उत्तम खेती (पार्ट-7)


 1.                 उत्तरी दिल्ली के रहने वाले अभिषेक धामा इलेक्ट्रॉनिक्स कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जॉब करते थे। आजकल नई तकनीक के इस्तेमाल से आर्टीफिशियल इंटेलीजेन्स और एग्रीकल्चर ड्रोन      की बात हो रही है। पढ़े-लिखे लोग इस प्रकार की नवीन कृषि तकनीकों को देखकर खेती की और अपना रूख कर रहे है।

देश की खेती में बदलाव का दौर चल रहा है। नई-नई टेक्नोलॉजी, जैविक खेती और प्राकृतिक खेती की बात की जा रही है। अभिषेक ने भी कृषि क्षेत्र में अपना करियर बनाने का निर्णय लिया। अभिषेक ने उत्तरी दिल्ली के पल्ला गाँव में स्टीविया की खेती शुरू की। स्टीविया प्राकृतिक स्वीटनर है, जो शक्कर से तीस गुना अधिक मिठास करने वाला पौधा है। स्टीविया की जैविक खेती की विधिवत ट्रेनिंग लेकर अभिषेक ने उसका प्लांटिंग मेटेरियल खरीदा और खेती शुरू की।

पेशे से इंजीनियर होने के कारण उन्होनें स्टीविया की पत्तियों को हार्वेस्ट करने, सुखाने और उसको प्रोसेस करने के नये तरीकों को काम में लिया। जिससे इनकी लागत तो कम हुई ही साथ में स्टीविया की क्वालिटी भी बेहतर हुई। स्टीविया की टेबलेट, लिक्विड आदि अनेक प्रोड्क्ट बनाकर कंज्यूमर पैक बनाना शुरू किया। उन्हें रॉ मेटेरियल बेचने की बजाय प्रोड्क्ट बनाकर ऑनलाइन बेचने से सौ गुना अधिक दाम मिलने लगे। अभिषेक इस काम से प्रसन्न है तथा आस-पास के कई किसानों को इसका प्रशिक्षण देकर स्टीविया की खेती शुरू कराई। उन किसानों से स्टीविया की पत्ती भी बाजार से अधिक कीमत देकर अभिषेक नकद में खरीद लेते है तथा अपने प्रोसेस हाऊस में प्रोड्क्ट बनाकर ऑनलाइन बेचते है।

2.                 कृषक परिवार में जन्म लेने वाले मेल्विन फर्नाडिस इंफोसिस आईटी कम्पनी से जॉब छोड़कर अपनी पुश्तैनी जमीन चिकमंगलूर के पास मल्नॉड वेस्टर्न घाट और कोस्टल रीजन के पास 2007 में ऑर्गेनिक खेती शुरू की। इनके पास 20 एकड़ जमीन है। जिसमें उन्होनें सौ से अधिक फसलों की थोड़ी-थोड़ी खेती जैविक विधियों से शुरू की।

अपने खेत के बीच में उन्होनें एक फार्म स्टे हाऊस बनवाया। जिसमें लोगों को रहने की सुविधा दी गई। शहरी लोगों को ग्रामीण जीवन के परिवेश में प्राकृतिक जीवन जीने के लिये प्रेरित किया। इसके साथ ही प्राकृतिक भोजन उपलब्ध कराकर यह नारा दिया कि दवा की अपेक्षा यह दिव्य भोजन ज्यादा उचित है। वहाँ की फूड और लाइफ स्टाईल देखकर लोग आकर्षित होने लगे।

                    वहाँ पर ऑर्गेनिक फूड स्टोर भी खोला। यहाँ पर फल, सब्जियाँ, मसालां के साथ-साथ  फिल्टर कॉफी, पीसे हुये मसाले, एसेंसियल ऑयल, मिलेट्स और मिलेट्स का आटा, घर के बनाये हुये अचार, मसाले, स्नेक्स और नेचुरल विनेगर बेचने लगे। फलों की वैरायटी में एवोकाडो, ट्रापिकल चेरीज, रेड फूड्स एण्ड वेजीटेबल्स, ड्रमस्टिक, स्वीट पटाटो, टोपीयोको, याम के साथ-साथ 30 प्रकार के हर्बस भी जो उसी फार्म में खेती करके बेच रहे है। स्टार फ्रूट (कमरख) का अचार और विभिन्न प्रकार के जंगली पौधां से बनने वाले पेय पदार्थ आदि चीजें धडल्ले से बिकने लगी।

इसके साथ-साथ वहाँ पर जैविक खेती का प्रशिक्षण भी लगातार दिया जाने लगा। नेचुरल जीवन जीने के लिये बिना पकाया भोजन और बिना तेल के पकाया हुआ भोजन, नेचुरल बाथ, मडबाथ और फोरेस्ट बाथ से कार्यक्रम शुरू किये। खाना मिट्ठी की हांडी में पकाते है तथा केले के पत्तों पर सर्व करते है।

मेल्विन ने बताया कि हमारे यहाँ जितनी भी फूड प्रोसेसिंग हो रही है, वह केमिकल फ्री है साथ ही इसमें किसी प्रकार का प्रिजर्वेटिव, एडिटिव, स्टेबलाइजर और कलरिंग मेटेरियल उपयोग में नहीं लिया जाता। पैकेजिंग के लिये ईकोफ्रेण्डली मेटेरियल ही प्रयोग किया जाता है। इसके साथ-साथ उनके खेत में मधुमक्खी पालन का काम भी हो रहा है। जिसकी शहद बढ़िया पैकिंग करके बेची जा रही है। इस प्रकार का समन्वित प्रयास लोगों को पौराणिक काल का अहसास होने लगता है। वीकेंड में उनका फार्म शहरी लोगों से भरा रहता है। आप आइडिया लगा सकते है कि बिना किसी इंवेस्टमेंट के मिस्टर मेल्विन अथाह इनकम कर रहा है।

स्वस्थ जीवन के लिये उन्होनें योग और प्राणायाम को भी योग्य प्रशिक्षकों द्वारा सिखाने की व्यवस्था कर रखी है। वहाँ पर ऑर्गेनिक मेंहदी भी पैदा करके बेची जाती है तथा महिलाओं को मेंहदी लगाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जो आकर्षण का बिन्दु है।

इस प्रकार ऊँची से ऊँची जॉब को छोड़ कर भी लोग खेती में रूचि ले रहे है। कृषि में उन्हें संतोष तो मिल ही रहा है साथ भी धन भी खूब कमा रहे रहे है। यह एक साश्वत जॉब है जो अविराम सतत् चलने वाला है। इसमें किसी प्रकार का डिप्रिसियेशन नहीं होता। खेती की जमीन, पेड़-पौधे व अन्य लागत का एप्रीसियेश ही होता रहता है।

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