ऑनलाइन गेम से बचे
मनुष्य का मनोविज्ञान ऐसा होता है कि कुछ बड़ा पाने के लिए किसी भी हद तक जोखिम लेने को तत्पर रहते है। आजकल बच्चों में ऑनलाइन गेम खेलने की आदत से काफी परिवार बर्बाद हो चुके है। परिवार में किसी का बेटा, किसी का पति, किसी का भाई इस ऑनलाइन गेम की वजह से दुनिया से विदा हो गये है। आये दिन अखबारों में व सोशल मीडिया पर इस प्रकार की खबरें आती रहती है। जो ऑनलाइन गेम से बर्बाद हो रहे है। केवल भारत ही नहीं पूरे विश्व में ऐसी घटनाएँ हो रही है।
अधिकतर 16 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक के बच्चे इसमें
ज्यादा बर्बाद हो रहे है। केवल पुरूष ही नहीं, महिलाएँ भी इस बुराई में कम नहीं है। आंकड़ों के अनुसार जहाँ
पुरूष प्रति सप्ताह दस घण्टे ऑनलाइन खर्च करते है वहाँ महिलायें लगभग 11 घण्टे प्रति सप्ताह
बर्बाद कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2022 में लगभग 42 करोड़ व्यक्ति ऑनलाइन गेम खेलते थे, लेकिन 2023 में इसकी संख्या बढ़कर 44 करोड़ से अधिक होने की
संभावना है, जो आठ प्रतिशत की
बढ़ोतरी है। भारत में लगभग 9 करोड़ कंज्यूमर्स
ने पैसे खर्च करके गेमर्स ऐप खरीदे है।
ऑनलाइन गेम खेलने वाला गेमर्स व्यक्ति परिवार, मित्रों, समाज और वास्तविक दुनिया
से धीरे-धीरे कटता जाता है। यह व्यसन बच्चों में ही नहीं 30-40 वर्ष के लोगों में भी
देखा जाता है। एक सर्वे के अनुसार 44 प्रतिशत ऑनलाइन गेमर्स मेट्रो शहरों में रहते है तथा 56 प्रतिशत गेमर्स गैर
मेट्रो सिटी के रहने वाले है। इनमें 40 प्रतिशत से अधिक गेमर्स महिलायें है। आजकल गाँवों में भी
घर-घर बच्चों के पास भी मोबाईल फोन उपलब्ध करा दिया गया है, गरीब, मध्यमवर्ग यहाँ तक कि
झुग्गी झोपड़ी में जीवन बिताने वाले बच्चे भी ऑनलाइन गेम बेधड़क खेल रहे है।
ऑनलाइन गेम का
प्रचार-प्रसार बड़ी-बड़ी सेलेब्रिटीज व स्टार्स के द्वारा कराया जाता है। इनके ऊपर
लाखों लोग भरोसा करके इस माया जाल में फँस जाते है। नागपुर पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग
पैसे से ठगी का कारोबार करने वाले आरोपी के यहाँ छापा मारकर 58 करोड़ रूपये नगद और सोना
जब्त किया। बैंगलोर की एक कम्पनी के मैनेजर ने 65 लाख रूपये खो दिये और आत्महत्या कर ली। भोपाल
में एक बच्चे को ऑनलाइन गेम से रोका गया तो पंखे से लटककर जान दे दी। दमोह में 17 वर्ष के एक बच्चे ने
आत्महत्या कर ली। चंदौली में 15 साल के बच्चे को ऑनलाइन गेम खेलने के लिये मना किया गया तो
गंगाजी में कूद गया। एक हारे हुये व्यक्ति ने बैंक से कर्जा लिया व नहीं चुकाने पर
अपनी किडनी तक बेच डाली। इस प्रकार की घटनाएँ प्रतिदिन प्रकाशित होती रहती है।
ऑनलाइन गेमिंग से कई परिवार बर्बाद चुके है। प्रतिवर्ष
गेमर्स की संख्या 8 से 10 प्रतिशत की गति से बढ़ रही
है। जो किसी बड़े खतरे की ओर इंगित करती है। इस बुराई से छुटकारा पाने के लिये हर
माता-पिता को गंभीरता से कदम उठाने पडेंगे। माता-पिता को अपने बच्चों को अंजान
लोगों से दूरी बनाने के लिये कहना चाहिये। गेम खेलने के लिये डिवाइस पर बच्चों के
लिये एक अलग से खाता बनावें तथा गेमिंग कंसोल पर माता-पिता नियंत्रण रखें। सोशल
मीडिया पर उपयोगकर्त्ताओं की टिप्पणीयाँ और उनके पोस्ट नियमित चेक करते रहें।
बच्चों को ऑनलाइन गेम से सावधान रहने की शिक्षा देते रहें। बच्चों में ऑनलाइन गेम
खेलने से अकेलापन, चिड़चिड़ापन, मानसिक अवसाद, शारीरिक व मानसिक दुर्बलता
का शिकार हो रहे है। समाज में छोटी उम्र में बड़े-बड़े अपराध करने वालों की संख्या
बढ़ रही है। बच्चें को इस बीमारी से दूर करने के लिये प्रतिदिन माता-पिता को
अत्यधिक सावधान रहने की आवश्यकता है। यह भयंकर रोग देश की युवा पीढ़ी को बर्बाद कर
रहा है व आगे भी करता रहेगा। समय रहते नहीं जागे तो पानी सिर पर चढ़ जायेगा।
Very true and apt!!!
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