छूट सकती है धुम्रपान की लत
धुम्रपान को एक सामाजिक बुराई के रूप में देखा जाता हैं। ज्यादातर जगहों पर धुम्रपान को निषेध किया जाता हैं। धुएं में सबसे हानिकारक रसायनों में से कुछ निकोटीन, टार, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन साइनाइड, फॉर्मलाडीहाइड, आर्सेनिक, अमोनिया, सीसा, बेंजीन, ब्यूटेन, कैडमियम, हेक्सामाइन, टोल्यूनि आदि हैं। ये रसायन धुम्रपान करने वालों और उनके आसपास वालों के लिए हानिकारक होते हैं।
प्रजनन क्षमता में कमी के लिए धुम्रपान काफी हद तक
जिम्मेदार है। एक शोध के अनुसार धुम्रपान, भू्रण के विकास में पुरूष के शुक्राणुओं और कोशिकाओं की
संख्या को नुकसान पहुंचाते हैं। महिलाओं के द्वारा धुम्रपान करने से गर्भस्त्राव
या जन्म देने वाले बच्चे में स्वास्थ्य समस्याएं होने की अधिक संभावना होती हैं।
धुम्रपान करने से रूमेटीइड गठिया का खतरा बढ़ जाता हैं। गैर धुम्रपान करने वालों के
मुकाबले धुम्रपान करने वालों के लिए जोखिम लगभग दोगुना हैं। धुम्रपान से फेफड़े के
कैंसर की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार तम्बाकू धुम्रपान
और फेफडे़ के कैंसर के खतरे के बीच एक मजबूत संबंध हैं। गैर-धुम्रपान करने वालों
पर भी फेफड़ो के कैंसर के विकास का जोखिम हैं। धुम्रपान करने वाली महिलाएँ को
पुरूषों के मुकाबले फेफड़ों के कैंसर का खतरा अधिक हैं।
धुम्रपान त्वचा पर समय से पहले झुर्रियाँ, त्वचा की सूजन और बुढ़ापे
के लक्षण को बढ़ाने में अपना योगदान देता है। सिगरेट में निकोटिन रक्त वाहिकाओं को
कम करने का कारण बनता हैं। जिसका अर्थ है आपकी त्वचा की बाहरी परतों में रक्त
प्रवाह कम होना। कम रक्त प्रवाह के साथ आपकी त्वचा को पर्याप्त ऑक्सीजन और
महत्वपूर्ण पोषक तत्व नहीं मिलते हैं। धुम्रपान श्वसन संबंधी विकारों जैसे अस्थमा
और तपेदिक आदि के विकास में योगदान देने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारण है, धुम्रपान से श्वसन में
कमी, खांसी और कफ
उत्पादन संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। धुम्रपान कफ को बढ़ाता है जिससे सांस
लेने में कठिनाई होती हैं। धुम्रपान हदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा देता हैं।
इसकी वजह से स्ट्रोक पैरालिसिस, आंशिक अंधापन, बोलने की शक्ति आदि की संभावना बढ़ जाती हैं। धुम्रपान ना
करने वालों की तुलना में धुम्रपान करने वालों में स्ट्रोक होने की संभावना तीन
गुना अधिक होती हैं।
गर्भावस्था के दौरान
धुम्रपान करने वाली महिलाओं को गर्भस्त्राव संबंधी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है और
बच्चे को बाद में मधुमेह का खतरा हो सकता हैं। धुम्रपान से मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, मधुमेह के रेटिनोपैथी और
ड्राई आई सिंड्रोम का खतरा बढ़ जाता है। धुम्रपान करना लाल रक्त कोशिकाओं, हड्डी की कोशिकाओं और
यहां तक कि सफेद रक्त कोशिकाओं को भी नुकसान पहुँचाता हैं। धुम्रपान करने वाले
पुरूष और महिलाओं में डिमेंशिया या अल्जाइमर जैसे रोग हेने की संभावना अधिक होती
हैं। सिगरेट में मौजूद निकोटीन मस्तिष्क के लिए हानिकारक है और डिमेंशिया या
अल्जाइमर रोग की शुरूआत को बढ़ाता हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन
चाहता हैं कि सार्वजनिक स्थलों पर सेकण्ड्री धूम्रपान से लोग बचें। वैश्विक तंबाकू
महामारी पर डब्ल्यूएचओ की यह रिपोर्ट जनता को सेकेंड हैंड धुएं से बचाने पर
केंद्रित है, जिसमें इस बात पर
प्रकाश डाला गया है कि लगभग 40 प्रतिशत देशां में अब इनडोर सार्वजनिक स्थान पूरी तरह से
धुम्रपान मुक्त हैं। जो 2007 की तुलना में
पांच गुना अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक नई रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश
डाला गया है कि 5.6 अरब लोग जो
दुनिया की 71 प्रतिशत आबादी
है, अब कम से कम एक सर्वोत्तम
अभ्यास नीति के साथ सुरक्षित हैं।
वैश्विक तंबाकू महामारी पर डब्ल्यूचओ की यह रिपोर्ट जनता को
सेकेंड हैंड धूएं से बचाने पर केंद्रित है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि लगभग 40 प्रतिशत देशों में अब
इनडोर सार्वजनिक स्थान पूरी तरह से धूम्रपान मुक्त हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि
अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है, जिसमें कहा गया है कि 44 देश डब्ल्यूएचओ के किसी भी एमपॉवर उपाय से असुरक्षित हैं
और 53 देशो में अभी भी
स्वास्थ्य सुविधाओं में धुम्रपान पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं हैं। इस बीच, केवल आधे देशों में ही
धुम्रपान-मुक्त निजी कार्यस्थल और रेस्तरां हैं। हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोग सेकेंड हैंड
धूएं से मर जाते हैं। ये सभी मौतें पूरी तरह से रोकी जा सकती हैं।
धुम्रपान की बुरी लत को छोड़ना बहुत मुश्किल काम हैं लेकिन
यदि प्रबल इच्छा शक्ति हो तो कोई मुश्किल काम नहीं हैं। शुरू-शुरू में जब आप
धुम्रपान छोडे़गें तो कुछ परेशानियाँ आयेगी। कुछ लोगों का थोड़ा वजन बढ़ता हैं व
नींद नहीं आती हैं। कमजोरी आना, गुस्सा अधिक आना, मानसिक तनाव होना, बैचेनी महसूस होना और किसी भी काम में मन लगना आदि समस्याएँ
आदि हैं।
कुछ योगासान ऐसे हैं जिनको करने से धुम्रपान छोड़ने में
आसानी रहती हैं। जैसेः- बालासन, सेतुबंधासन, भुजंगासन और र्स्वागासन आदि। नींबू पानी गुनगुना करके उसमें
शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पीते रहना चाहिए। नींबू और शहद के विटामिन इम्यूनिटी सिस्टम
को मजबूत बनाते हैं। मूलेठी को पीसकर उसका पाउडर बनाकर अपने पास रखे। जब भी
धुम्रपान की इच्छा हो चुटकीभर पाउडर मुहँ में डालकर चुसना चाहिए। मुलेठी का हल्का
मीठा स्वाद धुम्रपान की इच्छा को कम करता हैं। इसी प्रकार सोंठ और आँवले का चूर्ण
बनाकर उसमें नमक और नींबू मिलाकर भी सेवन किया जा सकता हैं।
खाने के तुरंत बाद धुम्रपान की तीव्र इच्छा होती हैं। उस
समय मुखशुद्धि के लिए सोंफ या धनिये की दाल खाने से धुम्रपान की इच्छा समाप्त हो
जाती हैं। इतना ही नहीं सोंफ और धनिये की दाल हमेशा साथ रखे। जब भी धुम्रपान की
इच्छा हो थोड़ी सी मुहँ में डाल लेनी चाहिए। धुम्रपान की इच्छा खत्म हो जायेगी।
संगत का असर चाहते हुए भी धुम्रपान नहीं छोड़ने देता अतः मन को मजबूत करके उपरोक्त
तरीके अपनाते रहने से अवश्य ही यह लत छुट जायेगी।
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