पौराणिक सुपर फूड-राजगीरा
विश्व के प्राचीनतम भोजन में अमरंथ या राजगीरा सबसे पौष्टिक दाना हैं। अमरंथ में विभिन्न प्रकार के पौष्टिक तत्व होने के कारण इसे विश्व के सुपर फूड में कंसीडर किया जाता हैं। अमरंथ में प्रोटीन, कॉर्बाहाइडेट, आयरन, कैल्शियम के साथ-साथ अन्य विटामिन और खनिज तत्व पाये जाते हैं। इतने बहूमूल्य रामदाना को व्रत में खाया जाता हैं। पौराणिक काल में अमरंथ को राम का दाना अर्थात भगवान का भोजन कह कर पुकारा गया हैं। अतः इसे व्रत और त्यौहारो में विशेष रूप से खाया जाता हैं। राजगीरा का अर्थ होता हैं, रॉयल ग्रीन जिसे भगवान को अर्पण करके व्रत में खाया जाता हैं। अमरंथ के पत्तों का भी साग बनाकर खाया जाता हैं।
राजगीरा में विटामिन ए एवं केरोटिरोरोनोडिस
प्रचूर मात्रा में पाया जाता हैं। जो आँखों की रोशनी को ठीक रखने के साथ-साथ
एन्टीऑक्सीडेन्ट का काम करते हैं। 100 ग्राम राजगीरा के बीजो में 19 ग्राम प्रोटीन
पाया जाता हैं। जो किसी भी अनाज से सबसे ज्यादा हैं। वजन कम करने के लिये राजगीरे
के आटे की रोटी लोग खाते हैं। राजगीरे की रोटी, लड्डू, पुलाव आदि कई
पकवान बनाकर खाये जाते हैं। राजगीरे का सेवन करने से हड्डियाँ और इम्यूनिटी मजबूत
होती हैं। इसके सेवन से हदय स्वस्थ रहता हैं, इम्यूनिटी बढ़ती हैं और ब्लड प्रेशर सामान्य रहता हैं।
राजगीरा को भूनकर लड्डू और चक्की बनाकर
बिहार और उतरप्रदेश में घर-घर खायी जाती हैं। एक रिसर्च के अनुसार एक कप (246 ग्राम) राजगीरा के दाने में 25 प्रतिशत कैलोरी, 5 प्रतिशत फेट, 17 प्रतिशत कॉर्बाहाइड्रेड, 19 प्रतिशत प्रोटीन
और 19 प्रतिशत डाइट्री फाइबर
पाया जाता हैं। इसके अलावा इसमें आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस,
विटामिन बी6, जिंक आदि भी प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। राजगीरा समय
से पूर्व बाल झड़ने और बाल सफेद होने से भी बचाता हैं। शाकाहारी लोगां के लिए
राजगीरा प्रोटीन की आवश्यकताओं की आपूर्ति
करता हैं। इसका सेवन एल.डी.एल. कॉलेस्ट्राल कम करता हैं। राजगीरा डायबिटीज में भी
राहत देता हैं। उपवास एवं गर्भावस्था में राजगीरा का सेवन रोटी बनाकर किया जाता
हैं क्योंकि इसमें प्रोटीन और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं। अतः यह
थकान नहीं आने देता हैं।
इतनी महत्त्वपूर्ण सब्जी और अन्न को किचन गार्डन में आसानी से लगाया जा सकता हैं। इसको बोने के लिए सितम्बर से अक्टूम्बर और जून से जुलाई के बीच का समय उपर्युक्त होता हैं। 100 से 120 दिन में फसल पककर तैयार हो जाती हैं। उतर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उतराखण्ड आदि प्रांतो में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा रही हैं। कृषि विश्व विद्यालय पंत नगर और राजस्थान एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी जोधपुर ने भी राजगीरा की कृषि तकनीक एवं इसकी किस्मों पर शोध कार्य किये हैं। राजगीरा एक ऐसा दाना हैं, जिसके हर क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पकवान अलग-अलग रेसीपी से खाया जाता हैं।
Bahut accha....isliye hamare food system me ye include he...
ReplyDeleteOur ancestors were very smart
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