मंगल कलश
हिन्दू धर्म में कलश को बहुत ही शुभ माना जाता है। गृह प्रवेश, नवरात्रि पूजन, दीपावली, यज्ञ, अनुष्ठान, विवाह आदि सभी मांगलिक कार्यो को शुरू करने से पहले कलश को स्थापित किया जाता है। कई लोग अपने पूजा घर में हमेशा कलश को स्थापित करके रखते है। घर में कलश की स्थापना करना अति लाभकारी माना जाता है।
घर में सुख और समृद्धि बनाये रखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है। समुंद्र मंथन के समय कलश के अन्दर ही अमृत था। अतः कलश को अमृत की तरह माना जाता है। मंगल कलश समुंद्र मंथन का भी प्रतीक होता है। कलश के अन्दर जल भरकर उसके ऊपर नारियल रखने से घर की सुख और समृद्धि सदा बनी रहती है। जिस घर में मंगल कलश की स्थापना करके प्रतिदिन पूजन किया जाता है, उस घर के सभी सदस्य रोग मुक्त रहते है। कलश को हमेशा मन्दिर के ईशान कोण में रखना चाहिए। ईशान कोण में स्थापना करने से घर में सुख और समृद्धि का वास होता है।
कलश को पूजा घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। कलश के ऊपर लाल रंग की मौली भी बांधी जाती है। कलश के ऊपर नारियल रखकर स्वास्तिक का निशान कुमकुम से बनाना चाहिए। इस प्रकार जल भरा हुआ नारियल सहित कलश घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांत वातावरण का निर्माण करता है। दीपावली के अवसर पर माँ लक्ष्मी की पूजा करते समय कलश की स्थापना जरूर की जाती है। कलश में लक्ष्मी का वास भी माना जाता है इसलिए पूजा घर में मंगल कलश होने पर घर में सदा धन की वर्षा होती रहती है।
घर में मंगल कलश की स्थापना करने से व्यापार में वृद्धि, वास्तुदोष निवारण, सकारात्मक ऊर्जा का संचार, धन-धान्य की वृद्धि व ग्रह-बाधा दूर होती है। मंगल कलश घर में, आफिस में, फैक्ट्री में आदि कहीं भी रख सकते है। कलश में हमेशा गंगा जल भरकर रखना चाहिए। कलश में सदैव गंगाजल के अन्दर दशाऔषधि, पीली सरसों, मूंग, चावल (सप्तधान्य) सोना, चाँदी आदि सप्तधातु, सिक्का आदि डालना चाहिए। कलश के मुहँ के ऊपर पाँच, सात या ग्यारह आम के पत्ते रखकर उस पर नारियल रखना चाहिए। आम के पत्ते नीचे से जल में डूबें रहने चाहिए। मंगल कलश के चारों ओर शुद्ध लाल कपड़ा बांधना चाहिए उसके ऊपर धागा लपेट देना चाहिए।
मंगल कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में भगवान ब्रह्या वास करते है। भारतीय ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र में कलश का अत्यधिक महत्त्व है। इसे मंगल कामनाओं का प्रतीक भी माना जाता है। कई जगह घर के बाहर भी कलश रखने का विधि-विधान है। ज्योतिष के अनुसार मंगल कलश शुक्र और चंद्र ग्रह का प्रतीक है। आम के पत्तों का संबंध बुध ग्रह से होता है। क्यांकि कलश का सम्बन्ध सम्पन्नता से होता है अतः दरवाजे के पास रखा कलश घर में सुख-समृद्धि लेकर आयेगा और बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकेगा। कलश की स्थापना करने से पूर्व पाटे पर अष्टदल कमल अवश्य बनाए। मंगल कलश की अक्षत, पुष्प और रोली से पूजन करे।
कलश का निर्माण सोना, चाँदी, ताँबा या मिट्टी से किया जाता है। कलश में भरा पवित्र जल इस बात का संकेत है कि हमारा मन भी जल की तरह हमेशा शीतल, स्वच्छ एवं निर्मल बना रहे। मान्यता है कि कलश के जल में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं और सभी तीर्थो का वास होता है। कलश में नारियल रखने से पहले कलश के ऊपर एक कटोरी में जौ, गेहूँ या धान भरकर रखना चाहिए।
इस प्रकार मंगल कलश सभी पूजा-पाठ और त्यौहारों में अवश्य स्थापित करना चाहिए।
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