मिल्क थिस्टल

           


     मिल्क थिस्टल एक झाड़ी नुमा कंटीला पौधा होता है। इस पौधे के सभी अंगों पर कांटे होते है। यह दो फुट से चार फुट तक की ऊंचाई वाला पोधा है। कई जगह पर रबी की फसलों मे ये खरपतवार के रूप मे भी देखा जा सकता है। इसके लाल और गुलाबी रंग के पुष्प बहुत आकर्षक लगते है। यह फूल पकने पर एक गेंद का रूप लेता है। उस गेंद मे गेंहू के दाने के जैसे बीज पाए जाते है। इन बीजों का औषधि मे उपयोग किया जाता है। लिवर की बीमारियों मे, त्वचा की बीमारियों मे, कोलेस्ट्रॉल कम करने मे, वजन घटाने मे, ऐलर्जी मे एवं इंसुलिन परटोरोध को कम करने मे काम मे लिया जाता है। मिल्क थिस्टल का प्रयोग कैंसर और डाइअबीटीज़ मे भी किया जाता है। यह एक डाइइटेरी सप्लीमेंट है जो हेपटाइटिस, पीलिया और पंचन संस्थान के लिए उपयुक्त होता है। यह मस्तिसक रोगों और माताओं के दुग्ध वर्धक के रूप मे भी काम आता है। मिल्क थिस्टल वजन कम करने की प्राकर्तिक औषधि है।

        भारत वर्ष मे पिछले कई वर्षों से इसकी खेती की जा रही है। ऑक्टोबर, नवंबर मे इसको बोया जाता है और फरवरी मार्च तक यह फसल तयार हो जाती है। पके हुए फूलों को कटर की सहायता से फूलों को काटकर इसके बीजों को निकाल लिया जाता है। इस फसल को केवल चार पाँच हल्की सिंचाई की आवयशक्ता होती है। हल्की और भारी दो मठ मिट्टी इसकी खेती के लिए उपयुक्त होती है। जिन क्षेत्रों मे सरसों की खेती हो सकती है वहा पर  इसकी खेती संभव है। एक एकर मे तीन किलो बीज बोया जाता है। इसके बीजों का उत्पादन लगभग चार से पाँच पिन्टल प्रति एकर होता है। इस फसल मे कांटे होते है अतः कोई पशु पक्षी इसको नुकसान नहीं पहुचाता। इस फसल को कोई बीमारी भी नहीं लगती। इसको खाद की भी आवश्यकता नही होती।

        मिल्क थिस्टल में सिलिमेरिन नामक औषधीय रसायन होता है जो लिवर की कई बीमारियों मे काम  आता है लेकिन विशेष कर ऐल्कहॉलिक लिवर डिसऑर्डर की यह विश्व प्रसिद्ध राम बाण  औषधि है । पूरे विश्व मे कई  बीमारियों मे काम आती है । इंटरनेशनल फार्माकोपिया, u.s. u. k. के फार्माकोपिया मे इस रजिस्टर्ड सेफ ड्रग मानी गई है। आजकल शराब पीने का प्रचलन बढ़ रहा है। इस कारण लिवर की कई बीमारियाँ हो रही है। इन बीमारियों से बचने के लिए मिल्क थिस्टल ले कई उत्पाद बाजार मे फूड सप्लीमेंट के रूप मे बिक रहे है। विदेशों व महानगरों मे होने वाली कई बड़ी बड़ी  पार्टियों मे जहाँ शराब परोसी जाती है वहाँ पर मिल्क थिस्टल के उत्पाद भी खाने के लिए दिए जाते है जिससे शराब से होने वाले नुकसान से लिवर को सुरक्षित रखा जा सके। भारत मे भी कई कंपनियां मिल्क थिस्टल के बीजों का एक्स्ट्रैक्शन सिलिमेरिन निकाल कर उससे कैप्सल, लिक्विड, टेबलेट आदि के रूप मे बना कर बेच रही है । यह प्रोडक्ट बाजार मे और ऑनलाइन खरीद सकते है  

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