ओजोन परत : पृथ्वी का सुरक्षा कवच
ओजोन की परत धरती के वायुमण्डल की एक मोटी परत है जो सूरज से सीधी आती किरणों को रोकती है। ओजोन की परत सूरज की खतरनाक अल्ट्रावायलेट किरणों को छानकर पृथ्वी पर भेजती है। यदि सूर्य की किरणें अल्ट्रावायलेट रेयज के साथ सीधी पृथ्वी पर आ जाएगी तो पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी, पेड़, पौधे, जीव, जन्तु और जानवर बीमार होकर समाप्त हो सकते है। इतनी खतरनाक अल्ट्रावायलेट रेयज को ओजोन की परत रोककर पृथ्वी पर पनपने वाले सभी जीव जगत की सुरक्षा करती है। ओजोन परत पृथ्वी का एक तरह से सुरक्षा कवच है। आजकल विभिन्न पर्यावरणीय दुष्परिणामों से ओजान लेयर क्षतिग्रस्त होती जा रही है। पूरे विश्व के लिये यह खतरे का संकेत है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा और 45 अन्य देशों ने मिलकर 19 दिसम्बर 1964 को ओजोन लेयर बचाने के
लिये एक सामूहिक संधी पर हस्ताक्षर किये। उसमें यह निर्णय लिया गया कि येन केन
प्रकारेण हम सबको मिलकर ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए जिससे ओजोन परत को नुकसान हो।
ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने से हमारा सबका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। संयुक्त
राष्ट्र महासभा ने 16 सितम्बर 1995 को पहली बार ‘‘वर्ल्ड
ओजोन डे‘‘ मनाया गया और उसके बाद से हर साल 16 सितम्बर को विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।
ओजोन परत धरती से 30 किलोमीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस परत की मोटाई कहीं कम
और कहीं ज्यादा होती है। बीते कुछ वर्षो से अत्यधिक प्रदूषण के कारण ओजोन परत को
क्षतिग्रस्त कर दिया गया है। किसी भी कारखाने में उत्पादन के समय यदि किसी जहरीली
गैस का उत्सर्जन होता है तो वह ओजोन लेयर को नुकसान पहुँचाता है। जैसेः-
क्लोरोफ्लोरोकार्बन, हैलोजेनेटेड
हाइड्रोजन, मिथाइल ब्रोमाइड
और नाइट्रस ऑक्साइड आदि। जिन परिवहन के साधनों का संचालन पेट्रोल और डीजल से होता
है उनसे निकलने वाली गैस भी ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती है। घरों में और कपड़े, बर्तन आदि साफ करने के
लिये विभिन्न प्रकार के खतरनाक केमिकल प्रयोग में लाये जाते है। इनसे निकलने वाली
जहरीली गैस भी ओजोन परत को क्षतिग्रस्त करती है। घर में लगे हुये एयरकण्डीशनर यदि
सही ढंग से काम नहीं करते है तो वायुमण्डल में सी.एफ.सी. गैस छोड़ते है, जो वायुमण्डल को प्रदूषित
करके ओजोन परत को नुकसान पहुँचाते है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस सदी के अंत तक पृथ्वी का
तापमान आधे से एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जायेगा। ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने के
कारण पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जायेगा। ओजोन परत से बिना छनी हुई हवा से सांस लेने
में अस्थमा पीड़ित लोगों को नुकसान होता है। इससे फेफड़ों की कार्यक्षमता कम हो सकती
है। साथ ही छाती में दर्द,
खांसी, गले में जलन और गले में
सूजन हो सकती है। ओजोन परत में काफी बड़ा छेद हो चुका है। यह पाँचवा मौका है। जब
आर्कटिक के ऊपर ओजोन परत में विशाल छिद्र देखा गया है। वैज्ञानिको को कई तरह की
चिंताऐं सता रही है।
अमेरिका की अंतरिक्ष ऐजेन्सी नासा से मिली तस्वीरों के आधार
पर रिपोर्ट कहती है कि ओजोन परत पर उत्तरी अमेरिका के आकार जितना बड़ा छिद्र हो
चुका है। इसका आकार 2.5 वर्गकिलोमीटर
आंका गया है। वैज्ञानिक 1980 से ओजोन परत में
हो रहे छिद्र का अध्ययन कर रहे है। वैज्ञानिक यह भी मानते है कि प्रदूषण और मौसमी
बदलाव की वजह से ओजोन परत को और ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। ऐसी स्थिति में
दक्षिणी धु्रव की बर्फ तेजी से गलने लगेगी, समुद्रों का जलस्तर बढ़ने लगेगा, तटीय इलाकों के डूबने से
करोड़ों लोगों को विस्थापित होना पड़ेगा। अतः इन देशों का आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक
ढांचा बिगड़ जायेगा।
ओजोन परत की सुरक्षा करना प्रत्येक व्यक्ति का परम कर्त्तव्य
है। ऐसे सभी तरीके अपनाने चाहिए जिससे ओजोन की परत सुरक्षित रह सके। संयुक्त
राष्ट्र महासभा समय-समय पर विभिन्न संगोष्ठियाँ करती है। विकासशील देशों को ग्रीन
एनर्जी के विकास के लिये विकसित राष्ट्र हर प्रकार की टेक्नीकल और आर्थिक मदद देने
का संकल्प कर चुकी है। ऐसे संसाधनों को बंद करना होगा या कम करना होगा जो
वायुमण्डल में पर्यावरण को नष्ट करते है। खनिज तेलों और खनिज कोयले से संचालित
होने वाले सभी प्रकार के उद्योग धंधों, बिजलीघरों आदि पर रोक लगनी चाहिए। उसकी जगह गैर परंपरागत
ऊर्जा के साधनों का उपयोग बढ़ाना होगा। कई वैज्ञानिकों का मत है कि यदि वातावरण में
जहरीली गैसों का उत्सर्जन कम होगा तो धीरे-धीरे ओजोन परत की भी मरम्मत होती जाएगी।
उसका छेद या तो बंद हो जाएगा या उसका क्षेत्रफल कम हो जाएगा। इस प्रकार पृथ्वी पर
जीवन बचा रहेगा। सबका प्रयास जल्दी परिणाम देता है।
Good article
ReplyDeleteTrue...we have seen the adverse impact of climate change during last few months in eastern part of india . Be aware....Thanks
ReplyDeleteVery useful information about Ojone layer.
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