शहतूत का पेड़
शहतूत का फल पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग ऋतु में पाया जाता हैं। यह बहुत ही कम टिकने वाला फल होता हैं। अतः इसका लम्बी दूरी तक ट्रांसपोर्ट करना और लम्बे समय तक सुरक्षित रखना संभव नहीं होता हैं। इसका ताजा फल ही उपयोग में लिया जा सकता हैं। शहतूत का फल हल्के हरे रंग का लम्बाकार होता हैं। जो खाने में बहुत मीठा होता हैं। काले रंग का शहतूत भी कई जगह पाया जाता हैं। जिसका स्वाद खाने में खट्ठा-मीठा होता हैं। काले शहतूत का रंग कपडे़ लग जाने पर जल्दी से छूटता नहीं हैं। दोनो प्रकार के शहतूत का वृक्ष बड़ी झाड़ी जितना होता हैं। समय-समय पर इसकी प्रूनिंग करने से तथा पतझड़ के बाद इसकी उपज ज्यादा आती हैं। एक वयस्क पेड़ पर इतने फल लग जाते हैं, कि पूरे मोहल्ले के बच्चें भरपेट खा सकते हैं। इसके फलों का सीजन एक से दो महीने तक ही रहता हैं।
इसका वृक्षारोपण पेड़ की
डाली से कटिंग लगाकर किया जा सकता हैं। कई नर्सरीयों में इसके पौधे तैयार मिलते हैं।
हरे और काले शहतूत के पत्तों में थोड़ा अंतर होता हैं। जिसे देखकर आसानी से पहचान कर
सकते हैं। अगर जगह हो तो किचन गार्डन में घर के बाहर, रोड़ साइड़ छायादार
वृक्ष के रूप में, मंदिर के बगीचे में और सार्वजनिक जगहों पर इसका वृक्षारोपण कर सकते हैं।
एक बार पेड़ लगाने के बाद यह 40-50 वर्षो के तक फल देता हैं। यह अत्यंत तीव्र
बढ़ने वाला पौधा होता हैं। जिस वर्ष इसको कटिंग से लगाते है, उसी वर्ष इसमें फल
आना शुरू हो जाता हैं।
शहतूत के फलों में विटामिन
ए और विटामिन ई भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं। इसमें एन्टीऑक्सीडेंट तत्त्व बहुतायत
में पाये जाते हैं। जो शरीर पर पड़ने वाली झुर्रियों से बचाता हैं। रक्त में थक्कों
को बनने से रोकता हैं। धमनियां के अंदर फेट को नहीं जमने देता हैं। शहतूत में भरपूर
आयरन होता हैं। जो रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन को बढ़ाता हैं। पाचन संस्थान, नेत्र
दृष्टि, डायबिटिज आदि में इसका प्रयोग किया जाता हैं। त्वचा और बालों के लिए शहतूत
बहुत उपयोगी होता हैं। क्योंकि इसमें विटामिन ए और विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता
हैं इसलिए हृदय से जुड़ी सभी समस्याओं में शहतूत लाभदायक होता हैं। शहतूत के पतों का
रस बाल धोने व त्वचा पर रगड़कर नहाने के काम आता हैं।
शहतूत के ताजे फलों से
शर्बत, जैम, जैली आदि अनेक पदार्थ बनाये जाते हैं। शहतूत की पत्तियों को सूखाकर,
उबालकर
एक प्रकार की चाय भी बनायी जाती हैं। काले शहतूत और हरे रंग के शहतूत में औषधि गुणों
में और पोषक तत्वों में समानता पायी गई हैं। काले शहतूत में विटामिन सी की अधिकता होती
हैं। इस महत्वपूर्ण पौधे को ज्यादा से ज्यादा लगाकर ग्रामीण बच्चों को कुपोषण से बचाया
जा सकता हैं, तथा पर्यावरण को भी शुद्ध किया जा सकता हैं। इसका वृक्षारोपण बहुत आसान
तो है ही साथ ही तेज गति से बढ़ने के कारण इसकी देखभाल ज्यादा समय तक नहीं करनी पड़ती
हैं।
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