अपराजिता/विष्णुकांता की ब्लू टी

                


 विष्णुकांता की लता पूरे भारतवर्ष में पाई जाती है जिसके ऊपर नीले रंग के अति सुंदर पुष्प वर्ष पर्यन्त आते रहते है। इन फूलों को तोड़कर छाया में सुखाकर डिब्बों में बंद करके रख लिया जाता है। एक कप चाय बनाने के लिए गर्म पानी में 4-5 सूखे हुए फूलों को मसलकर ड़ाल देते है जिससे इस गर्म पानी का रंग नीला हो जाता है। इसी को गर्म-गर्म पीया जाता है। पूरे दक्षिण एशिया से इसके फूलों का निर्यात यूरोप और अमेरिकी देशों में ब्लू टी के नाम से किया जाता है।

                ब्लू टी हृदय रोग व मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करती है। इसके साथ ही ब्लू टी कैंसर और डायबिटीज में भी फायदा करती है। ब्लू टी में एंटीऑक्सीडेंट विशेषकर एंथोसायनिन तत्व प्रचूर मात्रा में होते है। वैज्ञानिकों के अनुसार ब्लू टी से शरीर में सूजन की कमी आती है। आयुर्वेद के अनुसार ब्लू टी ठण्डक देने वाली होती है। पित्त प्रवृति के लोगों को इससे लाभ मिलता है। ब्लू टी का नियमित सेवन बुढ़ापे के लक्षणों को दूर रखता है। ब्लू टी का सेवन त्वचा को स्वस्थ रखता है तथा मस्तिष्क शांत रहता है। ब्लू टी का यूरोप में नियमित सेवन किया जाता है वहाँ के हर घर में व्यक्ति ब्लू टी रखते है। सभी रेस्टोरेन्ट्स में ब्लू टी परोसी जाती है जो काफी मंहगी होती है।

                भारत में मंदिरों की पुष्प वाटिकाओं में भगवान की पूजा के लिए अपराजिता या विष्णुकांता लगायी जाती है। घर की या मंदिर की उत्तर पूर्व दिशा में पुष्प वाटिका होती है। उसमें अन्य पुष्पों के पौधों के साथ-साथ एक-दो लता अपराजिता अर्थात विष्णुकांता की भी लगाई जाती है। इसके पुष्पों को भगवान को माला के रूप में अर्पण किया जाता है।

                हर घर में अपराजिता की एक या दो लता अवश्य लगानी चाहिए। भगवान को अर्पित किये हुए फूलों को सूखनें पर संग्रह करते रहना चाहिए। सूखे फूलों को बारीक पीसकर ब्लू टी बनाकर हर आयुवर्ग के पारिवारिक सदस्यों को इसका सेवन करते रहना चाहिए। विकसित राष्ट्रों में जो ब्लू टी बहुत पैसा खर्च करने पर मिलती है वह हमारे देश के सभी पं्रातों में निशुल्क उपलब्ध हो जाती है। इसका उपयोग सबको करना चाहिए।

               विष्णुकांता/अपराजिता में मटर की तरह फलियां लगती है उनके अंदर पकने पर काले रंग के बीज निकलते है। इन बीजों के द्वारा नया पौधा आसानी से तैयार किया जाता है। मात्र एक-दो लता होने पर हजारों की संख्या में बीज पैदा हो जाते है जिससे नये पौधे तैयार कर सकते है। इस पौधे में कोई बीमारी नहीं देखी जाती है। धूप को पंसद करने वाला यह पौधा खूब फैलता है। राजस्थान के हर गाँव में यह आसानी से लग सकता है। इस पौधे का वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिया टर्नेटिया एल. है। इस पौधे की अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर पता कर लेना चाहिए।

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