सुपारी के चमत्कार
सुपारी की खेती भारत में आदिकाल से की जा रही है। सुपारी का पेड़ नारियल के पेड़ से लम्बा होता है। कर्नाटक में सबसे ज्यादा सुपारी का उत्पादन होता है। दूसरे नम्बर पर केरल और तीसरे नम्बर पर आसाम में सुपारी होती है। सुपारी का पौधा पतला और लम्बा होता है। अतः एक एकड़ में उसके 600 पौधे लग जाते है। सुपारी का उत्पादन चीन और दक्षिण पूर्वी एशिया में भी काफी मात्रा में होता है। लेकिन भारत विश्व के उत्पादन का 54 प्रतिशत उत्पादन करता है। भारत सुपारी का सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
सुपारी की नर्सरी तैयार करके खेत में रोंपाई की
जाती है। एक बार लगाने के बाद सुपारी का पेड़ 70 वर्ष तक पैदावार देता रहता है। इसके पेड़ नारियल के पेड़ से
मिलते-जुलते होते है। सुपारी के पेड़ की लम्बाई 50 से 70 फीट तक होती है। सुपारी का पौधा लगाने के पाँच से सात वर्ष
बाद पैदावार मिलना शुरू हो जाती है। सुपारी की खेती पर रिसर्च करने के लिये भारतीय
कृषि अनुसंधान परिषद् के संस्थान केन्द्रीय रोपण फसल अनुसंधान संस्थान कासरगोड
(केरल) के द्वारा सुपारी की हाईब्रीड प्रजातियाँ विकसित की गई है। जिनमें अधिक
उत्पादन मिलता है। सुपारी का औसत भाव 16000 रूपये प्रति कि्ंवटल रहता है। सुपारी की कई उन्नत किस्में
लोग लगाते है। जिसमें मंगला,
सुमंगला, श्रीमंगला, मोहित नगर आदि किस्में
प्रमुख है।
सुपारी का उपयोग हिन्दू रिवाजों में पूजा पाठ के
लिये किया जाता है। पूजा-पाठ की सामग्रियों में सुपारी का अपना अलग महत्व होता है।
खाने की सुपारी और पूजा-पाठ की सुपारी अलग-अलग होती है। खाने वाली सुपारी देखने
में गोल और बड़ी होती है। जबकि पूजा की सुपारी छोटी और थोड़ी लम्बी होती है। सुपारी
में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। सुपारी को ब्रह्मदेव, यमदेव, इन्द्रदेव और वरूणदेव का
प्रतीक माना गया है। किसी भी पूजा-पाठ को शुरू करने से पूर्व गणेश वंदना की जाती
है। सुपारी पर मौली लपेटकर उसे गणपति का रूप मानकर पूजा में स्थापित किया जाता है।
कर्मकाण्ड में ऐसा माना जाता है कि किसी भी प्रकार की ग्रह शांति की पूजा करते समय
पति-पत्नी का जोड़ा होना आवश्यक है। यदि इन दोनों में से कोई भी एक उपस्थित नहीं है, तो उसकी जगह सुपारी की
स्थापना की जाती है। ऐसा करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है।
सुपारी पर जेनेऊ चढ़ाकर
पूजने पर वह सुपारी गौरी-गणेश का रूप बन जाती है। इस सुपारी को अपनी तिजौरी में
रखने पर घर में लक्ष्मी स्थायी रूप से निवास करती है। पान के पत्ते पर सिंदूर में
घी मिलाकर स्वास्तिक बनावें। उस पत्ते पर मोली में लपेटी हुई सुपारी रखकर पूजा
करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सर्वांगीण विकास होता है। सभी अधूरे काम पूरे होने
लगते है। घर में मंगल कार्य शीघ्र होते है। चाँदी की डिबियाँ में अबीर लगाकर
सुपारी को पूजाघर में रखना चाहिए। इससे घर में सकारात्त्मक ऊर्जा बनी रहती है।
मांगलिक उत्सव के अवसर पर सुपारी को गणेश का रूप मानकर लाल कपड़े में बांधकर पूजाघर
में रख दें, जब आपका कार्य
सम्पन्न हो जाये तो उस सुपारी को गणेश मन्दिर में समर्पित कर दें। घर का कोई सदस्य
लम्बी तीर्थ यात्रा पर जायें, उसके सकुशल वापस आने तक सुपारी को तुलसी के गमले में गाड़
दे। तीर्थ से वापस आने पर उस सुपारी को धोकर मन्दिर में चढ़ा दें।
दीपावली या किसी श्रेष्ठ
मुहुर्त में किसी मन्दिर में एक सुपारी और तांबे का लोटा रख के आ जाएं। कुछ
दक्षिणा भी रखें। इस उपाय से देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। ज्योतिष और
तंत्र विद्या में विभिन्न मंगलकारी उपाय सुपारी के विस्तार से बताये गये है।
व्यापार बढ़ाने, रूके हुये कार्यो
को चलाने और शादी विवाह में आ रहे विलम्ब को दूर करने के लिये भी सुपारी के उपयोग
किये जाते है। तंत्र विद्या में भी सुपारी के विभिन्न प्रयोग किये जाते है।
आयुर्वेद में भी सुपारी
के बहुत उपयोग किये जाते है। सुपारी चबाने से पाचन संस्थान दुरस्त रहता है और
एकाग्रता बढ़ती है। सुपारी पान के साथ खाने का रिवाज लम्बे समय से चला आ रहा है।
सुपारी में दर्द निवारक तत्त्व मौजूद होते है। यह उल्टी को रोकती है। सुपारी को
पीसकर लगाने से स्किन के रोग दूर होते है। इससे गंजेपन की दवा भी बनाई जाती है।
सुपारी के सेवन से डायरिया की संभावना कम होती है। मूत्राशय संबंधी बीमारियाँ
सुपारी के काढ़े से दूर होती है।
महिलाओं के लिये सुपारी से सुपारी पाक बनाया जाता है। यह
टॉनिक की तरह काम करता है। ल्युकोरिया, बांझपन को ठीक करता है, गर्भाशय को मजबूत करता है और मासिक धर्म की समस्याओं का
इलाज करता है। आयुर्वेद में सुपारी का उपयोग पित और कफ रोग के इलाज, एनीमिया और मोटापे के
कारण होने वाले रोगों का इलाज किया जाता है। इस प्रकार सुपारी एक प्रभावशाली जड़ी
बूटी आयुर्वेद में कही गई है। सुपारी में विटामिन सी बहुत मात्रा में पाया जाता
है। सुपारी की खेती करके किसान बहुत अच्छा लाभ कमा रहे है।
A very interesting for the public & introduce about new crop production.....
ReplyDeleteNice contents
ReplyDeleteSir, very useful information to farmers. Thank you sir.
ReplyDeleteGood information about the plant
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