कभी हँस भी लिया करो

 



        हँसना मनुष्य का स्वभाविक गुण हैं। हँसना मन का बहुत अच्छा टॉनिक हैं। हँसने से छाती, पेट और हाथों की मांसपेशियों का व्यायाम होता हैं तथा दिल, फेफड़ो एवं रक्त संचार व्यवस्था की भी कसरत होती हैं। हँसी से जीवन मे तनाव की कमी आती हैं।  खुलकर हँसने से या खुश रहने से बुर्जुग लोग हर कार्य को स्फूर्ति से करते हैं। प्रतिदिन कुछ समय हँसते रहने से मस्तिष्क में कई प्रकार के बायोकेमिकल उत्पन्न होते हैं। जिन्हे नेचुरल पीड़ाहारी बायोकेमिकल्स कहतें। 

      हँसने के महत्व को देखते हुए जगह-जगह ‘‘लाफ्टर क्लब‘‘ बने हुए हैं। उन क्लबों के द्वारा नियमित रूप से ‘‘लाफ्टर थेरेपी‘‘ का प्रशिक्षण दिया जाता हैं। यह माना जाता है कि ‘‘लाफ्टर थेरेपी‘‘ से शरीर और मन पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैं। हमारे देश में भी प्राचीन काल से हास्य योग की परम्परा रही हैं। जिसका विस्तार से वर्णन योगशास्त्रों के कई ग्रंथों में किया गया हैं।

जापानी लोग हँसने की ट्रेनिंग लेते हैं। कोई अपनी जॉब के लिए हँसना सीख रहा व कोई अपनी मानसिक शांति के लिए। जापान के क्वानों की कम्पनी ‘‘स्माइल ऐजुकेशन‘‘ की मांग पिछले वर्ष की तुलना में चार गुना बढ़ गई हैं। वहाँ के लोग 1 घंण्टे की  ट्रेनिंग के लिए 5000 रूपये तक खर्च कर रहे हैं। कोविड के बाद जापान में स्माइल टीचर्स की ड़िमाण्ड़ बढ़ गई हैं। तीन साल तक कोरोना काल में मास्क के अंदर चेहरा छुपा कर रखा गया। यही वजह है कि जापानी मुस्कुराना तक भुल गये थे।

      पहले की तरह कहीं भी, कभी भी, किसी पर भी हँस लेना अब संभव नही हैं। अब हँसने से पहले सौ बार सोचना पड़ता हैं। बात या बेबात हँसना दुनिया में अब मूर्खता समझा जाता हैं। हँसने के लिए विभिन्न प्रकार के चुटकुलों का निर्माण किया गया। जो हर भाषा में उपलब्ध हैं। कई चुटकुले तो इतने प्रसिद्ध है जो हर देश और हर भाषा में प्रचलित होते हैं।

   हँसने से ब्लड सर्कुलेशन अच्छा रहता हैं। इम्युन सिस्टम मजबूत होता हैं। योग और नेचूरोपेथी में माना जाता हैं कि हँसना स्वास्थ्य के लिए दवा से कम नहीं होता हैं। ज्यादा हँसने से हार्ट पम्पिंग रेट अच्छा  होता हैं। यदि आपका सवेरा हँसते-मुस्कुराते निकलता हैं तो आपका पूरा दिन अच्छा निकलता हैं।

   दिनभर की थकान और चिंता को आपकी हँसी दूर भगा देगी। तनाव को दूर करने की कोई दवा नहीं होती। आपकी हँसी ही उसकी औषधि हैं। हँसने से हार्मोनस नियमित रूप से निकलते रहते हैं जो बीपी को कम करते हैं। पाँच साल से कम के बच्चें दिनभर में औसत 250 से 400 बार हँसते हैं। रोमन साम्राज्य मे हँसने-हँसाने के लिए एक त्यौहार मनाया जाता हैं, जिसका नाम ‘‘इलेरिया फेस्टिवल‘‘ है। एक स्टडी के अनुसार महिलायें पुरूषों के अपेक्षा 25 से 30 प्रतिशत अधिक हँसती हैं, अतः वे कम तनाव में रहकर अच्छे तरीके से अपना काम कर पाती हैं।

Comments

  1. आपने सही कहा . बहुत अच्छी बात बताई आपने .हंसने के अनेकों फायदे हैं. कई बार हम निगेटिव हो जाते हैं. अगर कोई बार-बार निगेटिव हो रहा है तो उसके डिप्रेशन में जाने की बहुत ज्यादा संभावना हो जाती है. हंसने से हम डिस्ट्रेस होते हैं और शरीर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है. हंसने के दौरान हमारे शरीर में इंडोर्फिन हार्मोन बनता है जिससे हम पॉजिटिव फील करने लगते हैं.इस हेतु हर साल मई के पहले रविवार को वर्ल्ड लाफ्टर डे भी मनाया जाता है. आपकी जानकारी के लिए विश्व हंसी दिवस पहली बार 1998 में मुंबई में मनाया गया था जब हंसी योग आंदोलन के संस्थापक डॉ. मदन कटारिया ने उस आंदोलन के माध्यम से एक सिद्धांत प्रतिपादित किया. वहीं इस लाफ्टर योग के आगमन के साथ ही विश्व हास्य दिवस का जन्म हुआ था . सादर प्रणाम सा

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  2. True sir. Smile is indication of happy mind.

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  3. Self glorification of your awards is not enough.

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  4. Nice and effective therapy

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