जूते पहनकर घर में आना गंदी आदत
अमेरिका में अभी यह रिसर्च हुई है कि जूते पहनकर घरों में आने से बीमारियाँ बढ़ती है। यह खबर छपने के बाद से अमेरिका में कुछ लोग सर्तक हो गये है। वे अपने जूते और मोजे घर से बाहर उतारकर पैरों को धोकर ही घर में प्रवेश करते है। इस रिवाज का प्रचार-प्रसार कई स्वंय सेवी संगठन और हेल्थवर्कर कर रहे है। इसका प्रभाव नई पीढ़ी में भी देखने को मिल रहा है। अमेरिका में काम करने वाले अनेक हिन्दु संगठन और संत महात्मा इस बात का प्रचार कर रहे है। परिणामतः बहुत बड़ा वर्ग अब जूते घर के बाहर ही उतारकर अन्दर जाते है। जहाँ जूते उतारे जाते है वहाँ पर बैठकर जूते पहनने की और पैर धोने की व्यवस्था कई घरों में होने लगी है।
भारत के सनातन नियमों में जूता उतारकर ही घर और
मन्दिर में प्रवेश होता है। आजकल कुछ अतिआधुनिक और पढ़े लिखे लोगों में एक बुरी आदत
घर करती जा रही है और वे जूते पहनकर पूरे घर में तो घूमते ही है, साथ ही रसोईघर में भी
बेधड़क आते जाते है। टेबल कुर्सी पर खाना खाते समय जूते नहीं उतारते। आजकल सामूहिक
भोजन भी बफे सिस्टम से चल रहा है। जिसमें जूते उतारने का कोई श्रम नहीं करता है।
यह एक बुरी चीज जो स्वास्थ्य के लिये भी हानिकारक है। यह रिवाज हमारे समाज में
बेधड़क फैल रही है।
कई शोध के बाद यह बात सामने आई है कि एक जूता घर
के अन्दर चार लाख से अधिक बैक्टीरिया लाता है। आगे चलकर बैक्टिरिया के द्वारा कई
खतरनाक बीमारियाँ फैलती है। कई प्रकार के
केमिकल बाहर घुमने से आपके जूते के संपर्क में आ जाते है। जो जूतों के साथ
आपके घर के अन्दर आ सकते है। यह केमिकल जूतों के साथ घर में आकर हवा में फैलेगा और
सांस के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करेगा। इससे बीमारियाँ आती है। बाहर से
जूता पहनकर आने से उसमें कई प्रकार की गंदगी मिट्टी आदि घर में आ जाती है। जिसे साफ
करने में बार-बार आपका समय खर्च होता है। घर में बिछी हुई कार्पेट जूतों से गंदी
हो जाती है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार भी जूते पहनकर घर में
आना ठीक नहीं है। आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ, पारिवारिक समस्याएँ आदि समस्याएँ आती है। अपने
घर के भण्डार गृह में भूलकर भी जूते पहनकर नहीं जाए। ऐसा करने से भण्डार में अन्न
धन की कमी होती है। जहाँ आपकी तिजोरी रखी हो वहाँ पर भी जूते चप्पल पहनकर नहीं
जाये। यदि आप जाते है तो धन की देवी माता लक्ष्मी आपसे नाराज हो जाएगी और घर में
धन की कमी होने लगेगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने घर की रसोई में जूते
चप्पल पहनकर कभी नहीं जाना चाहिए। रसोई घर में माता अन्नपूर्णा का निवास होता है।
ऐसा करने से अन्नपूर्णा माता नाराज हो जाती है और कई प्रकार की परेशानियाँ आने
लगती है। मन्दिर को भगवान का घर कहा जाता है। वहाँ पर जूते चप्पल पहनकर जाने से
भगवान नाराज हो जाते है।
घर के बाहर जूते चप्पल
उतारने की अलमारी उत्तर पश्चिम दिशा में होनी चाहिए। अपने बेडरूम में बिस्तर के
नीचे जूते चप्पल नहीं रखने चाहिए। अपने बेडरूम में बिस्तर के नीचे जूते चप्पल नहीं
रखने चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नि के रिश्ते में तनाव की स्थिति पैदा होती है और
आपके स्वास्थ्य की समस्या भी बनेगी। घर के बाहर जूते चप्पल इधर-उधर बिखरे नहीं
होने चाहिए। पुराने और टुटे-फूटे जूते और चप्पल घर में नकारात्त्मक ऊर्जा बनाते
है। अतः इनको घर में नहीं रखना चाहिए। रोजाना इस्तेमाल होने वाले जूतों को पश्चिम
दिशा की तरफ रखना चाहिए पूर्व दिशा की तरफ जूते चप्पल की अलमारी कभी नहीं बनानी
चाहिए। कभी भी दूसरों के जूते और चप्पल का इस्तेमाल नहीं करना चाहिये। इस प्रकार
जूता के बारे में ध्यान रखकर जहाँ जूता नहीं पहनना है, वहाँ पर नहीं पहनाना
चाहिये। आजकल विभिन्न समारोह में शुरू करने के लिये द्वीप प्रज्वलित करने की
परिपाटी है। इस कार्य के लिये कई सज्जनों को स्टेज पर बुलाया जाता है। उस समय भी
जूते चप्पल उतारकर ही द्वीप प्रज्वलित करना चाहिए। किसी को अभिवादन करना हो, मार्ल्यापण करना हो, प्रणाम करना हो या
चरण-स्पर्श करने हो ऐसे समय में जूते चप्पल उतार देने चाहिये। आजकल अधिक पढ़े लिखे
लोग इस बात का ध्यान रखते ही नहीं है। जूते चप्पल कहाँ-कहाँ नहीं पहनने चाहिए इसका
ज्ञान और संस्कार घर के बच्चां को बचपन से ही देना जरूरी है। इस प्रकार जूते चप्पल
से सम्बन्धित हमारे धर्म में बताई गई बाते आज के परिपेक्ष में खरी उतर रही है।
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