छत पर उगाएँ ऑर्गेनिक सब्जियाँ
आजकल बाजार में सब्जियों के भाव बहुत तेज हो गये है। साथ ही सब्जियों की खेती में अत्यधिक जहरीले फर्टीलाइजर और कीटनाशक डाले जा रहे है। जिसका सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। विभिन्न प्रकार की बीमारियाँ जैसेः-केंसर, अस्थमा, डायबिटीज आदि तीव्र गति से बढ़ रही है। ऐसी सब्जियों के खाने से छोटे बच्चों और बुर्जुग लोगों में इनका जल्दी दुष्प्रभाव होता है।
अपनी छत के ऊपर
बहुत कम लागत में पॉलीहाऊस बनाकर उसमें सब्जियाँ उगाने का क्रेज अब बढ़ रहा है।
पाँच-सात सदस्यों के लिये जितनी सब्जी प्रतिदिन चाहिये, उसके लिये 30,000 रूपये खर्च करके
पॉलीहाऊस बनाया जा सकता है। जिसकी लाइफ 15 से बीस वर्ष तक होती है। यदि आपके पास छत ज्यादा है और उस
छत का उपयोग सब्जी उगाकर व्यावसायिक तौर पर जैविक उत्पादन करना चाहते है तो 30ग60 फुट का पॉलीहाऊस लगभग एक
लाख रूपये में बन जायेगा। प्लास्टिक के पाईप और उसकी फिटिंग का सामान सस्ता ही
मिलता है। पौधां को दिया जाने वाला पोषक तत्त्वों से भरपूर मेटेरियल जो पानी में
मिलाकर दिया जाता है, वह बहुत सस्ता
उपलब्ध होता है। इसमें ऑर्गेनिक और इन ऑर्गेनिक दोनों तरह के पोषक तत्त्व मिलते
है।
काजरी जोधपुर के
वरिष्ठ सब्जी वैज्ञानिक डॉक्टर प्रदीप कुमार ने इसका एक मॉडल विकसित किया है। उनसे
संपर्क करके आप उस मॉडल को देख सकते है तथा अपने घर में छत पर इसको लगाने के लिये
उनसे सलाह भी ले सकते है। इस प्रकार के पॉलीहाऊस में सितम्बर से लेकर मार्च तक सभी
सब्जियाँ आसानी से पैदा कर सकते है। गर्मियों में तापमान कम करने के लिये कूलर
लगाना जरूरी है। इस पॉलीहाऊस में प्लास्टिक के पाईप में छेद करके सब्जियों के पौधे
लगाये जाते है तथा पाईप में ग्रोइन्ग मिडियम कई प्रकार का डाला जाता है तथा पाईप
में पानी लगातार बहता रहता है। अधिक पानी वापस एक टब में इकट्ठा होता रहता है। जो
दुबारा टुल्लू पम्प के द्वारा पाईपों में
प्रवाहित किया जाता है। इस प्रकार के खेती करने के तरीके को हाइड्रोपोनिक तरीका
बोलते है।
हाइड्रोपानिक
तरीके से पॉलीहाऊस में टमाटर, शिमलामिर्च, मिर्च, फूलगोभी, पत्ता गोभी, पालक,
ब्रोकली, रंगीन केबेज, धनिया, मेथी, खीरा, ककड़ी आदि की पैदावार ले
सकते है। हाइड्रोपोनिक्स से पॉलीहाऊस में पैदा होने वाली सब्जियों में ऑर्गेनिक
पोषक तत्त्व दिये जाते है। इसमें फसलों में बीमारियों और कीटों का आक्रमण नहीं
होता है। इस विधि से ताजा सब्जियाँ प्रतिदिन मिल जायेगी। बाजार जाने की और एक साथ
अधिक सब्जियाँ लाकर फ्रिज में डम्प करने की आवश्यकता नहीं होती। सबसे बड़ी बात इन
सब्जियों में किसी प्रकार का खतरनाक जहर का उपयोग नहीं किया जाता अतः खाने में
स्वादिष्ट, पोषक तत्त्वों से
भरी हुई और केमिकल फ्री सब्जियाँ मिलती है। इन सबके साथ-साथ ये सब्जियाँ बहुत
सस्ती तैयार होती है। इस विधि में सब्जियाँ उगाने के लिये मिट्टी की आवश्यकता नहीं
होती अतः मिट्टी से आने वाले हैवी मेटल्स इन सब्जियों में नहीं होते है।
हाइड्रोपोनिक्स में जलवायु,
तापमान, नमी, प्रकाश और वायु पर पूरा
नियंत्रण रहता है। अतः कोई भी सब्जी किसी भी मौसम में उगाई जा सकती है।
इस विधि में पानी
रिसाईकल होता रहता है। अतः खेत की अपेक्षा मात्र 10 प्रतिशत पानी में ही सब्जियों का उत्पादन हो
जाता है। अतः पानी की बचत होती है। अन्तरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रमों में
हाइड्रोपोनिक्स का बड़े पैमाने पर उपयोग होता है। धरती से दूर जहाँ मिट्टी उपलब्ध
नहीं है वहाँ सब्जियाँ उगाने के लिये इसका प्रयोग किया जाता है।
आजकल भारत में हाइड्रोपोनिक्स से सब्जियाँ पैदा करने का
प्रचलन बढ़ गया है। बहुत सी कम्पनियाँ इस पूरे सेटअप को आपकी छत पर लगाने की
कंसल्टेंसी का काम करती है। इसमें लगने वाला सारा सामान बाजार में आसानी से उपलब्ध
हो जाता है। इसमें कई प्रकार की कीमती हर्ब्स भी आप उगा सकते है। ब्राह्मी ऐसी
हर्ब है जो ताजी बाजार में मिलती ही नहीं है। लेकिन हाइड्रोपोनिक्स सिस्टम से इसको
छत पर उगाकर रोज ताजी परिवार के लोगों के लिये औषधी के रूप में काम में ले सकते
है। इसी प्रकार स्टीविया, जिसके पत्ते
शक्कर का सब्सीट्यूट होते है। वह भी इसमें सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। इस प्रकर
धीरे-धीरे आप इसको सीखकर नई-नई प्रजातियाँ भी इसमें बोकर उत्पादन ले सकते है।
Sir, healthy food.
ReplyDeleteOnly few people are showing interest.
This information will be useful to beginners.
It is beneficial for city dwellers thank you sir
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