रेगिस्तान में अंजीर की खेती

       


 तुर्की व अफगानिस्तान से आयात किया जाने वाला महंगा मेवा अंजीर आजकल राजस्थान के रेगिस्तान में सफलतापूर्वक उगाया जा रहा हैं। टिश्यू कल्चर से तैयार किये गये पौधे डायना प्रजाति के किसानों के खेत में लगाये जा रहे हैं। इन पौधां को लगाने के एक वर्ष बाद ही फल देना शुरू कर देते हैं। बाड़मेर जिला मुख्यालय से 60 कि.मी. दूर चौहटन तहसील में डायना वैरायटी के 600 पौधे लगाये गये हैं, जिनका उत्पादन आना शुरू हो गया हैं। इसी प्रकार अमरापुरा में भी इसकी खेती शुरू की गयी हैं। टिश्यू कल्चर से तैयार पौधां की यह विशेषता होती हैं कि ये पौधे 3 डिग्री से लेकर 55 डिग्री तक  का तापमान सहन कर सकते हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती हैं। अतः पेस्टिसाइड की आवश्यकता नहीं होती हैं। यहाँ की रेतीली मिट्टी इसके लिये उपयुक्त हैं। वातावरण में कम आर्द्रता इस फसल के माफिक होती हैं। जालोर, राणीवाड़ा, सायला, भीनमाल, पौसाला व आस-पास के क्षेत्र इसकी खेती के लिये उपयुक्त हैं।

     पहले वर्ष में एक पेड़ से 7-8 किलोग्राम गीला फल पैदावार देता हैं। ताजा फल 80 से 100 रूपये प्रति किलो बिकता हैं। इस फल को ताजा खरीद कर एक कम्पनी ने जयपुर में प्रोसेस हाऊस लगाया हैं। इतना ही नहीं इसकी कैण्डी, जाम, शर्बत आदि प्रोड्क्टस बनाये जाते हैं। इसको सुखाने का प्लांट भी उसमें लगाया गया हैं। पक्षियों द्वारा इस फल को पकने पर नुकसान पहुँचाया जाता हैं। जिसे बर्डनेट से बचाया जा सकता हैं। एक बार इसका प्लांटेशन करने पर 40 से 50 वर्ष तक फल देता रहता हैं। ताजा फल कैरट में रख कर दो से ढाई किलो की पैकिंग में बाजार में बिकता हैं। एक हैक्टेयर में अंजीर के दो हजार से ढाई हजार पौधे लगाये जाते हैं। ड्रिप इरिगेशन से इसकी सिंचाई लाभदायक रहती हैं। सितम्बर से जनवरी तक इसके फल पक कर तैयार होते हैं।

गमलों में भी अंजीर का पौधा टेरेस गार्डन या किचन गार्डन में लगाया जा रहा हैं। फल देने वाले पौधे से बरसात के दिनों में कटिंग से पौधे तैयार करके गमलों में लगाया जाता हैं। छः महीने में कुछ फल लगने शुरू हो जाते हैं। घर में प्रतिदिन ताजे फल खाने के लिये गमलों से मिल जाते हैं। टेरेस गार्डन में भी ड्रिप लगा कर सिंचाई करना लाभदायक रहता हैं। ग्रीननेट या बर्ड नेट लगा कर पक्षियों से सुरक्षित रख सकतें है। घर पर ताजे फलों को प्रोसेस करके भी लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं। फलों को हल्का उबाल कर प्रेस करके चपटा करके घूप में सुखा कर डिब्बों में सुरक्षित रख सकते हैं।

      अंजीर प्रोटीन का खजाना होता हैं। कैल्शियम, विटामिन ए व बी इसमें बहुतायत में पाया जाता हैं। यह लीवर व ब्लड प्रेशर में लाभकारी होता हैं। इसके खाने से शरीर सुडोल बनता हैं। अंजीर कब्ज मिटाता हैं, दमा मिटाता हैं, खून बढ़ता हैं, खून साफ करता हैं, कमजोरी दूर करता हैं, प्रजनन क्षमता बढ़ाता हैं। इसमें एन्टीऑक्सीडेन्ट गुण होते है व इम्यूनिटी को बढ़ाते हैं। दूध में उबाल कर भी अंजीर खाया जा सकता हैं। चना व अंजीर भीगो कर खाने से शरीर की कमजोरी व थकावट दूर होती हैं।

     राजस्थान में रेगिस्तान का क्षेत्रफल बहुत अधिक हैं। यहाँ पर इसकी खेती को बढ़ावा देने से यह महंगा मेवा सस्ती कीमत पर जन सामान्य को उपलब्ध हो पायेगा। उदाहरण के तौर पर कंधारी अनार सौ रूपये प्रति किलो बिकने वाला अब सीजन में यहाँ पर 25 से 30 रू. प्रति किलो मिल जाता हैं। यही हाल यहाँ पर पैदा होने वाली मूगंफली का भी हैं। रेगिस्तान में इसकी ऑर्गेनिक खेती ही होती हैं।

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