चंदन

            


 चंदन को माथे पर शीतलता के लिए लगाया जाता है। चंदन के बिना किसी भी देवी देवता की पूजा अधूरी मानी गई है। भगवान विष्णु को तिलक लगाने एवं इसकी माला बनाकर जाप करने के लिए चंदन का प्रयोग होता है। चंदन तीन प्रकार का होता है: सफेद चंदन, लाल चंदन और गोपी चंदन। इनमे से सफेद चंदन और लाल चंदन पेड़ की लकड़ी से प्राप्त होते है। माथे पर चंदन का तिलक सभी आपदाऔ से रक्षा होती है। सफेद चंदन की माला से महासरस्वती, महालक्ष्मी, गायत्री मंत्र, विष्णुसहस्त्र नाम आदि मंत्रों का जाप किया जाता है। लाल चंदन से दुर्गा माता, सूर्यदेव, मंगल गृह आदि की उपासना की जाती है।

गोपी चंदन भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय होता है अतः लोग पहले इस चंदन को कृष्ण भगवान को समर्पित करके अपने माथे पर लगते है। कहा जाता है की प्रतिदिन गोपी चंदन के तिलक का धारण करने वाला कोई भी मनुष्य हो, भगवान कृष्ण उसको अपनी शरण मे रखते है।

चंदन की लकड़ी का उपयोग मूर्तिकला व अन्य सजावटी सामान बनाने मे किया जाता है। चंदन से अगरबत्ती, हवन सामग्री, इत्र, औषधि, साबुन एवं पूजन सामग्री बनाई जाती है। चंदन मे एंटी इन्फ्लैमटरी और एंटी बैक्टिरीअल तत्व होते है।

आजकल भारतवर्ष के कई राज्यों मे इसकी खेती बड़े पेमाने पर होने लग गई है। इसके पौधे हर बड़ी नर्सरी मे मिल जाते है। इसके पौधों को लाल बलूई चिकनी दोमट मिट्टी के आवश्यकता होती है। बहुत अधिक ठंडक इसका पौधा सहन नहीं करता है। बहुत कम सिंचाई मे ये पौधा पनप जाता है। अच्छी धूप इस पेड़ को पसंद है। राजस्थान मे इसके पौधे जुलाई-अगस्त मे या फरवरी मे लगाए जाते है। चंदन का पौधा अकेला नहीं पनप सकता। इसके आस पास ऐसे पौधे लगाए जाते है जो चंदन को भोजन बना कर देते रहे जिन्हे होस्ट प्लांट कहते है। अच्छी लकड़ी के लिए चंदन की कटिंग दस से बारह वर्ष बाद की जाती है। कुछ लोग इसको चालीस साल तक भी रखते है।

चंदन का आयुर्वेद मे बहुत महत्व है। घरेलू उपचार मे भी इसका प्रयोग आदि काल से किया जा रहा है। चंदन चेहरे की सूजन, लालीमा और जलन के लिए लाभदायक है। सौरिसिस एवं एक्ज़िमा जैसी बीमारियों मे भी इसका प्रयोग करते है। पेट का अल्सर, बुखार, दांतों के रोग आदि मे भी इसकी औषधि बनती है। चंदन की खुशबू से मानसिक तनाव कम होता है। आदि काल से चंदन का इत्र, सौन्दर्य प्रसाधन एवं अनोखी खुशबू के लिए प्रयोग किया जाता है।

चंदन का धार्मिक महत्व बहुत है। हर घर मे पूजा मे चंदन की लकड़ी, चंदन का लेप और चंदन के इत्र का प्रयोग किया जाता है। शिवलिंग के अभिषेक एवं विष्णु भगवान की पूजा मे चंदन का प्रयोग किया जाता है। देवी की उपासना मे लाल चंदन का उपयोग होता है। ज्योतिष मे कई ग्रहों के समाधान के लिए चंदन काम आता है।

चंदन की खेती बहुत अधिक लाभ देने वाली होती है। इसलिए आजकल कई लोग इसका वृक्षारोपण अपने खेतों मे कर रहे है। हमारे देश मे मैसूर का चंदन विश्व प्रसिद्ध है जो कर्नाटक, तमिल नाडु एवं केरल के कुछ जिलों के जंगलों मे बहुतायत से पाया जाता है। आजकल गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान आदि प्रांतों मे बड़े किसान बड़े पेमाने पर इसका वृक्षारोपण कर रहे है। 

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