उत्तम खेती (पार्ट-3)
खेती किसानी को नई तकनीक से शुरू करने वाले कुछ सफल और प्रगतिशील पढ़े-लिखे किसानों की चर्चा इस लेख में करेंगें।
1. बस्ती जिले के डिंगरापुर गाँव के किसान के बेटे अमरेन्द्र प्रताप सिंह केमिकल इंजीनियर बनकर वार्षिक सात लाख रूपये की नौकरी कर रहे थे। उनका मन इस काम में नहीं लग रहा था। वह चाहता था कि मैं गाँव जाकर ऐसा काम करूं जिससे और लोगों को भी काम मिल सके। उसने सीमेप लखनऊ जाकर 7 दिन की खस की खेती की ट्रेनिंग ली। वहीं से उसके पौधे खरीदे और अपने गाँव आकर एक एकड़ में इसकी खेती शुरू की। पहले ही वर्ष में उसे अच्छी आय हुई और उसने अपने आसपास के किसानों को इस खेती में जोड़ना शुरू किया। उसने बताया कि धीरे-धीरे 500 से अधिक किसान मेरे साथ जुड़ गये है। मैनें खस से तेल निकालने का संयंत्र भी लगाया। इसकी जड़ों से निकलने वाले तेल को वेटीवर ऑयल कहते है। जिसका उपयोग महंगे इत्र, सुगंधित पदार्थ, सांदर्य प्रसाधन व दवाईयों में होता है। विटेवर ऑयल 15000 रूपये प्रतिलीटर के भाव से बाजार में बिकता है। आज अमरेन्द्र प्रतापसिंह का कारोबार 2 करोड़ रूपये से ज्यादा का हो गया है। कई अच्छी पढ़ाई करने के बाद भी इनके साथ खुशी-खुशी जुड़ रहे है।
2. तमिलनाडु के शिवगंगा के
रहने वाले डी ़ इम्बासेकरण ने रिटेल मैनजमेंट में एमबीए करने के बाद अपना करियर
कृषि से शुरू करने की ठानी। उन्होनें एग्री बिजनेस सेंटर स्कीम की दो महीने की
ट्रेनिंग ली। ट्रेनिंग पूरी होने पर 20 लाख रूपये का लोन लेकर एक कम्पनी खोली जो खीरा(घेरकिन) की
खेती करने वाले किसानों और एक्सपोर्ट कम्पनियों के बीच लाइजानिंग का काम कर रहे
है। इस काम को पहले वर्ष में ही 10,000 मैट्रिक टन घेरकिन का टर्नऑवर किया इनके साथ 1500 से अधिक छोटे-छोटे किसान
जुडे़ हुये है। धीरे-धीरे इनका कारोबार 300 गाँवों के पाँच हजार किसान तक फैल गया तथा इनकी कम्पली का
टर्नऑवर इस समय 10 करोड़ रूपये
वार्षिक है।
3. भोपाल की रहने वाली
प्रतिभा तिवारी गणित की टीचर थी। उसने कृषि को अपना करियर बनाने के लिये भोपाल से
दूर हरदा जो उसका पुश्तैनी गाँव है और वहाँ पर उसकी 50 एकड़ जमीन भी है। उसके
गाँव में सभी लोग खेती में रासायनिक खादों का प्रयोग करते थे।
प्रतिभा तिवारी ने सरकार द्वारा आयोजित जैविक खेती पर
सेमिनार में भाग लिया और एक पाठ्यक्रम भी जॉइन किया। 2016 में उन्होनें छोटे से
हिस्से पर ऑर्गेनिक खेती शुरू की। शुरूआत में थोड़ा उत्पादन कम हुआ लेकिन धीरे-धीरे
इन्होनें अपना खुद का जैविक उत्पादन का ब्राण्ड ‘‘भूमिषा’’ लांच किया और भोपाल में
‘‘भूमिषा आर्गेनिक‘‘ नाम से अपना स्टोर शुरू किया जहाँ पर गेहूँ, चावल, दालें मसाले, आचार, जड़ी-बूटीयाँ, मोटे अनाजों का आटा, किनोआ और घाणी का
तेल सहित 70 प्रकार के जैविक खाद्य उत्पाद बेचने शुरू
किये। आज इनके पास 400 लोगों का नेटवर्क
है। धीरे-धीरे इन्होनें कुल्थी दाल, चना और अरहर जैसी फसलों के साथ-साथ मोरिंगा, हिबिसकस, एलोवेरा जैसी जड़ी-बूटीयों
के भी प्रोड्क्ट बनाकर बेचने लगी इस समय उसका वार्षिक टर्नऑवर एक करोड़ रूपये से
ज्यादा है।
इस प्रकार कई पढ़े लिखे लोगों ने बहुत अच्छी पढ़ाई करके भी
कृषि क्षेत्र को चुना जो सफलतापूर्वक कर रहे है।
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