश्रम करने वाले लोगां के लिए इससे अच्छी कोई डाइट नहीं होती हैं।
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