स्तनपान करने वाले शिशुओं को नहीं हुआ-आई फ्लू

        


 राजकीय मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर के शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ हरिमोहन मीणा ने ओब्जरवेसन किया कि 0 से 3 वर्ष तक के स्तनपान करने वाले शिशुओं को आईफ्लू नजदीक भी नहीं फटका। जोधपुर शहर में 1 से 7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया गया। इस कार्यक्रम में डॉक्टरों ने आमजन को स्तनपान के प्रति जागरूक किया गया। कुछ भ्रांतियां एवं आधुनिक कल्चर के कारण माताएँ अपने शिशुओं को स्तनपान नहीं करवाती है। जिससे उन बच्चों की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती हैं और कई प्रकार के संक्रामक रोग शिशु के ऊपर आक्रमण कर देते हैं।

               0 से 3 वर्ष तक के शिशुओं का अध्ययन करने पर यह पाया गया कि जिन माताओं ने शिशु को स्तनपान कराया उसे कंजटिवाईटिस संक्रमण का असर नहीं हो पाया। उसी वर्ग के जिन बच्चों ने माताओं के कारण संक्रमण मिला, उनमें आईफ्लू के साथ-साथ निमोनिया के लक्षण भी दिखे। आईफ्लू के साथ निमोनिया का होना आम बात थी। ऐसे बच्चों का अध्ययन कर यह पुष्टि की जा सकती है कि कई बच्चों को केवल एक आँख में संक्रमण हुआ और दूसरी आँख बची रही। ऐसे छोटे बच्चे जो स्कूल नहीं जा रहे है और स्तनपान कर रहे है, उनकी इम्यूनिटी बलवान थी अतः उनको कंजक्टिवाईटिस का असर कम देखने को मिला। जिन परिजनों ने संक्रमण के दौरान बच्चों का ख्याल रखा उनकों भी संक्रमण नहीं हुआ। साथ ही यह भी ओबजरवेसन किया गया कि जिन बच्चों को स्तनपान कराया उन बच्चों में परिजनों से संक्रमण मिला उनमें संक्रमण उतना प्रभाव नहीं दिखा पाया जितना औरों में देखने को मिला।

               कुछ भ्रांतियों के कारण माताएँ अपने शिशु को स्तनपान से दूर रखती हैं। उस कारण बच्चों में कुपोषण, संक्रमण का आक्रमण, दस्त एवं उल्टी आदि हो जाता हैं। अतः स्तनपान शिशु के लिए संरक्षक और संर्वधन का काम करता है। स्तनपान कराने से शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। माँ का दूध पीकर बच्चा सदा स्वस्थ रहता हैं। जिन बच्चों को बचपन में माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में पीने को मिलता हैं, उनकी बुद्धि का विकास तेज गति से होता हैं। माँ का दूध बच्चे के लिए उत्तम ही नहीं, अपितु प्राणरक्षक भी होता हैं। बचपन में कराया हुआ शिशुपान प्री मेच्योर बच्चां को भी घातक रोगों से बचाता हैं।

सभी माताओं को अपने शिशुओं को संक्रमण से बचाने व संक्रमण जन्य घातक रोगों से सुरक्षा करने के लिए स्तनपान अवश्य कराना चाहिए। बोतल द्वारा फीडिंग से बच्चो को दूर रखें।

Comments

Popular posts from this blog

जल संरक्षण की जीवंत परिपाटी

लुप्त होती महत्त्वपूर्ण पागी कला

बाजरी का धमाका: जी-20 सम्मेलन मे