एंटिवाइरस औषधि : त्रिकटु चूर्ण

             


आयुर्वेद विज्ञान में त्रिकटु चूर्ण सदियों पुरानी औषधि है। जिसका उपयोग कुछ उत्कृष्ट स्वास्थ्य लाभों के लिये किया जाता है। त्रिकटु चूर्ण तीन आवश्यक जड़ी बूटियों का मिश्रण करके चूर्ण बनाया जाता है। सोंठ, काली मिर्च और पीपली (पाईपर लोंगम) इन तीनों औषधीयों के चूर्ण को मिलाकर बनाई गई औषधी को त्रिकटु चूर्ण कहते है। ये तीनों जड़ी बूटियाँ अत्यधिक औषधीय महत्वपूर्ण तो होती ही है, साथ ही प्रभावी फाइटो केमिकल्स से भरपूर होती है। त्रिकटु चूर्ण में पोषण तत्त्व विद्यमान रहते है।

                त्रिकटु चूर्ण में ब्लड ग्लुकोज को कम करने की और बड़े हुये ल्यूपिड स्तर को कम करने की क्षमता होती है। त्रिकटु चूर्ण में लीवर की बीमारियों, लीवर की सूजन कम करने में, उल्टी को कम करने में, और बढ़े हुये थायराइड हार्मोन को कम करने की क्षमता होती है। इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते है। डायबिटीज को ठीक करने में भी त्रिकटु चूर्ण मदद करता है। अपने चिकित्सक की सलाह से इसका उचित प्रबन्धन करना चाहिए। लीवर का काम पित्त का उत्पादन करना, भोजन को पचाने में मदद करना, तथा शरीर में चीनी का भण्डारण करके ऊर्जा स्रोत के रूप में उपयोग किया जाता है। त्रिकटु चूर्ण लीवर एंजाइम और कार्य में सुधार करके लीवर पर सुरक्षात्मक प्रभाव डाल सकता है। त्रिकटु चूर्ण लीवर की सुरक्षा कर सकता है और अल्कोहलिक लीवर रोग जैसी परिस्थितियों में मदद करता है। इसमें और अधिक रिसर्च की आवश्यकता है। रोमेटाईल गठियाँ जोड़ो को प्रभावित करने वाली सूजन की बीमारी को त्रिकटु चूर्ण से प्रबन्धन कर सकते है।

                पाचन विकारों में त्रिकटु चूर्ण सुधार करने में मदद करता है। त्रिकटु में बीटा कैरोटीन, एसिटिक एसिड, प्रिपेरिल आदि जैसे फाइटो केमिकल्स के कारण इसमें वातरोधी प्रभाव (पेट फूलना कम करना) हो सकता है। अतः त्रिकटु चूर्ण में पाचन विकारों को दूर करने और आंतो में स्वास्थ्य सुधार करने की क्षमता होती है। परंपरागत रूप से त्रिकटु चूर्ण को शहद के साथ चटाने से खांसी और अस्थमा में आराम मिलता है। शरीर में बढे़ हुये वातदोष को संतुलित करने में त्रिकटु चूर्ण लाभदायी होता है। त्रिकटु चूर्ण एंटीवायरस होता है तथा शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। कोरोना के समय त्रिकटु का काढा लोगों को देकर बचाव किया गया था। आयुर्वेद में त्रिकटु बहुत सी औषधियों के लिये अनुपान का काम करता है। ऐसा माना जाता है कि त्रिकटु के साथ अनुपान के रूप में जिस औषधी के साथ सेवन किया जायेगा उस औषधी की पोटेंशी बढ़ जाती है।

               डायजेशन को बढ़ाने में, पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में जठराग्नि को उत्तेजित करने और भोजन से पोषक तत्त्वों का बेहतर अवशोषण करने में त्रिकटु रामबाण दवा है। शरीर में फेट डिपोजिट को कम करने में यह मदद करता है। श्वसन संस्थान के सभी रोगों में इसका उपयोग किया जाता है। रक्त परिसंचालन में सुधार करता है और पूरे शरीर में ऑक्सीजन को वितरण करने में सुधार करता है। कोलेस्ट्रॅाल को कम करने में यह एक शक्तिशाली हर्बल चूर्ण है। समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को बढ़ावा देने के लिये त्रिकटु चूर्ण एक सुरक्षित और प्रभावी तरीका है। यह एक उत्तम आयुर्वेदिक औषधी है।

               त्रिकटु के चूर्ण का अत्यधिक सेवन करने से बचना चाहिए। इससे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा कम हो सकती है तथा ल्यूपिड का स्तर भी कम हो सकता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं व गर्भवती महिलाओं को त्रिकटु चूर्ण के सेवन से बचना चाहिए। बच्चे और बुर्जुगों को योग्य चिकित्सक की सलाह से ही त्रिकटु का सेवन करना चाहिए।

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  1. Very useful information about traditional medicines.

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