सौ बीमारियों की एक दवा: हल्दी
हल्दी के उत्पादन में विश्व में भारत का प्रथम स्थान है। हल्दी का निर्यात भी अधिक
तर भारत से ही किया जाता है। इस महत्त्वपूर्ण फसल के उत्पादन बढ़ाने, अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन के द्वारा अधिक लाभ प्राप्त करने, हल्दी की खेती करने वाले किसानों और प्रोड्क्ट बनाने वाले उत्पादकों के क्षमता निर्माण तथा कौशल विकास के लिये भारत सरकार के वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड की स्थापना की। इसका उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, मिजोरम, आसाम, अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उड़ीसा और पश्चिमी बंगाल प्रांतों में अधिक होता है।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड ने आयुष मंत्रालय, औषधि विभाग, कृषि और किसान कल्याण
मंत्रालय, वाणिज्य और
उद्योग विभाग तथा तीन राज्यों से प्रतिनिधी (बारी-बारी के आधार पर) शामिल होगें।
इसके अलावा अनुसंधान संस्थान, चुनिंदा हल्दी कृषक एवं हल्दी निर्यातक बोर्ड के सदस्य
होगें। यह बोर्ड मसाला बोर्ड व अन्य सरकारी ऐजेंसीयाँ जो निर्यात के क्षेत्र में
बढ़ावा देती है, उनका भी समन्वय
रखा जाएगा।
भारत में पिछले वर्ष 11.61 लाख टन हल्दी का उत्पादन हुआ था जो पूरे विश्व के उत्पादन
का 75 प्रतिशत से भी
अधिक है। पूरे देश में 3.24 लाख हैक्टेयर
क्षेत्र में हल्दी की खेती की गई थी। वैसे तो महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडू में
इसकी खेती बहुतायत से होती है लेकिन इसके साथ-साथ बीस से अधिक राज्यों में भी इसकी
खेती सफलतापूर्वक की जाती है। स्पाइस बोर्ड के अनुसार हल्दी की तीस से अधिक
किस्में उगाई जाती है।
हल्दी का उपयोग भारत की हर रसोई में किया जाता है। किसी भी
शुभ कार्य में हल्दी का उपयोग पूजा पाठ में भी किया जाता है। आयुर्वेद में कई
प्रकार की बीमारियों का इलाज हल्दी से किया जाता है।
आधुनिक विज्ञान ने भी हल्दी पर काफी रिसर्च किया। इसमें
पाया जाने वाला करक्यूमिन एंटीकैंसर होता है। हल्दी में जितना अधिक करक्यूमिन होता
है उतनी ही उसकी कीमत ज्यादा मिलती है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति की शोध के परिणामस्वरूप
हल्दी एंटीऑक्सीडेंट होती है, ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद करती है। हल्दी से
कॉलेस्ट्रॉल भी कम होता है,
इससे सूजन कम
करने की औषधी भी बनाई जाती है। हल्दी एंटीबैक्टीरियल भी होती है। अतः सूक्ष्म
जीवों के विरूद्ध प्रभावी होती है। हल्दी में हैपटोप्रोटेक्टिव गुण होता है, जो लीवर को सुरक्षित रखता
है। यह नेफ्रोप्रोटेक्टिव होती है जो किडनी को सुरक्षित करती है। हल्दी के सेवन से
खून के थक्के जमने की प्रक्रिया कम हो जाती है। हृदय रोग के लिये हल्दी अत्यंत
लाभदायक होती है। इसमें कार्डियोप्रोटेक्टिव तत्त्व पाये जाते है। पाचनतंत्र के
लिये हल्दी बहुत उपयोगी है। दांतों में सड़न को रोकने के लिये हल्दी का मंजन किया
जाता है।
हल्दी खाने से आँखों के लेंस के ऑक्सीकरण को कम करने में
मदद मिलती है। अतः यह मोतियाबिंद में भी मददगार हो सकती है। नाक से बहने वाले खून
को रोकने के लिये, साइनस को साफ
करने के लिये, सूंघने की क्षमता
को तेज करने के लिये हल्दी असरकारक होती है। श्वसन संस्थान की विभिन्न बीमारियों
के लिये हल्दी रामबाण औषधी है। हल्दी का तेल कई प्रकार के बैक्टीरिया को रोकता है।
हल्दी में एंटीवायरस गुण भी होता है, जो इंफेक्शन पैदा करने वाले कीटाणुओं से शरीर की रक्षा करता
है। कोरोना काल में हल्दी का कई प्रकार से उपयोग किया गया, जिससे लोगों के प्राणों
को बचाया जा सका।
त्वचा के लिये हल्दी एंटीसेप्टिक और जीवाणुरोधी का काम करती
है। त्वचा पर होने वाले विभिन्न रोगों को हल्दी की मदद से ठीक किया जाता है।
सनस्क्रीन और सौंदर्य प्रसाधनों में हल्दी का बहुत उपयोग किया जाता है। भारत में
शादी के समय हर दुल्हा-दुल्हन को हल्दी का लेप लगाया जाता है, जो एक आवश्यक परिपाटी है।
बड़े की उत्साह के साथ इस रस्म को मनाया जाता है। शारीरिक सौंदर्य के लिये हल्दी का
उपयोग आदिकाल से किया जा रहा है। राजस्थान के कई शहरों में शुद्ध हल्दी की सब्जी
गाय के घी में बनाकर सर्दियों के सीजन में घर-घर खाई जाती है। सर्दियों में होने
वाले सभी प्रीतिभोजों में हल्दी की सब्जी और बाजरी का सोगरा स्पेशल डिश के रूप में
परोसा जाता है।
गठिया रोग, गैस की बीमारी, लीवर को डीटॉक्स करने, मधुमेह में, सभी प्रकार की पाचन की बीमारियाँ, कैंसर आदि रोगों में इसका
उपयोग आदिकाल से किया जा रहा है। आयुर्वेद, ज्योतिषशास्त्र, तंत्रशास्त्र एवं अध्यात्म में हल्दी को महत्त्वपूर्ण माना
गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिये हल्दी का दान
किया जाता है। घर की बाउण्ड्री पर यदि हल्दी की रेखा बना दी जाये तो नकारात्त्मक
ऊर्जा घर में नहीं आ पाती है। विवाह में देरी होने पर बाल्टी में चुटकीभर हल्दी
डालकर उस पानी से नहाना चाहिये। बुधवार और गुरूवार के दिन भगवान गणेश को हल्दी की
माला चढ़ाने से लम्बे समय से अटका हुआ धन मिल जाता है। लाल कपड़े में हल्दी की गांठ
को बांधकर तिजोरी में रखने और पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है और
तिजोरी धन से भरी रहती है। किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व गणेशजी को हल्दी का
टीका लगावें और बची हुई हल्दी से अपने माथे पर तिलक लगाकर घर से प्रस्थान करें। इस
प्रकार हल्दी में औषधीय गुणों के साथ-साथ दैवीयगुण भी मौजूद रहते है।
इतनी महत्त्वपूर्ण हल्दी के उपयोग पर अमेरिका में पेटेंट
करने के लिये प्रयास किया गया। लेकिन भारत सरकार ने इसके विरूद्ध अपना दावा पेश
किया। दावे में यह बताया गया कि हल्दी के उपयोग के बारे में भारतीय ग्रंथों में
विवरण मिलता है। यह पेटेंट और ट्रेडमार्क ऑफिस (पी.टी.ओ.) ने 1994 में हल्दी के एंटीसेप्टिक
गुणों के लिये पेटेंट दे दिया गया था। इस पर भारत में बहुत बवाल मचा। भारत सरकार
की काउंसिल ऑफ सांइटिफिक एण्ड इण्डस्ट्रीयल रिसर्च (सी.एस.आई.आर.) ने मुकदमा लड़ा।
इसकी अगुवाई सी.एस.आई.आर. के तत्कालीन डायरेक्टर जनरल डॉ. आर. ए. मशेलकर ने की।
उन्होेंने यह प्रमाणित किया कि हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण भारत के पारंपरिक ज्ञान
में आते है। जिनका जिक्र भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है। इस प्रकार
अगस्त 1997 में उनके पेटेंट
को रद्द कर दिया गया। इस पूरे मुकदमें में 15000 डॉलर खर्च हुये लेकिन भारत का डंका पूरी दुनिया में बज गया।
परिणामतः तेरह वर्ष की लड़ाई के बाद अमेरिका ने माना की हल्दी सिर्फ भारत की है।
ज्ञात्वय हो कि अमेरिका में हल्दी पर पेटेंट दायर करने वाले दोनों वैज्ञानिक
भारतीय मूल के ही थे। जिनका नाम डॉ. सुमनदास और डॉ. हरिहर कोहली है। इसी प्रकार
भारत ने नीम और बासमती चावल की भी लड़ाई जीती है।
Turmeric is very good for health and available traditional knowledge is still very relevant.
ReplyDeleteभारत की धरती जगत जननी है कई प्रकार की अमृत तुल्य औषधीय भारत में पाई जाती है
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