ग्रीन बिल्डिंग की आवश्यकता

 


इन दिनों भारत में ग्रीन बिल्डिंग का प्रचलन बढ़ गया है। निरंतर जलवायु परिवर्तन से उभरती हुई चुनौतियों को देखते हुए ग्रीन बिल्डिंग आवश्यक हो गया है। ग्रीन बिल्डिंग में बिजली और पानी का खर्च बहुत कम हो जाता है तथा हवा और रोशनी प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक रूप से मिलती है। इससे बीमारियों से मुक्ति मिलेगी और इलाज आदि का खर्च अपने आप घट जायेगा।

                सरकार भी ग्रीन बिल्डिंग के कॉनसेप्ट को बढ़ावा दे रही है। कस्बों और शहरों में ग्रीन बिल्डिंग बनाने को ज्यादा बढ़ावा दिया जा रहा है। ग्रीन बिल्डिंग के विकास में चीन का प्रथम स्थान है, कनाडा का दूसरा स्थान है तथा भारत तीसरे स्थान पर है। भारत में ग्रीन बिल्डिंग के क्षेत्र में तीव्र गति से विकास हो रहा है। आशा है कि अगले कुछ वर्षों में चीन और कनाडा को पछाड़कर भारत नंबर वन बन जायेगा।

        ग्रीन बिल्डिंग के विकास के लिए भारत में इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल बहुत तेजी से काम कर रही है। काउंसिल का उद्देश्य यह है कि ऐसी ग्रीन बिल्डिंग की डिजाइनें विकसित की जाये जिसमें पानी और बिजली का कम खर्च हो, प्राकृतिक संसाधनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो, कचरा कम निकले तथा रहने वाले लोगों को साफ-सुथरी, सुंदर और सुरक्षित जगह मिलती रहे। आने वाला जमाना ग्रीन बिल्डिंग का ही होगा। घर कुछ बडे़ होंगे और उनकी लम्बाई ज्यादा रखनी होगी। गाँवो से शहरों की ओर पलायन बढ़ रहा है। शहरों में घरों की मांग बढ़ रही है। शहरों में घर बनाने की जमीन कम पड़ रही है। उसका एक ही उपाय है घर ज्यादा ऊँचे और लम्बे-लम्बे कई मंजिला बनाये जाये।

        शहरों में जनसंख्या बढ़ने के कारण पानी की घोर कमी होती जा रही है। इससे निपटने के लिए ग्रीन बिल्डिंग कॉनसेप्ट में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और वाटर रिसाइक्लिंग का पूरा इंतजाम किया जाता है। अत्यधिक बिजली का बिल परेशानी करने वाला होता है। ग्रीन बिल्डिंग की डिजाइन ऐसी बनती है कि उसमें बिजली की खपत पहले दिन से ही आधे से भी कम हो जाती है। शहरी मकानों में शुद्ध हवा व सूरज की रोशनी की कमी रहती है। ग्रीन बिल्डिंग में पर्याप्त शुद्ध हवा और रोशनी मिलती है। ऐसे मकानों में रहने वाले लोग स्वस्थ और प्रसन्न रहते है।

               हमारे देश में कई आर्किटेक्ट इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रहे है। विभिन्न संस्थायें भी इस क्षे़त्र में भी विश्व स्तर का काम कर रहे है। कुछ लोग छत पर सब्जियाँ उगाने के लिए सीमेन्ट की थैलियों और कंटेनरों का इस्तेमाल करके घर को थर्मल कुलिंग प्रदान करते है तथा सिंचाई के दौरान बेकार हुये पानी को फिल्टर करके पुनः इस्तेमाल भी करते है। इस प्रकार के घरों में रिमोट कन्ट्रोल, इलेक्ट्रिक स्विच, हाइब्रिड सीएफएल/एलईडी लाइटिंग, एनर्जी ऐफिशिएंट  रेफ्रिजरेटर, सोलर पावर वाटर हीटिंग, सोलर वॉशरूम वेंटीलेशन, वॉटर कॉन्शियस मीटर एण्ड पॉवर अवेयरनेस मीटर भी फीचर्स भी लगाये जाते है। ग्रीन बिल्डिंगों में हर कमरे को थर्मली इंसुलेटेड किया जाता है। ग्रीन बिल्डिंग मेटेरियल का चयन आर्किटेक्ट ऐसे करता है जिससे पानी का खर्च कम से कम हो। आने वाला जमाना ग्रीन बिल्डिंग का ही होगा।

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