रेगिस्तान में कृषि पर्यटन (एग्रोटूरिज्म) पार्ट-5

                     


रेगिस्तान में कृषि पर्यटन बहुत बड़ा सेक्टर है। प्रतिवर्ष कृषि पर्यटन से करोड़ों डॉलर की आय प्राप्त होगी। जिसमें किसान, टैक्सी वाले, होटल वाले, टूर गाईड, रेस्टोरेन्ट वाले, हस्तकला की वस्तुऐं बनाने वाले व राज्य व केन्द्र सरकार को इस आय में से अपना-अपना हिस्सा मिलेगा। कृषि पर्यटन से यदि प्रत्येक पर्यटन का दो या तीन नाईट का ठहराव भी बढ़ जाता है तो यह रेगिस्तान के विकास में बहुत सहायक होगा। किसानों का जीवनस्तर ऊपर उठेगा। उनके पढ़े-लिखे बच्चों का विदेशी पर्यटकों के साथ इंटरेक्शन धीरे-धीरे नजदीकियाँ लायेगा। एक दूसरे की संस्कृति को समझने में मददगार होगा। अधिक मित्रता होने पर, यह मित्रता अच्छे परिणाम लायेगी। कृषि पर्यटन द्वारा कृषि क्षेत्र का निर्यात बढ़ेगा। जिससे किसान की आय में बढ़ोतरी होगी।

         हर ढाणी में एक छोटा मंदिर या चबूतरा होता है। चबूतरे पर किसान के ईष्ट देव की मूर्ती होती है। सवेरे व सांय संध्याकाल में घण्टे घड़ियाल को साथ सस्वर आरती शोभा देती है। यहाँ पर हर पूर्णिमा के दिन कथा होती है। जिसको सुनने के लिये आसपास की ढाणियों के सभी किसान व महिलायें इक्ट्ठा होती है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को दिन में महिलायें चार घण्टे तक कीर्तन करती है व रात को आठ बजे से ग्यारह बजे तक पुरूषों द्वारा भजन गाने का कार्यक्रम होता है।

          विदेशी पर्यटकों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो, इसका पूरा-पूरा ध्यान रखना जरूरी है। मेहमानों को आतिथ्य सत्कार से इतना प्रभावित करें कि उनका मन बार-बार वापस आने का करें और जितनी बार भी आवें आपके साथ अधिक से अधिक समय व्यतीत करने का प्रयास करें। आपकी ढाणी और खेत सम्पूर्ण रूप से ईको फ्रेण्डली होना चाहिये। कहीं पर भी प्लास्टिक की थैली, ऐसी कोई सामग्री जिससे पर्यावरण को नुकसान होता हो, पानी, भूमि और हवा को प्रदूषित करती हो ऐसी कोई क्रिया न हो इनका पूरा-पूरा बारीकी से ध्यान रखना चाहिये। पुरूषों, महिलाओं और बच्चों की वेशभूषा परंपरागत और साफ-सुथरी होनी चाहिये।

        पश्चिमी राजस्थान में किसानों के पास खेत बड़े-बड़े होते है। उन खेतों में भम्रण कराने के लिये अपने साधन होने चाहिये। सजी हुई बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी या ऊँटगाड़ी में उनको बैठाकर खेतों का भम्रण कराना चाहिये। गाईड को साथ रखें ताकि वह भी पर्यटकों को अच्छी तरह से समझा सके। वैसे पर्यटक भाषा के अभाव में भावनाओं से भी बहुत कुछ समझ जाते है। फोटोग्राफी करने पर ऐतराज न करें। लेकिन उन्हें यह भी प्रार्थना करें कि जो फोटो खीचें उनको वाट्सएप या ईमेल के द्वारा आप तक पंहुचा दें।

          पर्यटक आने पर गाईड की मदद से विजिटर रजिस्टर में उनकी एंट्री जरूर करावें तथा वापस जाने पर उसमें उनका फीडबेक लिखने की भी विनती करें। यह डॉक्यूमेन्ट भविष्य में आपके काम आयेगा। ज्यादातर पर्यटक सर्दी के मौसम में ही रेगिस्तान में आते है। सीजन के अनुसार उनको गर्मागर्म पेय पदार्थ और भोजन सामग्री परोसनी चाहिये। वेजीटेबल सूप जो विभिन्न प्रकार की रेसिपी से बनते है तथा हर्बल टी विभिन्न प्रकार की आते ही सर्व करनी चाहिये। छोटे बड़े सभी चम्मच लकड़ी के हो। ईधन के लिये लकड़ी या गोबर गैस प्लांट से आने वाली गैस (यदि उपलब्ध हो) का ही उपयोग करना चाहिए। हर किसान को अपने यहाँ उत्पादित या अड़ोस-पड़ोस के किसान जो केवल ऑर्गेनिक खेती करते हों उनके प्रोड्क्ट आप बिक्री के लिये प्रस्तुत कर सकते है। विभिन्न प्रकार की दालें व साबुत अनाज, मसालें, हाथ की चक्की से पीसे मसालें बढ़िया पैकिंग करके ब्रिकी के लिये रखें। पैकेट के ऊपर ऑर्गेनिक, यदि सर्टिफाईड हो तो सर्टिफाईड ऑर्गेनिक, मैन्यूफैक्चरींग की तारीख, एक्सपायरी तारीख, हैण्डल करने का तरीका, वजन, लॉट नम्बर तथा कीमत प्रिंट होनी चाहिये। इस पूरे काम में पूरी पारदर्शिता रखनी चाहिये। ऐसे प्रोडक्ट उनको खरीदने में रूचि रहती है।

        हमारे गांवों में हस्तकला में निपुर्ण कारीगरों की बहुतायत होती है। मिट्टी के बर्तन व खिलौने बनाने वाले, दरी और कम्बल बनाने वाले, खूबसूरत कशीदाकारी करने वाले, लकड़ी की मूर्तियाँ और खिलौने बनाने वाले आदि कारीगरों को अपने खेत में रहने की और अपनी कला को प्रदर्शित करने की तथा उन्हें बिक्री करने की सुविधा देंगे तो आपकी ढाणी में पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। राजस्थान में सुन्दर-सुन्दर पेटिंग बनाने वाले पेण्टर भी काफी है। उन्हें आपके यहाँ एक काउण्टर प्रदान करें। जहाँ पर वे तरह-तरह की पेंटिंग्ज बनाकर बिक्री के लिये डिस्प्ले कर सकें। बहुत से कलाकार आशु चित्रकार होते है। जो किसी व्यक्ति को अपने सामने बैठाकर 5 से 10 मिनट में पेंसिल की सहायता से उसका हू-बहू चित्र बना सकते है। हाथ से बना हुआ अपना ही रेखा चित्र देखकर कौन अपना चित्र नहीं खरीदना चाहेगा? इस प्रकार के चित्रकार के काउण्टर पर हर एक पर्यटक अपना रेखाचित्र बना कर साथ ले जाना चाहेगा। धीरे-धीरे इस प्रकार के कई आईटम के काउण्टर आप पर्यटकों के मनोरंजन के लिये बढ़ा सकते हैं जैसेः- कठपुतली शो, मैजिक

        शो, लोक वाद्ययंत्र बजाने वाले, शहनाई, अलगोजा, बांसुरी, पूंगी, रावणहत्था बजाने वाले लोक कलाकारों को धीरे-धीरे स्थान दे सकते है। जो आपके लिये भविष्य में काम आयेगा। अगले ब्लॉग में इस उद्योग को अपनी ढाणी व खेत में और कैसे बढ़ाकर पैसा व नाम कमा सकते है? इसकी विस्तार से चर्चा करेंगे। आप पर्यटकों की फोटो उनकी आज्ञा लेकर जरूर खींचे। उसका डिजीटल एलबम अपने पास बनाकर रखें।

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