उत्तम खेती (पार्ट-4)


 इंजीनियर, आई टी और मल्टीनेशल कम्पनियों की जॉब छोड़कर कृषि को अपना व्यवसाय बनाने वाले सफल लोगों की कहानियाँ इस लेख में बताने का प्रयास कर रहा हूँ।

1.                छतीसगढ़ के धमतरी जिला के चार्मुडिया गाँव की रहने वाली स्मारिका चन्द्रिका कम्प्यूटर साइंस में बीई करने के बाद पूणे से एमबीए की पढ़ाई की। उसके बाद एक मल्टीनेशनल कम्पनी से जुड़ गई। उनका सालाना पैकेज 15 लाख रूपये के आसपास था। सब कुछ ठीक चल रहा था। इसी बीच गाँव में स्मारिका के पिताजी की तबीयत खराब हो गई। मजबूरन स्मारिका को 2020 में गाँव आना पड़ा और उसने अपनी 23 एकड़ जमीन में ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती शुरू की। इस खेती को समझने के लिये उसने कई कृषि विशेषज्ञों से समय-समय पर सलाह ली। इसके खेत में पैदा हुई ऑर्गेनिक सब्जियों की सप्लाई देश के कई प्रांतों में भी हो रही है। ऑनलाइन भी सब्जियों का ऑर्डर लेकर वह सप्लाई करती है। आज उसका टर्नओवर 1 करोड़ रूपये से अधिक का है और 150 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। आज वह अपने कार्य से पूरी तरह से सन्तुष्ट है।

2.                पटना के रहने वाले विनय कुमार, रणजीत मिश्रा और राजीव रंजन शर्मा तीनों मित्र बम्बई में बैंक में नौकरी कर रहे थे, लेकिन उनका सपना खेती करने का था। नौकरी छोड़कर तीनों मित्र 2014 में पटना आ गए। इन्होनें पटना से बीस किलोमीटर दूरी पर स्थित बिहटा में लीज पर जमीन लेकर खेती शुरू की। बीस बीघा जमीन में वे ऑर्गेनिक सब्जियों की खेती शुरू है। उनके यहाँ 20 से 25 मजदूर काम कर रहे है। इन्होनें खेती को व्यापार में बदल दिया।

सबसे पहले 10 बीघा जमीन में गोभी, खीरा, ब्रोकली और केबेज की खेती की। इसमें अच्छी कमाई होने लगी। धीरे-धीरे वे 50 बीघे में खेती करने लगे। पिछले वर्ष उन्होनें 25 लाख रूपये का सिर्फ पपीता बेचा था। इसके अतिरिक्त गोभी, कद्दू, खीरा, ब्रोकली आदि से भी लाखों रूपये की कमाई करते है। आजकल तीनों दोस्तों का मिलाकर टर्नआवर एक वर्ष का एक करोड़ रूपये से भी अधिक हो गया है। इनका कहना है कि हम तीनों मिलकर एक वर्ष में तीन तरह की फसल लेते है। जिसमें 50 लाख से अधिक का शुद्ध मुनाफा हो रहा है।

3.                जयपुर से 35 किलोमीटर दूर बसे हुये गुड़ा कुमावतान और बसेड़ी गाँव की पहचान आज करोड़पति किसानों के रूप में हो गई है। इस गाँव के 40 किसान आधुनिक खेती करके करोड़पति बन गये है और मंहगी लग्जरी गाड़ियों में घूम रहे है। इजराइल की नवीनतम तकनीक को फॉलो करके इस गाँव के किसान पॉलीहाऊस में खेती कर रहे है। इसलिये इस गाँव को ‘‘मिनी इजराइल‘‘ भी कहते है।

इजराइल की तकनीक से पॉलीहाऊस व सेडनेट (नियंत्रित तापमान) में सब्जियों की खेती करके लाखों रूपये कमा रहे है। इस गाँव में 300 से अधिक पॉलीहाऊस लग चुके है जिसमें हार्टीकल्चर मिशन के अंतगर्त अनुदान भी मिला है।

गुड़ा कुमावतान गाँव के प्रगतिशील किसान खेमाराम को 10 साल पहले राजस्थान सरकार के सहयोग से इजराइल टूर पर जाने का अवसर मिला। वहाँ पर कम पानी के बावजूद भी नियंत्रित तापमान में पॉलीहाऊस में खेती को समझा और वापस आकर अपने यहाँ पॉलीहाऊस में सब्जियों की खेती करने लगे। इसके साथ ही 40 वॉट का सोलर पैनल लगाकर पॉलीहाऊस में खर्च होने वाली बिजली पैदा की जाती है। सौर ऊर्जा से इन्हें बिजली की समस्या से छुटकारा मिल जायेगा। इन सब कामों के लिये हार्टीकल्चर मिशन से अनुदान मिला और बैंक से ऋण मिला। पॉलीहाऊस में अधिकतर सीजन के पहले ही खरबूजा और खीरा लगाकर उस पैदावार को मण्डी में भेजने से दुगुना भाव मिलता है। इस प्रकार एक एयरकण्डीशन पॉलीहाऊस से वर्ष में एक करोड़ रूपये की आमदनी हो जाती है। पानी की डिग्गी हर पॉलीहाऊस के पास जल संरक्षण के लिये बनाना आवश्यक है। पॉलीहाऊस पर होने वाली बरसात का जल वे डिग्गी बनाकर उसमें इकट्ठा करते है। एक बूंद पानी की व्यर्थ नहीं जाने देते है। वही पानी ड्रिप व माइक्रो सि्ंप्रकल्स के द्वारा पॉलीहाऊस में सिंचाई करते है। नियंत्रित तापमान में सिंचाई के लिये बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार के कई किसान चौमू के आसपास पॉलीहाऊस लगाकर खेती कर रहे है जिनका जीवनस्तर रईसों जैसा हो गया है।

Comments

  1. Very encouraging information sir. Thanks a lot.

    ReplyDelete
  2. Good farming occupation knowledge

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला