शंख


                 भगवान विष्णु के दाहिने ऊपरी हाथ मे शंख शोभायमान होता है । यह समुद्री जीव के द्वारा बनाया गया एक ढांचा (कवच) होता है जो दक्षिणवर्ती व वामवर्ती होता है । हिन्दू धर्म मे आदि काल से यह अतिपवित्र व धर्म का प्रतीक माना गया है। धार्मिक अवसरों पर इसको बजाया  जाता है ।  ऐसा माना जाता है की शैव मत मे पूजा मे वर्जित है । भगवान श्री कृष्ण का शंख पांचजन्य, अर्जुन का देवदत्त, भीम का पौणड्र, युधिस्ठthiर का अनंतविजय, नकुल का सुघोष व सहदेव का मणि पुष्पक शंख महाभारत काल मे वर्णित किए गए है ।  भगवान विष्णु द्वारा धारण किया गया शंख  ध्वनि का प्रतीक माना गया है । शंख की ध्वनि को ॐ की ध्वनि के समान ही माना गया है यह नकारात्मक ध्वनि को समाप्त कर सकारात्मक ध्वनि की स्थापना करता है। घर मे ऐरावत शंख रखने से घर का वस्तु सही रहता है। ऐसा माना जाता है कि घर के मुख्य द्वार पर शंख रखने से किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा घर मे प्रवेश नही करती है।

        पूजा पाठ मे शंख का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इसमे माता  लक्ष्मी का वास होता है, ऐसा विष्णुपुराण  मे कहा गया है। शंख के कई प्रकार होते है जैसे कामधेनु शंख, यह गाय  के मुख जैसा होता है, इसको घर मे रखने व पूजा करने से माँ लक्ष्मी की कृपा होती है। भगवान गणेश की पूजा मे गणेश शंख रखने का विशेष महत्व होता है, इससे काम मे आ रही बाधाए दूर होती है व आर्थिक समस्याओ से भी छुटकारा मिलता है। मोती शंख घर मे रखने व पूजा करने से घर के सदस्यों का शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। ऐरावत शंख, घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है इससे घर मे नकारात्मक ऊर्जा नही आ पाती है। घर मे मणिपुष्पक शंख की पूजा करने से यश व मान – सम्मान की प्राप्ति होती है व उच्च पद की भी प्राप्ति होती है। सभी शंखों मे दक्षिणावर्ती शंख विशेष माना गया है, क्योंकि इसकी पूजा करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

        आयुर्वेद के अनुसार शंख की भस्म का उपयोग पेट की बीमारियाँ, पथरी, पीलिया आदि कई  बीमारियों मे किया जाता है। शंख बजाने से फेफड़े का व्यायाम होता है। पुराने वैद्य इसकी भस्म को कैल्सीअम के पूरक के रूप मे उपयोग करते थे। इसका सेवन शहद के साथ करने की सलाह दी जाती है। इसमे क्षारीय गुण होता है जो अत्यधिक अम्लता को निष्क्रिय करने मे मदद करता है। यह एक ठंडी प्रकृति का होने के कारण पेट की गर्मी को मिटा है। यह गैस व सूजन तो मिटाने मे मदद करता है। एक्सपर्ट वैद्य की सलाह से ही इसका प्रयोग करना चहएए।  शंख भस्म सभी आयुर्वेदिक दवाइयों की दुकानों पर व ऑनलाइन भी उपलब्ध होती है।

        शंख इसलिए भी शुभ माना गया है क्योंकि माता लक्ष्मी व भगवान विष्णु दोनों ने ही इसे धारण किया हुआ है। ऐसी मान्यता भी है की घर मे शंख स्थापित करने पर उस घर मे माता लक्ष्मी का वास होता है। धार्मिक ग्रंथों मे शंख को माता लक्ष्मी का भाई बताया गया है क्योंकि लक्ष्मी की तरह शंख भी समुद्र मंथन मे चौदह रत्नों के साथ निकला था। सनातन धर्म मे प्रचलित मान्यताए आध्यात्म तो होती ही है साथ ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक एवं जीवो को सुखी संपन्न बनाने मे सहायक होती है। सभी तीर्थ स्थानों पर व ऑन लाइन शंख उपलब्ध है।     

Comments

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे