कम जगह में फलों का ढ़ेर ‘‘पपीता‘‘
बहुत कम जमीन में अधिकतम फलों का उत्पादन देने वाला पेड़ हैं पपीता। पपीता का पेड़ किचन गार्डन में आसानी से लगाया जा सकता हैं। इसकी कुछ बौनी प्रजातियाँ गमलों में भी उगायी जा रही हैं। वैसे तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के बागवानी शोध संस्थानों पर पपीते की नई-नई किस्में रिलीज की गयी हैं। लेकिन आजकल जो सबसे ज्यादा वैरायटी किसानो के बीच प्रचलित है, वह है ताईवान की रेडलेडी 786। इसका पौधा या बीज पूरे भारतवर्ष की नर्सरीयों में उपलब्ध हैं।
रेडलेडी 786 का पेड़ एक वर्ष के अन्दर
ही फल देना शुरू कर देता हैं। इसका गुदा लाल रंग का, फल लम्बाकार और एक पेड़ पर 40-60 किलो फल एक वर्ष में
लगते हैं। दो से तीन वर्ष तक ये पेड़ फल देता रहता हैं। उसके फल अत्यंत मीठे होते
हैं। इसके कच्चे फलो को सब्जी के रूप में भी खाया जाता हैं। गुजरात में इसके कच्चे
फलों से लच्छे बनाकर फाफड़ा और पापडी के साथ परोसा जाता हैं। कच्चे पपीते से कई फूड
प्रोसेस इण्डस्ट्रीज फूड आइटम बनाकर मार्केट में बेच रही हैं। किचन गार्डन में लगा
पपीता आपके परिवार को प्रतिदिन पेड़ का पका फल नाश्ते में मिलेगा। ऐसा फल आपको
बाजार में उपलब्ध नहीं होता हैं। ताईवान के पपीते के अलावा पूसा नन्हा, अर्का प्रभात, अर्का सूर्या, वाशिंगटन, डेलीशियस आदि कई किस्में
प्रचलन में हैं। इनके फल एक से दो किलो वजन के होते हैं।
पपीते के
बीजों को जुलाई से सितम्बर या फरवरी से मार्च में लगा देते हैं। जब पौधे 3-4 इंच हो जाये तब इनको
निश्चित दूरी पर ट्रासंप्लाट किया जाता है। सितम्बर का महीना इसकी खेती के लिए उतम
हैं। पौधा ट्रासंफर करने के नौ महीनां बाद फल देना शुरू कर देता हैं। समय-समय पर
ऑर्गेनिक खाद व समूचित सिंचाई करते रहे। इसके पौधे में शाखायें नहीं होती। ये
वर्टीकल बढ़ता हैं। तने के चारों ओर इसके फल लगते रहते हैं। पके हुए फलों को तोड़कर
प्रयोग में लेते रहें। सूखे पत्ते समय-समय पर तोड़ते रहे।
पपीता
स्वास्थ्य के लिए अत्यंत गुणकारी हैं। यह हदय रोग, डायबिटिज, कैंसर के जोखिम को कम करना, पाचन संस्थान को मजबूत करना, ब्लड प्रेशर को कम करना
आदि अनेक लाभ पहुँचाता हैं। डायबिटिज वालो के पपीता ब्लड शुगर को नियंत्रित करता
हैं। भारत में पपीता सभी प्रातों में बहुतायत से पाया जाता हैं। पपीता बालों और
त्वचा के लिए लाभप्रद होता हैं। पपीता में फाईबर, प्रोटीन, विटामिन ए विटामिन सी, विटामिन डी9, विटामिन बी1,बी3,बी5 और विटामिन ई के साथ-साथ
कार्बाहाइड्रेड भी प्रचूर मात्रा में पाया जाता हैं।
पपीते के
अंदर पपेन नामक एक एन्जाइम पाया जाता हैं। जो प्रोटीन को तोड़ने में मदद करता हैं।
अतः यह एन्टी एजिंग का काम करता हैं। हदय रोग, पाचन क्रिया, त्वचा के निखार व हड्डियों को मजबूत बनाता हैं। पपीता सवेरे
खाली पेट खाया जा सकता हैं। दूध और पपीते को एक साथ कभी नहीं लेना चाहिए। पपीता
खाने के तुरंत बाद पानी भी नहीं पीना चाहिए।
इस प्रकार
पपीता बच्चों से लेकर बूढ़ो तक सबके लिए लाभकारी फल हैं। घर के किचन गार्डन में लगाया
हुआ पपीता आपको प्रतिदिन ताजा, मीठा और ऑर्गेनिक फल देता रहेगा। पिछले कुछ दिनों में डेंगू
की बीमारी का प्रकोप बढ़ गया था। इसमें ब्लड में प्लेटलेट्स बहुत डाऊन हो जाते थे।
पपीते के पत्तो का रस पीने से प्लेटलेट्स बढ़ते हैं। मार्केट में इसके पत्तो के
ऐक्सट्रेक्ट की टेबलेट भी धड़ल्ले से बिक
रही हैं। डेंगू के दिनों में हमारे बगीचे में लगे पपीते के पत्तो को लेने के लिए
लोग दूर-दूर से आते थें। इतने फलदायी पौधे को घर में उगाना बहुत लाभप्रद हैं।
Very nice
ReplyDeleteYah papita rajashthan me success ho sakata h kya
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