स्क्रीन का आँखों पर दुष्प्रभाव व उपाय
प्रतिवर्ष अक्टूबर के दूसरे गुरूवार को ‘‘विश्व दृष्टि दिवस‘‘ मनाया जाता है। नेत्रज्योति से सम्बन्धित समस्याओं, सावधानियों की चर्चा नेत्र चिकित्सक आज के दिन करते है। जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अरविन्द चौहान ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में 25 प्रतिशत रोगी 6 वर्ष से 16 वर्ष तक के बच्चे आते है। जिनको कम दिखाई देने और सिरदर्द की समस्या रहती है। जाँच करने पर पता चला है कि इनमें अधिकांश की दूर की नजर कमजोर हो गई है। आने वाले हर बच्चे को मजबूरन चश्मा का नंबर देना पड़ता है और जो पहले से चश्मा लगा रहे है उनके नम्बर बढ़ रहे है।
डॉक्टर चौहान ने बताया कि
मोबाईल, लेपटॉप और
कम्प्यूटर की स्क्रीन पर अधिक समय बिताने के कारण बच्चों को यह समस्या हो रही है, मोबाईल व कम्प्यूटर के
लगातार संपर्क में रहने से नीली रोशनी आँखों को नुकसान पहुँचाती है। यह नीली रोशनी
आँखां के रेटिना में प्रवेश करके उसके टिश्यूज को नुकसान पहुँचाती है। इससे आँखां
में सूखापन आ जाता है और नजर धुंधली हो जाती है। जिससे दूर की चीजें धुंधली दिखाई
देती है।
कोविड के बाद से बच्चों का ऑनलाईन कार्य बढ़ गया
है। ऑफलाईन कक्षाओं के शुरू होने के बाद भी स्कूल से मोबाईल पर ऑनलाईन होमवर्क
भेजा जाता है तथा होमवर्क के लिये कहा जाता है। अब बच्चें और उसके माता-पिता भी
आदि हो चुके है। वे सभी समस्याओं का समाधान सीधा गुगल से ही तलाश रहे है। अधिकतर
बच्चें माता-पिता की नजर बचाकर ऑनलाईन गेम और सोशल मीडिया यूज करते रहते है। ओटीटी
पर मूवी देखने के चलन से भी बच्चों का स्क्रीन टाईम बढ़ गया है। समस्या दिनांदिन
बढ़ती जा रही है।
ताराबाई देसाई नेत्र
अस्पताल, जोधपुर के डॉक्टर
संजीव देसाई ने बताया कि आज के दौर में इलेक्ट्रोनिक उत्पाद हमारे जीवन का अहम
हिस्सा बन गये है। इनके बिना काम भी नहीं चलता, ये हमारे जीवन को सुविधाजनक तो बना रहे है, साथ ही नेत्र रोगियों की
संख्या भी बहुत तेजी से बढ़ रही है। बच्चों की आँखों में दर्द, लालिमा या भेंगापन होना
जैसी समस्या भी होती है। हम आँखों को काम में लेते है तो उसका ख्याल रखना भी जरूरी
है। आजकल मोबाईल हमारी आँखों का सबसे बड़ा दुश्मन बन गया है। दिनभर का समय
कम्प्यूटर और मोबाईल के साथ ही व्यतीत होता है। डॉक्टर देसाई ने बताया कि जितना
समय आप बॉडी को आराम देना चाहते है उतना ही समय आप अपनी आँखों की भी आराम दें।
आँखों पर ज्यादा बोझ डालने से आँखों की रोशनी कम उम्र में ही कम होती जायेगी।
मोबाईल पर घण्टों काम
करने से आँखों की थकान बढ़ जाती है। ऐसे में आँखों का व्यायाम करना जरूरी है। आँखों
के व्यायाम से मतलब है आप काम के बीच में थोड़ा सा वक्त निकालकर आँखों को गोल-गोल
क्लॉकवाईज और एंटीक्लॉकवाईज डायरेक्शन में घुमायें इससे आँखों की थकान कम होगी और
आँखों को रिलेक्स मिलेगा। व्यायाम आपकी आँखों को लम्बी उम्र तक स्वस्थ रखेगा।
स्क्रीन पर काम करते समय बीच-बीच में पलकें जरूर झपकायें। इससे आँखों को आराम
मिलेगा और तनाव दूर होगा।
इस समस्या का डॉक्टरों ने उपाय बताया है कि हर
बीस मिनट में आंखों को विश्राम दें। उसके बाद बीस फूट की दूरी पर नजर टिकाकर बीस
सैकण्ड तक देखनें की प्रैक्टिस करें। कम्प्यूटर का मॉनिटर 15 डिग्री नीचे रखें।
स्क्रीन से आँखों की दूरी 50 सें 60 सेंटीमीटर होनी चाहिये।
इस प्रकार की व्यायाम और सावधानियाँ आपकी आँखों की सुरक्षा कर सकती है।
इस वर्ष विश्व
दृष्टि दिवस की थीम काम के समय अपनी आँखों से प्यार करना रखा गया है। अपने-अपने
कार्यस्थल पर लोगों को उनकी दृष्टि की सुरक्षा का महत्त्व बताया जा रहा है।
आयुर्वेदिक वैद्यों का मत है कि हरड़, बहेड़ा और आंवला तीनों
बराबर लेकर साबुत ही मिट्टी के बर्तन में डालकर एक किलां पानी में रातभर भीगने
दें। त्रिफला 200 ग्राम लें सवेरे
इस पानी को छानकर उस ठण्डे-ठण्डे पानी से आँखों पर छींटे मारकर बार-बार धोयें। ऐसा
करने से आँखों की थकान दूर होगी और आँखां की मांसपेशियों में रक्त का संचार नियमित
होगा। इसी बचे हुये त्रिफला को फिर एक किलों पानी में भिगो दें। रात को सोते समय
इसी पानी से फिर आँखां को छींटे मारकर धो दें। दूसरे दिन के लिये फिर 200 ग्राम नया त्रिफला काम
में लें। इस प्रक्रिया को सप्ताह में तीन-चार बार करने से आँखों की दृष्टि बढ़ती है
और आँखों का सूखापन ठीक हो जाता है। इसके अतिरिक्त भी आप अपने डॉक्टर से सलाह करके
नियमित चिकित्सा कर सकते है।
आँखों की सुरक्षा के लिये बहुत सारी योगिक
क्रियाएें भी होती है। अनुभवी योगासन सिखाने वाले विशेषज्ञ से सलाह लेकर आँख और
हथेलियों के आसन करना लाभदायक होता है। यह आसन औषधि से भी ज्यादा कारगर होते है।
आँख मनुष्य का अमूल्य शारीरिक अंग है। इसको स्वस्थ रखना अत्यंत आवश्यक होता है।
Good
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