ज्योतिषीय वाटिकाएँ
ग्रहदोष, राशिदोष और नक्षत्रदोष दूर करने के लिए जाखण गाँव की जय अम्बे माँ गौशाला में वाटिकाएँ विकसित की गयी हैं। इन वाटिकाओं में नवग्रह वाटिका, द्वादश राशि वाटिका और सत्ताईस नक्षत्र वाटिका में सम्बन्धित वनस्पतियों का रोपण किया गया। जोधपुर जिले में अपने प्रकार की पहली ज्योतिषीय वाटिका बनायी गयी हैं। वैसे मध्यप्रदेश में कई जगह वन विभाग द्वारा वाटिकायें विकसित की गयी है। जो सराहनीय हैं।
विप्र फाउन्डेशन
(महिला प्रकोष्ठ), भारत विकास परिषद्, नन्दनवन शाखा एवं लटियाल युवा संघ ने लोगो के
हिताय इन वाटिकाओं का निर्माण कराया हैं। इस वाटिका में राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात
एवं मध्यप्रदेश से पौधे मंगवाकर लगवाये गये। पौधो की आपसी दूरी भी ज्योतिषीय गणना के
अनुसार रखी गयी हैं।
इसी प्रकार
की नक्षत्र वाटिका दिल्ली के फोरेस्ट डिपार्टमेन्ट द्वारा लघुवन बनाकर आसोला भट्ठी
वाइल्ड लाइफ सेनचुरी में भी बनाई गयी। यह वाटिका पचास मीटर रेडियश में सर्कीलर गार्डन
के रूप में बनाई गयी। जिसका कुल क्षेत्रफल 7850 वर्ग मीटर हैं। इसका पैरीमीटर एरीया
314 मीटर हैं। इस वाटिका में प्रत्येक प्रजाति के 50 पौधे हर नक्षत्र के लगाये गये
हैं। नीचे लिखे तालिका में किस ग्रह की कौनसी वनस्पति है, किस राशि की कौनसी वनस्पति
है और किस नक्षत्र की कौनसी वनस्पति है, उसका वर्णन किया गया हैं। ज्योतिष शास्त्र
में इन वाटिकाओं का विस्तार से वर्णन किया गया हैं।
नवग्रह वाटिकाः-
क्र.सं. |
ग्रह |
वनस्पति |
1 |
सूर्य |
आक |
2 |
चन्द्र |
ढ़ाक |
3 |
मंगल |
खैर (कत्था) |
4 |
बुध |
अपामार्ग |
5 |
बृहस्पति |
पीपल |
6 |
शुक्र |
गूलर |
7 |
शनि |
शमी (खेजड़ी) |
8 |
राहू |
दूब |
9 |
केतु |
कुशा |
द्वादश राशि वाटिकाः-
क्र.सं. |
राशि |
वनस्पति |
1 |
मेष |
आँवला |
2 |
वृष |
जामुन |
3 |
मिथुन |
कटहल |
4 |
कर्क |
नागकेशर |
5 |
सिंह |
बेल |
6 |
कन्या |
आम |
7 |
तुला |
सफेद पलाश |
8 |
वृश्चिक |
केला व बरगद |
9 |
धनु |
पीपल |
10 |
मकर |
शीशम |
11 |
कुंभ |
खैर व शमी |
12 |
मीन |
नीम व पीपल |
नक्षत्र वाटिकाः-
क्र.सं. |
नक्षत्र |
वनस्पति |
1 |
अश्विनी |
कुचला, केला, आक व
धतुरा |
2 |
भरणी |
केला, आँवला |
3 |
कृतिका |
गूलर |
4 |
रोहिणी |
जामुन |
5 |
मृगशिरा |
खैर |
6 |
आद्रा |
काला तेन्दू, आम व
बैल |
7 |
पुनर्वसु |
बांस |
8 |
पुष्प |
पीपल |
9 |
अश्लेषा |
नागकेसर |
10 |
मघा |
बरगद या पाकड़ |
11 |
पूर्वा फाल्गुनी |
ढ़ाक |
12 |
उत्तरा फाल्गुनी |
बरगद या पाकड़ |
13 |
हस्त |
रीठा |
14 |
चित्रा |
बेल |
15 |
स्वाति |
अर्जुन |
16 |
विशाखा |
नीम व बकायन/कटहल |
17 |
अनुराधा |
मौलश्री |
18 |
ज्येष्ठा |
रीठा |
19 |
मूल |
राल का पेड़ |
20 |
पूर्व आषाढ़ा |
जामुन या मौलश्री |
21 |
उत्तरा आषाढ़ा |
कटहल |
22 |
श्रवण |
आक |
23 |
घनिष्ठा |
शमी |
24 |
शतभिषा |
कदम्ब |
25 |
पूर्व भाद्रपद् |
आम |
26 |
उत्तर भाद्रपद् |
पीपल व सोनपाठा |
27 |
रेवती |
महुआ |
ऐसी वाटिकायें गाँव-गाँव विकसित करनी चाहिये। इसके निमार्ण
में स्कूल, मन्दिर और सार्वजनिक बगीचों का चुनाव करके कुछ जिम्मेवार लोगों को इस पुनीत
कार्य में जुटना चाहिये। इन वनस्पतियों का उपयोग गाँव में बीमारों का उपचार करने में
करना चाहिये। इन प्रत्येक वनस्पति का उपयोग का साहित्य छपवाकर लोगों को उपलब्ध कराना
चाहिये।
Very very informative and inspirin
ReplyDeleteAmazing information!
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