अंतरिक्ष में खेती
अंतरिक्ष में खेती-बाड़ी के परीक्षण हेतु चीन की स्पेस एजेन्सी के वैज्ञानिकों ने 136 प्रकार के बीज, पौधे और सुक्ष्म जीव अंतरिक्ष में भेज रहा हैं। इनमें विभिन्न प्रकार की 47 प्रकार के फसलों के बीज हैं। जिसमें खाद्यान्न, फल, सब्जियाँ, दलहन, तिलहन व औद्योगिक फसलें शामिल हैं। जिनका उपयोग प्रतिदिन भोजन सामग्री में किया जाता हैं। इसके अतिरिक्त घास, फूलों और औषधीय पौधो की 76 प्रजातियाँ शामिल हैं। इसके साथ-साथ 13 प्रकार के खाद्य कवक, शैवाल और काई समेत सुक्ष्म जीव भी भेजे गए हैं। चीन का शेनझोऊ-16 यान चीन यात्रियों को लेकर गया हैं, जो पाँच महीनों तक अंतरिक्ष स्टेशन में रहेंगे। चीन के लिए यह काम नया नहीं हैं, उसने 1987 में अंतरिक्ष से जुड़े प्रयोगो की शुरूआत कर दी थी। पाँच महीनों तक फसलों के प्रजनन, बढ़त, लाइफ साईकल, पकने पर उसके विभिन्न गुणों का आंकलन आदि के डाटा इकट्ठे किये जायेगें। कई प्रकार की जाँच उच्च स्तर की प्रयोगशालाओं में की जायेगी।
वैसे चीन के सभी
कार्यक्रमों को गुप्त रखा जाता हैं। वह कहता कुछ और हैं और करता कुछ और हैं। उसकी
कथनी और करनी में अंतर होता हैं, लेकिन अंतरिक्ष में होने वाली हलचल को कोई गुप्त नहीं रख
सकता। चीन का कहना है कि अतंरिक्ष में प्रजनन के प्रयोग का मकसद प्रतिकूल
परिस्थितियों को झेलने में सक्षम नई फसलों को विकसित करना हैं। उसका कहना हैं कि
जलवायु परिवर्तन का असर विभिन्न प्रकार की फसलों पर जो प्रतिकूल पड़ता हैं, उस प्रभाव को झेलने की
क्षमता फसलों में विकसित करना हैं।
इसके अतिरित
अंतरिक्ष में बीज और सुक्ष्मजीव ब्रह्नाण्डीय विकिरण के साथ कम गुरूत्वाकर्षण के
सम्पर्क में आते हैं। इससे उनमें जेनेटिक परिवर्तन होता हैं। इस जेनेटिक परिवर्तन
का अध्ययन करने के लिए इन बीजों और सुक्ष्मजीवों को उगाया जायेगा। चीन के
वैज्ञानिकों का कहना हैं कि पृथ्वी के चुम्बकीय ढाल से परे कम गुरूत्वाकर्षण वाले
वातावरण में बीज व सुक्ष्म जीव डीएनए परिवर्तनों से गुजरते हैं। अतः वह रोगां के
प्रति ज्यादा प्रतिरोधी हो जाते हैं। उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती
हैं। एक बार यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता फसल के डीएनए में विकसित हो तो यह एक बहुत
बड़ी उपलब्धि होगी। पूरी दुनिया में कृषि लाभ का व्यापार बन जायेगी। क्योंकि लागत
मूल्य में भयंकर कमी आयेगी व उत्पादन प्रति इकाई बढ़ जायेगा।
यदि अंतरिक्ष में
वैज्ञानिको के कहे अनुसार परिणाम देते हैं, तो यह एक क्रांतिकारी रिसर्च होगी। हमारी फसलें रोग
प्रतिरोधक होगी साथ ही किसी प्रकार के कैमिकल पेस्टिसाईड के बिना भी पूरी खेती
संभव होगी। यह ऑर्गेनिक खेती में मील का पत्थर साबित होगा। फसलों में जेनेटिक
परिवर्तन लाकर उत्पादन में बढ़ोतरी ला सकते हैं। कोई भी सब्जी जेनेटिक परिवर्तन के
कारण अलग-अलग रंगों में, अलग-अलग स्वाद
में और अलग-अलग पोषक तत्त्वों में भरपूर मिल जायेगी।
चीन की स्पेस एजेन्सी
पहले भी चाँद पर पौधे उगा चुका हैं। उसने चांग ई-4 स्पेसक्राप्ट के जरिए चाँद पर पौधों का एक
बॉक्स भेजा था। चाँद पर कोई जैविक पदार्थ भेजने का यह पहला मौका चीन का था।
अमेरिका की एजेन्सी नासा ने भी अपने स्पेस स्टेशन में भी कई पतेदार सब्जियाँ और
पौधे उगाये हैं। लेकिन नासा ने अभी तक चाँद पर अभी तक कुछ नहीं किया हैं।
चीन का यह
अंतरिक्ष कार्यक्रम पेड़-पौधां को अंतरिक्ष में उगाने का एक क्रांतिकारी एवं
मानवहित में हैं। उनके दावों में यदि सत्यता होगी तो मानवता का बहुत बड़ा उपकार
होगा। औषधीय गुणों से युक्त ऐसे मेडिसनल प्लांट उगाना संभव होगा जिनकी नेनो खुराक
रोग को नष्ट कर देगी। दवाओं का बहुत बड़ा खर्च बच जायेगा। लोग बीमार कम पडे़गे।
History says.....China never share any thing for human welfare ....its a business mind country.......But still be positive
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