रेगिस्तान में बारिश की विशेष कृपा
पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, जालोर, जोधपुर एवं पाली जिले पूर्णतः रेगिस्तानी हैं। यहाँ सामान्य बारिश बहुत कम होती है। अधिकतर वर्षो में अनावृष्टि व अल्पवृष्टि के कारण अकाल का सामना करना पड़ता है। इस वर्ष चक्रवाती तूफान बिफरजॉय और मानसून की वजह से विगत दो महीनों (जून-जुलाई) में सबसे अधिक बारिश रेगिस्तान में हुई। उसमें भी जालोर में 217 प्रतिशत एवं बाड़मेर में 213 प्रतिशत अधिक बारिश हुई।
पश्चिमी राजस्थान में 31 जुलाई 2023 तक बारिश की तालिका मात्रा (मिली.)
साभार उपरोक्त आंकड़े राजस्थान पत्रिका 9 अगस्त 2023 से लिये गये।
जलवायु की दृष्टि से बाड़मेर का इलाका अति शुष्क
प्रदेश में आता है। जहाँ मात्र 25 सेमी वर्षा होती
हैं। लेकिन इस वर्ष मानसून में 437 मिमी बारिश हुई
जो सामान्य बारिश से 213 प्रतिशत अधिक
हुई। इसी प्रकार जालोर में सामान्य से 217 प्रतिशत जोधपुर में सामान्य से 123 प्रतिशत, जैसलमेर में
सामान्य से 100 प्रतिशत एवं
पाली में सामान्य से 161 प्रतिशत बारिश
रिकॉर्ड की गई।
रेगिस्तान में वर्षा का लम्बे समय तक एवं
ज्यादा मात्रा में होना शुभ सूचक हैं। समूचित वर्षा होने से खरीफ की फसलें जैसेः-
बाजरा, ज्वार, मूंग, मोठ, ग्वार, तिल, चवला आदि फसलों का जोरदार उत्पादन होता हैं। अधिक बरसात यदि अगस्त के अन्तिम
दिनों या सितम्बर में होती है तो आगामी रबी की फसल बिना सिंचाई के भी हो जाती हैं।
जैसेः- चना, जौ, गेंहूँ, सरसों, रायड़ा की फसले
सेवज हो जाती है जो 100 प्रतिशत जैविक
ही होती हैं। पशुधन के लिए हरा व सूखा चारा भी बहुत हो जाता हैं। अतः पशुपालन का
कार्य नुकसान की बजाय लाभ में परिवर्तित हो जाता हैं। किसान की आर्थिक स्थिति
सुढृढ़ हो जाती हैं। जिन्होंने परमानेन्ट फलों के बगीचे लगा रखे हैं उनकी भी आमदनी
बढ़ जाती हैं। कुँआ, बावड़ी, नाड़ा-नाड़ी, तालाब व छोटे-मोटे बांध लबालब भर जाते हैं। कुआें और
ट्यूबवेलों में वॉटर लेवल ऊपर आ जाता हैं। पानी लिफ्ट करने का खर्चा कम आता हैं।
भूगर्भीय जल की गुणवत्ता में सुधार होता हैं। कृषि लागत में कटौती होती हैं तथा
उत्पादन बढ़ता हैं।
किसानों को चाहिए कि जिस वर्ष ज्यादा बरसात हो,
उस शुभ अवसर का लाभ उठाना चाहिए। जल संरक्षण के
तरीकों को सुनहरे भविष्य के लिए अपनाना चाहिए। प्रकृति ने अधिक जल दिया है तो उसका
सदुपयोग करना चाहिए। पानी को व्यर्थ नष्ट नहीं करना चाहिए। अपने परिवार में सबको
जलसंरक्षण एवं भूमि सरंक्षण के उपाय, उसके लाभ एवं उन तरीकों का कठोरता से पालन करना सिखना चाहिए। रेगिस्तान में कम
ही वर्ष आते हैं जब पर्याप्त वर्षा होती हैं। उसका समझदारीपूर्वक सदुपयोग करना
चाहिए। ऐसे वर्ष जिन वर्षो में बारिश का एवरेज कम होता हैं, उन वर्षो में समझदारीपूर्वक संघर्ष करने के लिए भी तैयार
रहना चाहिए। ‘‘मोर क्रोप पर ड्रोप‘‘ के सिद्धांत को अपनाना चाहिए। कम से कम पानी
की लागत से अधिकतम उत्पादन लेना एक कला हैं। जिसे सीखे।
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