शहद
शहद या मधु एक मीठा अर्ध तरल पदार्थ होता है। जो पौधां के फूलों के रस से मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया जाता है। यह अत्यधिक मीठा होता है। अधिकतर इसका प्रयोग औषधि के रूप में होता है। भारतवर्ष में शहद का प्रयोग अधिकतर औषधि के रूप में अनुपान की तरह किया जाता है। भारत की अपेक्षा पश्चिमी राष्ट्रों में शहद दैनिक भोजन में अधिक खाया जाता है। शहद में कई प्रकार के मिनरल्स, विटामिन व पोषक तत्त्व पाये जाते है।
भारतवर्ष में शहद
कई नाम से तैयार की जाती है। जैसेः- लीची की शहद, बरसीम की शहद, अल्फा अल्फा की शहद आदि। अलग-अलग पौधां से
प्राप्त होने वाला शहद अलग-अलग रंग का होता है। जैसेः-कपास के फूलों का सफेद रंग, सफेदा के फूलों का सफेद
रंग, रबड़ सरसों व लीची
का सुनहरा रंग, बरसीम, जामुन और शीशम का अम्बर
और गहरा अम्बर रंग होता है। इसी प्रकार अलग-अलग पुष्पों से आया हुआ शहद सुगंध और
स्वाद में भी अलग-अलग होता है।
शहद का उपयोग मोटापा कम
करने के लिए काम में लिया जा रहा है। शहद के प्रयोग से सूजन और दर्द भी कम होता
है। घाव पर शहद की पट्टी बांधने से घाव जल्दी भरता है। शहद एक तुरंत ऊर्जा देने
वाला आहार है। दूध के साथ मिलाकर शहद संपूर्ण आहार बन जाता है। यह सभी आयुवर्ग के
लोगों के लिए लाभदायक होता है। वैज्ञानिकों का मत है कि एक किलो शहद से प्राप्त
ऊर्जा की तुलना 65 अण्डों, 13 किलो दूध, 19 किलों हरे मटर, 13 किलो सेव और 20 किलो गाजर के बराबर होता
है।
हिंदू धर्म के प्राचीन
ग्रंथ ऋग्वेद में शहद और मधुमक्खियों के बारे में महत्त्वपूर्ण वर्णन मिलता है।
विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में शहद का प्रयोग करना आवश्यक है। पूजा के समय बनाये
जाने वाले पंचामृत मेंं शहद का प्रयोग किया जाता है। हिन्दू धर्म के साथ-साथ
इस्लाम, यहुदी धर्म, जैन धर्म आदि सभी धर्मो
में शहद का उपयोग बताया गया है।
शहद के उत्पादन में चीन
का स्थान सर्वोपरि है। भारत में प्रतिव्यक्ति शहद की खपत 25 ग्राम प्रतिवर्ष होती है
जबकि जर्मनी और स्विजरलैण्ड में डेढ़ किलो व अमेरिका में एक किलो प्रतिव्यक्ति
प्रतिवर्ष खपत होती है। भारत में कई बड़ी कम्पनियां अपने-अपने ब्रांड से शहद बेच
रही है।
शहद एन्टीबैक्टीरियल, एन्टीफंगल और
एन्टीऑक्सीडेन्ट गुणों से भरपूर होती है। यह चेहरे पर और स्किन पर लगाने से अधिक
फायदा करती है। चेहरे पर दिखने वाली झाँईया, एकने,
पिंपल्स, टेंनिंग को कम करने मे
शहद असरदार होती है। ड्राई स्किन पर नमी लाती है। फेसपैक के रूप में शहद का उपयोग
होता है। एक चम्मच नींबू रस के साथ एक चम्मच शहद का पेस्ट बनाकर 20 मिनट तक फेसपैक लगाया
जाता है। शहद के साथ एलोवेरा का 15 मिनट तक फेसपैक लगाया जाता है। रात को स्किन पर शहद लगाने
से ब्लैकहैड्स और व्हाइट हैड्स समाप्त हो जाते है। सनबर्न में शहद बहुत फायदा करता
है। शहद लगाने से त्वचा का पी.एच. मान बैलेंस होता है और ड्राई स्किन के लिए
प्रभावी उपचार है। समय से पहले होने वाली झुर्रियों की समस्या नहीं होती है इस
प्रकार त्त्वचा के सौंदर्य के लिए शहद रामबाण औषधि है।
शहद खून में आर.बी.सी को बढ़ाता है। रक्तचाप में
शहद लाभकारी होता है। कीमोथेरेपी के मरीज इसका प्रयोग करते है तो डब्लूबीसी की
संख्या कम होने से रोकता है। जिस प्रकार चीनी नुकसान करती है शहद नुकसान नहीं करता
है। शहद एन्टीबैक्टीरियल और ऐन्टिसेप्टिक होती है। अनार के रस के साथ शहद का
प्रयोग करने से हदय मजबूत होता है। शहद के साथ काली मिर्च खाने से सर्दी जुकाम और
बंद नाक में आराम मिलता है। शक्कर की जगह यदि हम शहद का प्रयोग करते है तो हमारे
शरीर की इम्यूनिटी बढ़ेगी और पाचन संस्थान भी मजबूत होगा। अतः शहद का नियमित सेवन
स्वास्थ्य वर्धक होता है। प्रतिदिन कम से कम 40 से 50 ग्राम शु़द्ध
शहद का सेवन करना चाहिए। खाने-पीने की चीजों में काफी मिलावट की जाती है। शहद भी
मिलावट से अछूती नहीं है। सावधानी पूर्वक विश्वसनीय शहद ही खरीद कर उपयोग करनी
चाहिये। रेगिस्तान में विभिन्न प्रकार के फ्लोरा का रस चूस कर मधुमक्खियां उत्तम
गुणवता का शहद निर्माण करती है। जंगलों से लाया गया शहद उत्तम होता है।
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