शतायु प्रदायिनी : शतावरी

           


     शतावरी एक अमूल्य औषधि है। यह पौधा भारतवर्ष के सभी प्रांतों में पाया जाता है। लेकिन हिमालय, विंध्याचल और अरावली के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी मात्रा में पाया जाता है। भारत के विभिन्न जंगलों में यह प्राकृतिक रूप से पैदा होता है। यह एक कंटीली, झाड़ीनुमा लता प्रजाति होती है, जो झाड़ियों के साथ-साथ पेड़ों पर चढ़ी हुई रहती है। दिसम्बर-जनवरी में इसमें सफेद रंग के फूल आते है। फूल इतने अधिक मात्रा में आते है कि पूरे पौधे पर फूल ही फूल नजर आते है। फूल पकने पर धीरे-धीरे इसमें फल बनना शुरू होता है। शुरूआत में फल हरा होता है, पकने पर एकदम लाल हो जाता है। अधिक पकने पर यह कत्थई और काले रंग का हो जाता है। फल में काले रंग के बीज साईज में काली मिर्च से छोटे होते है। इन्हीं बीजों को आगामी फसल के लिये बोया जाता है। जंगल में ये बीज जब गिरते है तो वर्षा ऋतु में अपने आप उग जाते है। इसका फल अत्यंत मीठा होता है। जिसे पक्षी बड़े चाव से खाते है। इसका बीज पक्षी की बीट के द्वारा बिखरकर भी उगता रहता है। आदिवासी लोग शतावरी की जड़ो को खोदकर, छीलकर, सुखाकर बाजार में बेचते है।

                     शतावरी की मांग दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। कई वर्षो से इसका व्यावसायिक कृषिकरण राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार में शुरू हो गया है। भारत की आयुर्वेदिक कम्पनी डाबर इण्डिया लिमिटेड शतावरी की बहुत मात्रा में खरीद करती है। इस कम्पनी ने अपनी खपत के लिये नेपाल में शतावरी की खेती किसानों के साथ मिलकर करा रही है। शतावरी पुरूषों, महिलाओं और दुधारू गायों के लिये औषधि बनाने में बड़ी मात्रा में उपयोग में लाई जाती है। आयुर्वेद के विभिन्न योग शतावरी के मिश्रण से बनाये जाते है।

        शतावरी को आयुर्वेद में बल्य औषधि माना जाता है। यह शारीरिक और मानसिक बल देता है। शतावरी एंटीऐजिंग औषधि है। अतः यह जल्दी से बुढ़ापा नहीं आने देती है। लम्बी उम्र देती है। शतावरी का उपयोग करने से इम्यूनिटी और मेंटल परफोर्मेंस बढ़ता है। इसका उपयोग कामोत्तेजक के रूप में भी किया जाता है। महिलाओं के लिये शतावरी प्रजनन अंगों पर पुनरावृति प्रभाव लाता है। स्तनपान कराने वाली माताओं के दूध बढ़ाने में शतावरी दी जाती है। शतावरी से माताओं के दूध की मात्रा और गुणवता में सुधार होता है।

                    आयुर्वेद में शतावरी को फिमेल टॉनिक कहा गया है। यह महिलाओं के प्रजनन संबंधी अंगो को बलशाली बनाने में और उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने में काम आती है। महिलाओं में बांझपन में भी इसका प्रयोग किया जाता है। जो महिलायें उम्र से पहले ही वृद्धा दिखाई देती है वे शतावरी का सेवन करके पुनः नवयौवना लगती है।

                     मस्तिष्क रोगों में यह अत्यंत प्रभावकारी है। अल्जाइमर और पार्किंनशन जैसी बीमारियों में शतावरी नर्वाइव टॉनिक का काम करती है। इसमें पाये जाने वाले सेपोनिंन नाड़ियों के डिश आर्डर में लाभदायक होते है। शतावरी में गैसिटिक अल्सर को ठीक करने की क्षमता होती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में लीवर और किडनी की समस्याओं को ठीक करने में शतावरी का उपयोग किया जाता है।

                     शतावरी को आयुर्वेद में रसायन एवं संपूर्ण शरीर का टॉनिक कहा जाता है। महिलाओं के लिये शतावरी हार्मोन्स बढ़ाती है, दूध के उत्पादन में वृद्धि करती है और मोनोपॉज के लक्षणों को कम करती है। शतावरी कामोत्तेजक, एंटीऐजिंग, नेत्र ज्योति में सुधार करने वाली, बढ़े हुए पित के दोष को दूर करने, गर्भप्रदा, अच्छी नींद लाने वाली, बार-बार होने वाली यूटीआई से राहत देने वाली, शरीर में जलन को कम करने वाली और दुर्बल लोगों का वजन बढ़ाने में सहायक होती है। महिलाओं के लिये दूध बढ़ाने वाली दवाओं के निर्माण में 90 प्रतिशत दवाओं में शतावरी का प्रयोग किया जाता है। शतावरी के चूर्ण को गर्म दूध में हल्दी और गाय का घी का मिलाकर सेवन करने से इन्फर्टिलिटी अर्थात् हार्मोनल असंतुलन को संतुलित करता है। वजन बढ़ाने, शारीरिक और मानसिक शक्ति को बनाये रखने के लिए 5 ग्राम शतावरी पाउडर, 10 ग्राम गाय का घी मिलाकर गुनगुने दूध के साथ दिन में एक या दो बार लेना चाहिए। शतावरी का उपयोग करने के पहले अपने डॉक्टर की सलाह जरूर लेवें। यूरोप में और अमेरिका में कई कम्पनीयाँ शतावरी की हर्बल टी बनाकर बेच रही है। जो महिलाओं और पुरूषों के लिये गुणकारी होती है। इस महत्त्वपूर्ण औषधी का उत्पादन और मूल्य संवंर्धन भारत में बहुत बढ़ रहा है। शतावरी के एक्सट्रैक्ट के कैप्सूल भी मार्केट में उपलब्ध है।

Comments

  1. Aspergus is very useful medicinal plant found in India.

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  2. Sir, it is true.
    But, I have experienced loss due to low price.

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  3. बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी है, शतावरी घरों में सजावटी पौधों के रूप में बहुत लगाई जाती है, मैंने इसके फूलों की तरफ़ कभी ध्यान नहीं दिया । अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद.

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