गंगाजल की पवित्रता का वैज्ञानिक मत
भारत में गंगाजल को अति पवित्र माना गया है। सनातन धर्म के सभी धार्मिक ग्रंथों में गंगाजी की महिमा का विस्तार से वर्णन है। यह माना जाता है कि उसमें किसी प्रकार का बैक्टीरिया नहीं पनपता है। हिंदू धर्म में प्रकृति को माता की तरह सम्मान दिया जाता है। गंगाजी को भी गंगा मैया ही कहते है। हर पूजा पाठ में गंगाजल आवश्यक है।
इतिहास में यह लिखा गया है कि अकबर स्वंय गंगाजल का ही सेवन
करता था और आने वाले मेहमानों को भी गंगाजल ही पिलाता था। अंग्रेज जब कलकत्ता से
जहाज द्वारा वापस इंग्लैण्ड जाते थे तो अपने साथ गंगाजल ले जाते थे क्योंकि वह
लम्बे समय तक सड़ता नहीं था। लेकिन लंदन से आते समय जो पानी अपने देश से लाते थे वह
रास्ते में ही सड़ जाता था। गंगाजल की पवित्रता का कई वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया।
नेशनल बॉटेनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ के तत्कालीन निदेशक
डॉक्टर चन्द्रशेखर नौटियाल ने अनुसंधान से प्रमाणित किया कि गंगाजी के पानी में
बीमारी पैदा करने वाले इकोलाई बैक्टीरिया को मारने की अद्भुत क्षमता है। डॉक्टर
नौटियाल ने रिसर्च में आगे बताया कि उन्होंने ऋषिकेश और गंगोत्री से गंगाजल सेंपल
के रूप में लिया यहाँ प्रदूषण नहीं के बराबर था। साथ ही उन्होंने तीन तरह का
गंगाजल लिया एक ताजा, दूसरा आठ साल
पुराना और तीसरा सोलह साल पुराना। उन तीनों में उन्होंने इकोलाई बैक्टीरिया डाला
और उन्होंने पाया कि ताजे गंगाजल में बैक्टीरिया तीन दिन तक जीवित रहा, आठ दिन पुराने पानी में
एक सप्ताह तक और सोलह साल पुराने पानी में पन्द्रह दिन तक जीवित रहा। तीनों तरह के
गंगाजल में इकोलाई बैक्टीरिया जीवित नहीं रह पाया। डॉक्टर नौटियाल अपने प्रयोगों
से बहुत आशान्वित है और उन्हें उम्मीद है कि आगे चलकर यदि रिसर्च के द्वारा गंगाजल
से चमत्कारिक तत्त्व को अलग कर लिया जाये जो बीमारी के जीवाणुओं को नियंत्रित करता
है, उससे ऐसे रोगियों का इलाज
किया जा सकता है जिन पर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं हो रहा है।
आईआईटी रूड़की में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर
देवेन्द्र स्वरूप भार्गव का कहना है कि गंगा को साफ रखने वाला यह तत्त्व गंगा की
तलहटी में ही सब जगह मौजूद है। उनका कहना है कि गंगा के पानी में वातावरण से
ऑक्सीजन सोखनें की अद्भूत क्षमता है। गंगाजल को कितने भी साल बोतल में बंद करके रख
दें उसमें न बदबू आती है और न खराब होता है।
वैज्ञानिक कहते है कि
गंगाजल में बैक्टेरियाफोस वायरस होते है। यह वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही
सक्रिय होकर उन्हें नष्ट कर देते है। उनका मानना है कि गंगाजल जब हिमालय से आता है
तो कई तरह की मिट्टी, खनिज और
जड़ी-बूटियों का असर इस पर होता है। इसी वजह से गंगाजल लम्बे समय तक खराब नहीं होता
है और इसके औषधीय गुण बने रहते है। गंगाजल में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक गंधक
पाया जाता है। इसलिये यह लम्बे समय तक खराब नहीं होता है तथा इसमें कीडें़ भी नहीं
पनप सकते। यही कारण है कि गंगाजल को हिन्दू धर्म में इतना पवित्र माना गया है तथा
गंगा मैया को देव नदी भी कहा गया है। अतः गंगाजल का महत्त्व आध्यात्मिक, धार्मिक और स्वास्थ्य की
दृष्टि से तो है ही इस बात को बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने अपने शोधकार्य के द्वारा
प्रमाणित भी किया है।
हमारे देश की
अर्थव्यवस्था पर भी गंगाजी का बहुत बड़ा उपकार है। गंगाजी के किनारे बड़े-बडे़ शहर
बसे हुए हैं। उनकी पेयजल व कृषि के लिये सिंचाई की सभी आवश्यकतायें पूरी होती है।
कृषि की आर्थिकी गंगाजी पर ही आश्रित है। गंगाजी में छोटी-बड़ी नावें तो सदियों से
चलती आ रही है। आजकल बड़े-बड़े स्टीमर भी जहाँ गंगाजी गहरी है, वहाँ चलाये जा रहे है। इन
स्टीमरों से हजारों टन माल का परिवहन प्रतिदिन होता है, जो सड़क परिवहन से मात्र 10 प्रतिशत खर्च में ही हो
जाता है। जल-परिवहन से रोड़ परिवहन की अपेक्षा जहाँ खर्च कम होता है साथ ही पर्यावरण
भी खराब नहीं होता है। माल के साथ-साथ भारी मात्रा में यात्रियों को भी अपने
गंतव्य स्थान तक कम खर्च में पहुँचाया जाता है। आजकल बड़े-बड़े स्टीमरों द्वारा
पर्यटकों को भी घुमाया जाता है। पर्यटन हमारे देश में आय का बहुत बड़ा स्रोत है।
कई जगह गंगाजी से भारी
मात्रा में खनिज बजरी निकाली जाती है। गंगाजी की बजरी भवन निमार्ण के लिये प्रमुख
वस्तु है। बजरी का ट्रांसपोर्ट गंगाजी के किनारों से दूर-दूर तक किया जाता है।
गंगाजी अनगिनत लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध कराती है। अन्न, सब्जीयाँ, फल, फूल व पशुधन के लिये चारे
का उत्पादन गंगाजल से ही संभव हो रहा है। गंगाजी के किनारे हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, फर्रूखाबाद, कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना व हावड़ा आदि सैकड़ों
बड़े-बड़े शहर व कस्बे बसे हुये है। गंगाजी उन सबकी आजीविका का साधन है। कलकत्ता की
सड़कें पत्थरों के ब्लॉक्स से सैकड़ों वर्ष पूर्व बनायी गयी थी। उन सभी सड़कों को
प्रतिदिन सवेरे ही गंगाजल से धोकर सफाई की जाती है। पूरे शहर में गंगाजी का पानी
पाईप लाईन बिछाकर पहुँचाया गया था। सड़कों को गंगाजल से धोने का काम आज भी चल रहा
है। गंगाजी के असंख्य लाभ होते है, अतः गंगामैया कहते है तथा गंगाजल को अमृत मानते है।
Nice information given by you sir this information is not in my mind but we think about different for gangaji's water ,you will give nice information and true now we proud our gangaji
ReplyDeleteनमस्ते जी , लेख ज्ञानवर्धक है, वर्तमान में गंगा हरिद्वार से आगे मैली हो गई है ।
ReplyDeleteJai ganga maa 🙏
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