अपराजिता
अपराजिता एक लता वाला पौधा है। इसके आकर्षक फूल ब्लू और सफेद रंग के होते है। कुछ लताओं में इकहरें फूलों वाली बेल होती है। कुछ बेलों में दोहरे फूल भी लगते है। इसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिया टर्नेटिया है। इसको विष्णुकांता, विष्णुप्रिया, कोयल बेल आदि नामों से भी जाना जाता है। पूरे भारतवर्ष में यह आसानी से उगाई जा सकती है। घरों में और बगीचों में इसकी सुंदरता के कारण लगायी जाती है। यह एक सदाबहार एवं बहुवर्षीय लता है।
दक्षिण भारत में इस पौधे
को शंखपुष्पी की तरह औषधि बनाने में काम मे लिया जाता है। इसके पौधे को घरों में
उत्तर पूर्व दिशा में लगाना शुभ रहता है। इन दिशाओं में अपराजिता का पौधा लगाने से
घर में समृद्धि और खुशी आती है। अपराजिता का पौधा घर में लगाने से घर का क्लेश कम
होता है और घर के सदस्यों को मानसिक शांति प्राप्त होती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार
अपराजिता का पौधा घर से नकारात्मकता कम करके सकारात्मकता बढ़ाता है। ऐसा माना जाता
है कि अपराजिता के पौधें में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए इस पौधे को गमले
में लगाकर अपने घर के मुख्य द्वार के दाहिनी ओर रख देना चाहिए।
अपराजिता का पौधा इतना शुभ होता है कि इसे किसी
भी दिन घर में लगाया जा सकता है। लेकिन गुरूवार या शुक्रवार को लगाते है तो ज्यादा
मंगलकारी होता है। गुरूवार भगवान विष्णु का दिन माना जाता है और शुक्रवार माता
लक्ष्मी को समर्पित है। इसलिए इन दिनों में अपराजिता का पौधा घर में लगाना चाहिए।
छोटे मटर की तरह इसकी
फलियों में काले रंग के बीज निकलते है। इनके बीज से पौधा तैयार किया जाता है। बीज
बौने के एक सप्ताह में इसका पौधा बनना शुरू हो जाता है। यह तेजी से बढ़ने वाला पौधा
है। इसके फूलों को विष्णु भगवान को चढ़ाने से जीवन में सुख समृद्धि और भगवान शंकर को चढ़ाने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है।
अपराजिता के फूलों को माँ दुर्गा का अवतार भी माना जाता है।
आयुर्वेद में अपराजिता का प्रयोग कई बीमारियों
के इलाज में किया जाता है। एलर्जी, सूजन,
दर्द, एडीमा, वातनाशक बुखार एवं
याद्दाश्त संबंधी परेशानियों में इसका उपयोग किया जाता है।
अपराजिता के नीले फूलों
को सूखाकर हर्बल चाय बनायी जाती है। काजरी जोधपुर के वैज्ञानिकों के रिसर्च के
अनुसार अपराजिता पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा के रूप में दिया जा सकता है।
आयुर्वेद के अनुसार अपराजिता का पौधा शरीर की संचार तंत्रिका और मनोवैज्ञानिक
सिस्टम पर अच्छा काम करता है। माइग्रेन की समस्या को अपराजिता के प्रयोग से दूर
किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त आँखों की समस्या, कानदर्द, पेट की बीमारी आदि में भी अपराजिता का प्रयोग आयुर्वेद में
किया जाता है।
विभिन्न तांत्रिक
क्रियाओं में अपराजिता का उपयोग किया जाता है। वैसे तो अपराजिता के नीले रंग का
फूल ही ज्यादातर पाया जाता है लेकिन कई जगह सफेद रंग के फूल वाली अपराजिता भी पायी
जाती है। जो बहुत कम दिखाई पड़ती है। तंत्र शास्त्र में पेड़-पौधां का महत्त्वपूर्ण
स्थान है। इनको घर में लगाने से लक्ष्मी आपके घर में चमत्कारी रूप से आकर्षित होने
लगती है। नवरात्रि के दिनों में अपराजिता का पौधा लगाना शुभ माना गया है। सफेद
अपराजिता का पौधा लगा हो उस घर में धन की कमी कभी नहीं होती।
A good plant motivation
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