घर-घर नींबू


 नींबू एक झाड़ीदार पौधा होता हैं। घर के किचन गार्डन में इसको आसानी से लगाया जा सकता हैं। पूरे भारत में नींबू का पौधा पाया जाता हैं। इसकी कई प्रजातियां हैं। आजकल टेरेस गार्डन में लगाने के लिए इसकी बौनी प्रजातियाँ विकसित की गयी हैं जिन्हे बड़े गमलों में आसानी से उगाया जा सकता हैं। नींबू की कई किस्में ऐसी भी हैं, जिनमें वर्ष पर्यन्त फल लगते रहते हैं। वैसे नींबू की अधिकतम फसल सावन-भादो से लेकर माघ तक आती हैं।

     नींबू पानी अतिथियों के लिए अच्छा पेय पदार्थ हैं। नींबू का शर्बत, शिकंजी, अचार बनाकर घरों में रखा जाता हैं। इसका अचार कई प्रकार से बनाया जाता हैं। खट्ठा, मीठा, केवल नमक वाला, अजवाइन वाला इत्यादि अनेक प्रकार की विधियों द्वारा गृहणियां इसको प्रोसेस करके लम्बे समय के लिए रखती हैं। नींबू के उत्पाद जायकेदार तो होते ही हैं, साथ ही स्वास्थ्यप्रद भी होते हैं। नींबू के प्रोडक्ट घरों में बिना रासायनिक प्रिजर्वेटिव के ही बनाए जाते हैं। उसमें पड़ने वाला सरसों का तेल, नमक, शक्कर या मिश्री ही उसमें प्रिजर्वेटर का काम करते हैं। कुछ नींबू के अचार अजवाइन, काली मिर्च, पांचों नमक, जीरा आदि मसालों से बना हुआ औषधि के रूप में पेट दर्द में दिया जाता हैं।

     नींबू में विटामिन सी, विटामिन बी6, फोलेट और विटामिन ई भी पाया जाता हैं। नींबू कब्ज, मसूड़ों की बिमारियों, ब्लडप्रेशर, तनाव आदि बिमारियों में लाभप्रद होता हैं। नींबू में कई प्रकार के मिनरल्स जैसेः- आयरन, मैग्नीशियम, फास्फोरस, कैल्शियम, पौटेशियम एवं जिंक पाये जाते हैं। किडनी स्टोन की बीमारी में नींबू अत्यंत गुणकारी होता हैं। डायबिटिज में नींबू का पानी अन्य शक्कर वाले पेय पदार्थो की अपेक्षा अधिक उपयोगी होता हैं। पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में नींबू लाभदायक होता हैं। पेट के मरोडे़, एेंंठन, जलन और गैस की समस्या के लिए नींबू का नियमित सेवन करना चाहिए। नींबू पीने से कब्ज में राहत मिलती हैं। नींबू का पानी शरीर के इम्यून सिस्टम को बल देता हैं।

      सुबह-सुबह गुनगुने पानी के साथ शहद और नींबू का रस मिलाकर लोग पीते हैं। इससे वजन कम होता हैं। नींबू के रस में थोड़ा सा नमक मिलाकर मंजन करने से दांतो के सभी रोग ठीक करता हैं। किसी भी प्रकार के तनाव, डिप्रेशन, अवसाद, स्ट्रेस और ब्लडप्रेशर नींबू का पानी से पीने ठीक होते हैं। नींबू का पानी पीने से स्किन चमकदार और स्वस्थ रहती हैं। डायरिया में नींबू का पानी जादुई असर करता हैं। नींबू का पानी बालों में लगाकर नियमित मालिश करने से बाल चमकीले, स्वस्थ होते हैं तथा सिर में डेंड्रफ आदि हो तो समाप्त हो जातें हैं।

       आजकल कई जगह देखा गया हैं कि लोग चाय कॉफी पीने से परहेज करने लगे हैं। उन लोगां को नींबू सर्व करना ज्यादा ठीक हैं। आजकल सीडलेस नींबू भी मार्केट में आने लगा हैं। कहीं जगह पर मीठा नींबू भी बरसात के दिनों में मिलता हैं। जिसके रस का स्वाद नारंगी जैसा होता हैं। नींबू की एक वैरायटी जिसे बिजौरा नींबू बोलते हैं। बिजौरा नींबू लम्बा आकार लिये हुए 200 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक पाया जाता है। वैद्य लोग पथरी के रोग में इसकी दवा बनाकर देते हैं।

     अधिक प्यास लगने पर नींबू का शर्बत पीना चाहिए। मुहँ में छाले हो तो नींबू के छिलकों को उनके ऊपर रगड़ने से आराम मिलता हैं। चेहरे पर कील, मुहांसे, झुर्रिया ठीक करने के लिए नींबू के छिलकों को रगड़ना चाहिए। वर्षा ऋतु में या उसके बाद टायफाईड होने पर गाँवां मे नींबू के दो टुकड़े करके उसमें काली मिर्च और सैंधा नमक डालकर नींबू को गर्म करके चूसते हैं। एसिडिटी और भूख बढ़ाने में नींबू का प्रयोग घर-घर किया जाता है। फूड पॉयजनिंग होने पर नींबू के फल के रस में बराबर की मात्रा में प्याज का रस और एक ग्राम भीम सैनी कपूर मिलाकर सेवन कराते हैं।

      इतने महत्वपूर्ण पौधे को हर घर में लगाना चाहिए। मंदिर, सार्वजनिक स्थान, बगीचा और अपने खेत, ढाणी में भी 1-2 पेड़ नींबू के होने चाहिए। किसी अच्छी नर्सरी से बारहमासी फलने वाले कागजी नींबू ही लगाना चाहिए। समय-समय पर नींबू के पौधे की निराई-गुड़ाई और सिंचाई करते रहना चाहिए। किसी अनुभवी माली से उसकी रख-रखाव के लिए सलाह लेते रहें।

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