अमूल्य आभूषण : मितव्यता
मध्यमवर्गीय और उच्चवर्ग के परिवारों में घर खर्च इतना बढ़ गया हैं कि उनकी कमाई से पूरा नहीं पड़ रहा हैं। घर में पति पत्नी दोनों नौकरी करते हो या व्यापार करते हैं और बच्चे भी एक या दो ही है तब भी उन्हें छोटी - छोटी आवश्यकताओं के लिए ऋण लेना पड़ता हैं। समान बेचने वाली कम्पनियां विभिन्न प्रकार की समान उधार बेचने की आकर्षक योजनाएँ प्रचारित करती रहती हैं। कई बार जेब में पैसा नहीं और कम्पनी की स्कीम का लालच देखकर जिस वस्तु की आवश्यकता नहीं हैं , उसे भी EMI पर खरीद कर घर ले आते हैं। परिणाम यह होता हैं कि उनको मिलने वाले मासिक वेतन में EMI की कटौती होकर ही बाकि पैसे उनके खाते में जमा होते हैं। इस प्रकार हर महीने एक से एक आकर्षक योजनाएँ कम्पनीयाँ निकालती रहती हैं और व्यक्ति अनावश्यक चीजों को घर में भरता रहता हैं। एक समय ऐसा आता हैं कि उसके घर में फालतू सामान की भीड़ लग जाती हैं। जिसका उपयोग वह वर्ष में दो - चार बार ही करता हैं। वह