100 प्रतिशत ऑर्गेनिक ताकतवर सब्जी कंकोड़ा
बरसात शुरू होते ही महीने भर में खेतों की बाड़ पर कंकोड़ा लगना शुरू हो जाता हैं। कंकोड़ा दो प्रकार का होता हैं। रोयेदार व मोडा। दोनों की सब्जी पौष्टिक स्वादिष्ट व गुणकारी होती हैं। कंकोड़ा की बहुवर्षीय मांसल कन्द जैसी जड़ जमीन में सुप्तावस्था में पड़ी रहती हैं। बरसात का मौसम आते ही इसकी बेल (लता) बाड़ पर तीव्रगति से छा जाती हैं। इसके पीले-पीले फूल सुन्दर लगते हैं। इन्हीं बेलों पर कंकोड़ा लगता हैं।
ग्रामीण लोग इसको इक्ट्ठा
करके आस-पास के हाट बाजारों में बेचते हैं। कंकोड़ा की फसल बोयी नहीं जाती।
प्राकृतिक रूप से यह दो से तीन महीने तक उपलब्ध रहती हैं। कंकोड़ा असिंचित व
ऑर्गेनिक पैदावार होती है। हरा रंग का फल
सब्जी के काम आता हैं। पकने पर यह लाल व मीठा हो जाता हैं। जिसे पक्षी बड़े चाव से
खाते हैं। अगस्त व सितम्बर में पक्षी इसी पर आश्रित रहते हैं।
कंकोड़ा की सब्जी व आचार
बना कर खाया जाता हैं। यह अत्यंत ताकतवर तथा स्वादिष्ट होता हैं। इसको जंगली करेला
या बाड़ करेला भी कहते हैं। यह एक औषधीय सब्जी हैं। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर,
प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेड
जैसे तत्व पाये जाते हैं।
पाइल्स के रोग में इसकी
सब्जी फायदा करती हैं। विटामिन ए की मात्रा अधिक होती हैं। अतः आँखों के लिये
लाभप्रद होता हैं। गर्भावस्था की थकान को दूर करती हैं। कंकोड़ा के सेवन से कैंसर
की संभावना कम हो जाती हैं। शरीर में उपस्थित फ्री रेडिकल को कम करने में कंकोड़ा मदद
करता हैं। गाँवों में इसकी सब्जी बड़े चाव से खायी जाती हैं। गाँव में यह मुफ्त की
सब्जी होती हैं अतः गरीब से गरीब भी इसकी सब्जी खा सकता हैं। आदिवासी इसको इकट्ठा
करके बेचते हैं।
Sabji tasty bhi or useful bhi
ReplyDeleteખુબ જ સાચી વાત છે માહિતી આપ્યા જ કરવી જોઈએ લોકોને ધ્યાનમાં આવે
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