रेगिस्तान में कृषि पर्यटन (एग्रोटूरिज्म) पार्ट-6

               


     अपने खेत व ढाणी में कृषि पर्यटन उद्योग तीव्रगति से विकसित करने एवं पीढ़ियों तक निर्बाध गति से चलता रहे, विकसित होते रहें इसके तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा होगी।

                    हर किसान को अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिये अपना मोबाईल नंबर, ईमेल तथा वेबसाईट की जानकारी केटलॉग या विजिटिंग कार्ड के द्वारा पर्यटकों को अवश्य दें। जो भी पर्यटक आपके यहाँ से माल या सेवाएँ खरीदते है उनसे डिजीटल पेमेंट स्वीकार करने की सुविधा हो। अंतराष्ट्रीय पेमेंट कार्ड भी आपके पास होना चाहिये। आपके परिवार में बच्चों को इंटरनेट, वेबसाईट व ऑनलाईन मार्केटिंग की पूरी जानकारी जरूर करावें। यह ज्ञान आपके व्यापार को हजारों गुना बढ़ायेगा। जो भी सामान पर्यटक आपसे खरीदता है। उसको उनके दिये हुये पते पर डाक या कूरियर द्वारा भेजने की सारी सुविधा प्रोवाईड करानी चाहिये। उन वस्तुओं का पैकिंग फारर्वडिंग और कूरियर चार्जेज वे सहर्ष देते है। इस काम में पूरा ध्यान रखना चाहिये कि उनका सामान सुरक्षित, समय पर और पूरा उनके पते पर डिलीवर हो जाये।

        अपनी वेबसाईट बड़ी आकर्षक बनाकर उसका प्रचार-प्रसार धड़ल्लें से करना चाहिये। वेबसाईट में सभी प्रकार की जानकारी जो आप पर्यटक को देना चाहते है स्पष्ट रूप से होनी चाहिये। किसी भी प्रकार की भ्रांति पैदा नहीं होनी चाहिये। वेबसाइट में डालने के लिये फोटोग्राफी प्रोफेशनल फोटोग्राफर से ही करानी चाहिये। उसमें छोटे बच्चों की, पालतू पशुओं के बच्चों की, अपने खेत में होने वाले विभिन्न फूलों, फलों, मसालों आदि की खेत में बडे़ पैमाने पर उगाये जाने वाले मेडिशनल प्लांट्स की संक्षेप में उन प्लांट्स की मेडिशनल वैल्यू भी खेतों में घूमने वाली विभिन्न प्रकार की चिड़िया और मोर की उच्च गुणवत्ता की फोटो के साथ-साथ कुछ विडियों भी वेबसाईट में डालते रहें। जो विजिटर आते है। उनकी फोटो और कमेन्टस भी जरूर लिखें। वेबसाईट को अपडेट करते रहें।

        अपनी ढाणी के बारे में सारी जानकारी व विशेषतायें स्थानीय और राष्ट्रीय लेवल तक पर्यटन विभाग को अवगत कराते रहें। उन अधिकारियों को भी समय मिलने पर अपनी ढाणी में आमंत्रित करें, उनको बड़ा अच्छा लगेगा। पर्यटन विभाग अपने खेत और ढाणी का प्रचार-प्रसार करेंगें। पर्यटन क्षेत्र में सरकार के द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं की भी आपको समय-समय पर जानकारी देंगें।

                    पर्यटन व्यवसाय में टूरिस्ट गाईडों का बहुत बड़ा रोल होता है। स्थानीय टूरिस्ट गाईडों से संपर्क करके उनको अपनी ढाणी में वर्ष में एक-दो बार सीजन शुरू होने से पहले मीटिंग जरूर रखें। उस मीटिंग में उनकों सारी जानकारी प्रदान करें। साथ ही बीच-बीच में उनके अमूल्य लाभ और सलाह इस उद्योग को बढ़ाने के लिये जरूर आमंत्रित करें। उनके सुझावों पर गंभीरता से मनन करें। मीटिंग के दौरान उनका स्वागत बहुत अच्छे ढंग से करें। चार-पाँच घण्टे के कार्यक्रम में उनके लिये स्वादिष्ट भोजन और पेय पदार्थो की अच्छी व्यवस्था करें। रेगिस्तान के ट्रेडिशनल फूड दाल-बाटी चूरमा, कढ़ी-सोगरा, पचकूटा और गट्टे की सब्जी, खेत में पैदा हुऐ फल और सब्जियाँ आदि से ही स्वागत करें। जाते समय सभी गाइड्स को अपने खेत में उत्पादित वस्तुओं का गिफ्ट पैक बनाकर जरूर भेंट करें जो उन्हें हमेशा याद रहेगा। इन सभी कामों से आपके यहाँ पर्यटकों का धीरे-धीरे तांता लगना शुरू होगा और आपका कृषि पर्यटन व्यवसाय तीव्रगति से बढ़ता जायेगा। समय बीतने पर आपको भी नये-नये अनुभव होगें। जो भी कमियाँ आपको नजर आवें, गाईड और पर्यटक आपको फीडबैक दें उसके अनुसार सुधार करते रहें तो यह उद्योग आपके लिये सोना बरसाने जैसा होगा। इस प्रकार के कई प्रोजेक्ट छोटे-छोटे रूप में व्यक्तिगत स्तर पर कुछ लोग कर रहे है। वे काफी सन्तुष्ट है।

                    मैनें अरावली की पहाड़ियों में गणपत सिंह को देखा है जिसके पास दस-पन्द्रह घोडे़ है। उन घोड़ां पर पर्यटकों को बैठाकर पहाड़ो में जंगल सफारी कराता है। कई बार नाईट कैंप भी करता है। इनको खाने पीने की सुविधाओं को पूरी हॉस्पिटैलटि उपलब्ध कराता है। जिसका वह अच्छा खासा दाम अर्जित करता है। एक सज्जन का पहाड़ों में 50 बीघे का फार्म है। जहाँ पर वह ऑर्गेनिक खेती करता है। मैं वहाँ पर गया देखा एक विदेशी महिला कुऐं से पाईप द्वारा गिरते हुये पानी की आवाज से मुग्ध होकर वहीं पुस्तक पढ़ती रहती है। उन्होनें बताया कि यह महिला एक महिने तक यहाँ स्टे करती है और कभी-कभी मेरी जीप से आस-पास के दर्शनीय स्थान घुमाकर ले आता हूँ। इस प्रकार के कई प्रोजेक्ट पहाड़ी क्षेत्रों में लोग चलाते रहते है। लेकिन रेगिस्तान में एग्रोटूरिज्म का जिस प्रकार के प्रोजेक्ट का ढांचा इन ब्लॅागस में वर्णित किया है वह बहुत आसान और लाभदायक है। यह कई पीढ़ियों तक चलने वाला उद्योग है। कृषि पर्यटन आयकर से मुक्त है। यह प्रोजेक्ट जिसको भी उचित लगे अपनी इच्छानुसार कम ज्यादा करके या परिवर्तित करके चालू कर सकते है।

                    खेत में पैदा होने वाली उपज तो हमारी ही सम्पदा है। पर्यटक तो केवल देखने का आनन्द लेता है और बदले में हमें पैसा देता है। इस प्रकार इस पर्यटन। उद्योग में आम के आम व गुठलियों के भी दाम वाली कहावत चरितार्थ होती है।

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