अद्भुत गुणों से भरपूर-लाल भिंडीं

     


कुमकुम भिंडीं लाल रंग की होती हैं। आचार्य नरेन्द्र देव कृषि विश्व विद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद (उत्तरप्रदेश) के उद्यान विभाग में लाल भिंडीं की खेती पर विशेष शोध कार्य किया गया हैं। उत्तर प्रदेश में कई प्रगतिशील किसान इसकी खेती कर रहे हैं। साधारण भिंडीं की तरह ही इसका पौधा दिखता हैं और कृषि तकनीक भी वैसी ही हैं।

    कुमकुम भिंडीं की खेती बहुत आसान हैं। इसको जुन-जुलाई या जनवरी-फरवरी में बोया जाता हैं। अच्छी गुणवत्ता का बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के बनारस सेंटर इण्डियन इंस्टीटयूट ऑफ वेजीटेबल रिसर्च सेन्टर से प्राप्त कर सकते हैं। इस सेन्टर के द्वारा ‘‘काशी लालिमा‘‘ नाम की किस्म विकसित की गयी हैं। हरी भिंडीं से ज्यादा लाल भिंडीं अधिक पौष्टिक और एन्टी ऑक्सीडेंट होती हैं। इसके सेवन से डायबिटीज और हदय की बिमारी वाले लोगों को बहुत फायदा मिलता हैं। इस फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करना पड़ता हैं। ज्ञातव्य हो कि पेड़-पौधों में क्लोराफिल की वजह से जो हरा रंग होता हैं वह कीड़ों को अपनी और आकर्षित करता हैं। क्योंकि लाल भिंडीं का पौधा और फल दोनों लाल होते हैं। अतः कीड़े बहुत कम आकर्षित होते हैं।

    व्यवसायिक खेती करके किसान हरी भिंडीं की जगह लाल भिंडीं की खेती करके अपनी आमदनी को दोगुना-तिगुना कर सकता हैं। एक शोध के अनुसार हैक्टेयर जमीन में 1x3 फुट की दूरी पर इसको लगाना चाहिए। एक हैक्टेयर में करीब दो किलाग्राम बीज की आवश्यकता होगी। अन्य खर्च जैसेः- खेत की जुताई, बुवाई, सिंचाई, देशी खाद, मजदूरी आदि का खर्च उतना ही आयेगा जितना हरी भिंडीं में आता हैं। हैक्टेयर में 100 से 120 क्विंटल लाल भिंडीं की पैदावार होती हैं। किचन गार्डन के लिए यह एक उपर्युक्त सब्जी की फसल हैं। दीपावली से लेकर होली तक इसकी सब्जी पैदा नहीं होती हैं। बाकी वर्ष में आठ महीने आपको ताजी ऑर्गेनिक भिंडीं मिलती रहेगी।

    लाल भिंडीं हरी भिंडीं की तुलना में ज्यादा पौष्टिक होती हैं। डायबिटीज को कंट्रोल करने में, हदय रोग में, मोटापा कम करने में लाल भिंडीं बहुत उपयोगी हैं। इसमें विटामिन बी कॉम्पलेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं। लाल भिंडीं में विटामिन बी.9 होता हैं जो गर्भवती माताओं के लिए लाभकारी होता हैं। लाल भिंडीं में फॉलेट नाम का पोषक तत्व होता हैं जो भू्रण के मस्तिष्क के विकास में सहायक होता हैं। इस महत्त्वपूर्ण पौधे को घर-घर किचन गार्डन में स्थान देना चाहिए।

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