पर्यावरण का सरंक्षक - गोबर गैस

       


 भारत एक कृषि प्रधान देश हैं। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक हैं। पशुओं के गोबर से गोबर गैस प्लांट का संचालन करना दोहरा फायदा देता हैं। एक तो यह कि गोबर गैस प्लांट से निकली हुई गोबर की सेलेरी सीधी खेत में डाली जा सकती हैं, जो अत्यंत लाभकारी होती हैं। दूसरा गोबर गैस प्लांट से बनने वाली गैस ऊर्जा का अच्छा स्रोत हैं। कई सालों पहले सरकारी योजना के अंतर्गत घर-घर गोबर गैस प्लांट लगवाये गये थे। जिससे निकलने वाली गैस से चूल्हा जलता था तथा घरों में रोशनी भी होती थी। धीरे-धीरे लोग उदासीन होते गये। सारे गोबर गैस प्लांट कबाड़ हो गये।

        नये-नये रिसर्च हो रहे हैं। राजस्थान गौ सेवा संघ जयपुर में इस गैस को सिलेण्डर में भरकर काम में लिया हैं। इस गैस को प्रोसेस करके काम में लिया जाये तो सीएनजी गैस के वाहन चलाये जा सकते हैं। गोबर गैस संयत्र से निकलने वाली बायोगैस में 64 प्रतिशत मिथेन तथा 36 प्रतिशत कार्बनडाईऑक्साइड होती हैं। इनको प्रोसेस करके पैट्रोल के रूप में ईधन की जगह काम में लिया जा सकता हैं।

        एक रिपोर्ट के अनुसार कन्हैया गौशाला जोधपुर में 1500 गायों के गोबर से गोबर गैस संयत्र चलाया जाता हैं। जो आस-पास के 100 घरों को खाना बनाने के लिए गैस उपलब्ध कराता हैं। यह गैस मुफ्त में दी जा रही हैं। जिसके पास में भी 5-7 पशुधन है वह अपने यहाँ छोटा गोबर गैस प्लांट लगा सकता हैं। इसके लिए राज्य सरकार अनुदान भी देती हैं। छोटे-छोटे यूनिट लगाकर पर्यावरण का बहुत बड़ा लाभ हो सकता हैं। आवश्यकता है गोबर गैस का अभियान चलाकर, मिशन बनाकर प्रचारित और प्रसारित करने की।

Comments

  1. Very good initiative to provide the information of natural and renewal energy sources

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