धरती माता के घाव भरो
धरती माता हमें जीने के लिए समस्त आवश्यक वस्तुएँ निःशुल्क प्रदान करती आ रही है इसीलिये हमारे सनातन धर्म में धरती को माता का दर्जा दिया गया है। धरती से ही हमें भोजन, कपडे़, आश्रय, दवाईयाँ तो मिलती ही है साथ ही विभिन्न प्रकार के खनिज, कार्बनिक पदार्थ, मित्रजीव, एवं पर्यावरण को शुद्ध रखने के लिए एवं वायुमण्डलीय गैसां के रख-रखाव में एक निस्पंदन प्रणाली दी है।
इतनी महत्त्वपूर्ण मृदा को बचाने के लिए एवं
स्वस्थ रखने के लिए पूरे विश्व में पाँच दिसम्बर को ’’विश्व मृदा दिवस’’ मनाया
जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को मिट्टी के महत्त्व के बारे में बताना है।
ऐसा माना जाता है कि थाईलैण्ड के महाराजा स्वर्गीय एच.एम. भूमिबोल अदुल्यादेज ने
अपने कार्यकाल में उपजाऊ मिट्टी के बचाव के लिए काफी काम किया था। महाराजा के इसी
योगदान को देखते हुए हर वर्ष उनके जन्मदिवस 5 दिसम्बर को ’’विश्व मृदा दिवस’’ के रूप में मनाकर उन्हें
सम्मानित किया गया।
जिस तरह जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर
सकते ठीक उसी तरह मिट्टी का भी उतना ही महत्त्व है। भारत की 60 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या खेती पर ही निर्भर
है लेकिन 100 प्रतिशत लोगों को भोजन, कपड़ा, रहने की सुविधा,
औषधि खनिज पदार्थ, पेड़-पौधे आदि सब मिट्टी से ही उपलब्ध होते है। दुर्भाग्य की
बात है कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए बहुत ज्यादा कैमिकल वाले खाद और कीटनाशक
दवाईयों का इस्तेमाल किया गया परिणामतः मिट्टी की क्वालिटी में कमी आ रही है। इसके
कारण खाद्य सुरक्षा की कमी, पेड़-पौधां के विकास
में कमी, मित्रकीटों और मित्रजीवों के जीवन में कमी,
पालतू पशु एवं वन्य जीवों की दुर्दशा, मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा हो गया
है। इन्ही सब कारणों के प्रति मनुष्य को सचेत करने के लिए व मिट्टी के संरक्षण को
बचाये रखने के लिए प्रतिवर्ष 5 दिसम्बर को
’’विश्व मृदा दिवस‘‘ (World Soil Day) मनाया जाता है। खाद्य एवं कृषि संगठन (United Nations Food and Agriculture Organization ) द्वारा वर्ल्ड सॉयल डे बढ़ती पापुलेशन की वजह
से मिट्टी के कटाव को कम करने की दिशा में काम करने, लोगों को उपजाऊ मिट्टी के बारे में जागरूक करने तथा संसाधन
के रूप में मिट्टी के स्थायी प्रबंधन की व्यवस्था को सुनिश्चित करने के उद्देश्य
से मनाया जाता है। करीब 45 साल पहले भारत में
‘‘मिट्टी बचाओं आंदोलन’’ की शुरूआत हुई थी।
फरवरी 2015 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रत्येक
किसान के लिए ’’मृदा स्वास्थ्य कार्ड’’ योजना लागू की। जिसे कृषि सहयोग, किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा
प्रबंधित किया जाता है। प्रत्येक किसान के खेत की मिट्टी की जाँच के लिए
प्रयोगशालायें बनवायी गयी है। इन प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों के द्वारा जाँच के
बाद मिट्टी के गुण-दोषों की लिस्ट तैयार की जाती है। यह कार्ड किसान ऑनलाइन बना
सकता है। कार्ड बनाने के बाद किसान को अपने खेत की मिट्टी, स्वास्थ्य, उत्पादक क्षमता,
क्वालिटी, मिट्टी में नमी का स्तर और मिट्टी की कमियों को सुधारने के
तरीके के बारे में बताया जाता है।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना प्रधानमंत्री श्री
नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी 2015 को राजस्थान के सूरतगढ़ से शुरू किया था।
आंकड़ों के अनुसार अब तक दो चरणों में 22 करोड़ से अधिक सॉयल हेल्थ कार्ड वितरित किये जा चुके है।
धरती माता के महत्त्व को हमारे ऋषिमुनि
अनादिकाल से जानते आ रहे है। इस ज्ञान को बनाये रखने के लिए पुनः युद्ध स्तर पर
कार्य करने की आवश्यकता है। धरती माता को स्वस्थ, सुन्दर और प्रसन्नचित रखने के लिए सभी प्रकार के उपाय करने
की नीतान्त आवश्यकता है। धरती माता स्वस्थ रहेगी तभी पृथ्वी पर मनुष्य जीवन बच
पायेगा। धरती माता पर हमने अज्ञानतावश बहुत अत्याचार किये है। अंधाधुंध खतरनाक
रसायनों का प्रयोग, पेड़-पौधां की कटाई,
खनिजों का अत्यधिक दोहन, जहरीली गैसों का उत्पादन आदि अनगिनत कार्य हमने विकास के
नाम पर किये जिनका आजकल दुष्प्रभाव देखा जा रहा है। पूरी दुनिया अब इन सब कुकर्मो
को दूर करने के लिए प्रयास कर रही है। सम्पन्न देशों ने धरती माता को और पर्यावरण
को कुछ ज्यादा ही बिगाड़ा है। जिसका खामियाजा वे तो भुगत ही रहे है साथ ही बेकसूर
गरीब देशों को भी भुगतना पड़ रहा है।
धरती
माता को स्वस्थ, प्रसन्न व उपजाऊ
बनाये रखने के लिये अधिक से अधिक वृक्षारोपण, खेतों में मेड़ बन्दी का वृहद् कार्यक्रम बनाकर वर्षा जल को
बहने से रोकना, जल व मृदा संरक्षक
के स्थानीय तरीकों को अपनाना, ऊर्जा के प्राकृतिक
संसाधनों का प्रयोग जैसे सौर ऊर्जा आदि का प्रयोग बढ़ाना इत्यादि कार्यो को करना
आवश्यक है। जल और ऊर्जा को अपव्यय होने से बचाना चाहिये। समाज की हर इकाई को इन
कार्यो के लिये प्रतिबंध रहना चाहिये। माता स्वस्थ, सुन्दर व प्रसन्न होगी तभी हमें आषीर्वाद देगी। माता यदि
दिल से आषीर्वाद देगी तभी हम सुखी रह सकते है।
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