ढाई आखर प्रेम का
नोबल पुरस्कार विजेता भौतिक वैज्ञानिक अल्बर्ट आईस्टिन ने अपनी बेटी को पत्र लिखा। उसमें उसने लिखा कि आज मेरी बात को ये दुनिया नहीं मानेगी। लेकिन आने वाले समय में इस सिद्धान्त को स्वीकार करने में दुनिया अवश्य ही तैयार हो सकेगी। इस पत्र में आगे बताया गया कि एक ऐसी भी शक्ति है जिसे अभी तक सांइस ने नहीं समझा है। सारी दुनिया के वैज्ञानिक लम्बे अरसे से इस खोज में लगे हैं कि वह कौनसी शक्ति हैं जो इस ब्रह्मांड को चला रही हैं। यह सबसे शक्तिशाली और भौतिक आँखों से दिखाई नहीं देने वाली ताकत जिसको हम कह सकतें है प्रेम। यह एक यूनिफाइड़ थ्योरी है क्योकि प्रेम ही प्रकाश, गुरूत्वाकर्षण, बल, ऊर्जा आदि सब कुछ है।
यह अकेली ऐसी ऊर्जा है जिस पर अभी तक
मनुष्य का नियंत्रण नहीं हैं। विश्व की दूसरी अन्य शक्तियों को बेहतर उपयोग और
नियंत्रण करने में वैज्ञानिक सफल या असफल रहा हैं। मनुष्य को खुद को प्रेम से
पोषित करना चाहिए। अभी तक विज्ञान ऐसा कोई बम नहीं बना सका हैं, जो दुनिया से नफरत, मतलबपरस्ती, लालच, गरीबी, अंधविश्वास आदि को नष्ट कर सके। वह केवल एक मात्र प्रेम ही है।
वर्तमान की सभी वैश्विक समस्याओं का कारण एकमात्र आपसी प्रेम की कमी ही हैं। अल्बर्ट आईस्टिन के ये विचार उनकी पुत्री ने उजागर किये थे। प्रेम के अतिरिक्त किसी भी समस्या का स्थायी समाधान संभव नहीं हो सकता। समस्या चाहे व्यक्तिगत हो, पारिवारिक हो, ग्रामीण स्तर की हो, या बड़ी से बड़ी अर्न्तराष्ट्रीय भी हो, सबका समाधान प्रेम से ही निकलने वाला हैं। भारतीय दर्शन में प्रेम के महत्व को बडी़ गंभीरता से वर्णित किया गया हैं। इतने बडे़ भौतिक वैज्ञानिक ने भी भारत के आध्यात्म को स्वीकार किया हैं।
Exactly True Love is a Great & Proper solution and treatment of all type of Problems and Troubles !
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