पर्यावरण संरक्षण सबका कर्त्तव्य

                 


पर्यावरण संरक्षक सेवक टीम के राष्ट्रीय प्रभारी एवं पर्यावरणविद् खम्मूराम विश्नोई अपनी टीम के 80 सेवकों के साथ लगातार 5 दिन तक मुकाम समराथल मेला में जाकर अपनी सेवाएँ दी। विगत 25 वर्षो से पर्यावरण संरक्षण के लिये निःस्वार्थ भाव से पूरे भारत वर्ष में होने वाले आयोजनों में इनकी टीम पर्यावरण संरक्षण के कार्य करते आ रहे है। मेलों में सिंगलयूज प्लास्टिक को मुक्त करने के लिये सभी सदस्य वहाँ के दुकानदारों और दर्शकों में जागरूकता लाते है। इनकी टीम में पूरे भारतवर्ष के पर्यावरण सेवक भाग लेते है। मेला परिसर को साफ सुथरा रखने, कचरा नहीं फैलाने व सूखा गीला दोनों तरह के कचरा पात्र रखवाने का काम करते है। यदि कोई दुकानदार कचरा फैलाता है तो उसको मेला स्थल से हटा दिया जाता है। समय-समय पर पर्यावरण प्रदशर्नी लगाकर लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत किया जाता है।

                खम्मूराम विश्नोई व उनकी टीम का वंदनीय कार्य हमारे लिये गर्व की बात है। धरती माँ को साफ सुथरा रखने व पर्यावरण को बचाने में इनका योगदान अनुकरणीय है। भारत के सभी व्यक्ति किसी न किसी सामाजिक संस्था से अवश्य जुडे़ हुये होते है। साथ ही किसी न किसी आध्यात्मिक संत से प्रभावित होते है। संतो द्वारा समय-समय पर संगोष्ठियाँ, सम्मेलन, धार्मिक आयोजन आदि किये जाते है। ऐसे आयोजनों में बड़ी मात्रा में पुरूष और महिलायें भाग लेते है। इन कार्यक्रमों में भाग लेने वाले लोगों का यह दायित्व है कि वे पर्यावरण संरक्षण के नियमों का प्रचार-प्रसार तो करें ही साथ ही कार्यकर्ताओं की टीम बनाकर पै्रक्टिकल स्वच्छता का कार्यक्रम करें व पूरे स्थल को साफ सुथरा रखें। अधिकतर देखा जाता है कि ऐसे कार्यक्रमों के बाद वहाँ पर प्लास्टिक की सामग्री के साथ-साथ विभिन्न प्रकार का कचरा साफ करने के लिये कई सफाई कर्मचारी लगाने पड़ते है। इस कचरे को नहीं फैलाने की विनती सबसे करनी चाहिये। ऐसा करके आप समाज में पर्यावरण सुरक्षा का संदेश दे सकते है।

               इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिये लोगों को प्रेरित करने व जागरूक करने में संत-महात्माओं की भूमिका अहम् होती है। व्यास पीठ से संतों द्वारा की गयी अपील लोगों पर अधिक असर करेगी। संतों व धार्मिक संगठनों द्वारा पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिये समय-समय पर साहित्य का प्रकाशन करके भी वितरण करना चाहिये। पर्यावरण शुद्ध रहने पर ही हम सब स्वस्थ व जीवित रह पायेंगें।

शाकाहार का प्रचार प्रसार करना भी पर्यावरण सुरक्षा का ही अंग है।

Comments

  1. Nice thoughts efforts of khamurams is appricable we should take part in environmental work

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