रेगिस्तान में सोना उगलती फसल : सोनामुखी
सोनामुखी से कब्ज निवारक दवाइयाँ आयुर्वेद, होमियोपेथिक, एलोपेथिक एवं यूनानी दवाइयाँ बनाई जाती है। पश्चिमी देशों मे सोनामुखी के पत्तों से हर्बल टी भी बनाई जाती है। इस महत्वपूर्ण जड़ीबूटी की खेती केवल भारत मे बड़े पेमाने पर की जाती है। भारत के कुल उत्पादन का 90 प्रतिशत उपज पश्चिमी राजस्थान मे होता है। बाकी 5 प्रतिशत गुजरात के कच्छ एवं तमिलनाडु के दो तीन जिलों मे होती है। सोनामुखी के पत्तों से कैल्सीअम सेनोसाइड एक्सट्रेक्ट किया जाता है। उससे एलोपेथिक दवाइयाँ बनती है। विश्व के सभी फार्माकोपिया मे सोनामुखी को सुरक्षित एवं ऑफिसियल ड्रग के रूप में की मान्यता दी गई है।
इस महत्वपूर्ण फसल की खेती वर्षा आधारित जल से ही की जाती है। इसको अतिरिक्त सिचाई, देसी य रासायनिक खाद, किसी प्रकार का कीटनाशक और खरपतवार नाशक की आवयशक्त नहीं होती है। इस फसल को कोई जंगली जानवर य पालतू पशु नुकसान नहीं पहुचते है। एक बार बोने के बाद इस फसल को साल मे दो या तीन बार दो तीन वर्ष तक काटा जाता है। इसकी सूखी पत्तियां एवं फलियाँ दवाई बनाने मे काम आती है। कुछ देशों मे इसके डंठल का प्रयोग भी होता है। इसकी खेती बीज को सीधा खेत मे बो कर की जाती है। एक हेक्टेयर मे आठ से दस किलो बीज की आवश्यकता होती है। एक हेक्टेयर मे एक टन उसकी पत्तियों का उत्पादन वर्ष भर मे होता है।
इस निर्यात होने वाली फसल की खेती को बढावा देने के लिए
भारत सरकार के नैशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड ने किसानों के लिए आकर्षक योजनाए भी
बनाई है। विभिन्न शोध संस्थान जेसे काज़री, आफरी, सीमेप, कृषि विश्व विध्यालयो मे इस फसल की गुणवत्ता एवं उत्पादन
बढ़ाने के लिए कई शोध कार्य हुए है। यह एक
अत्यंत लाभ देने वाली नगदी फसल के रूप मे किसानों को मिली है। जहा परती भूमि मे
कोई अन्य फसल पेदा करना संभव नहीं हो वहा पर सोनामुखी की खेती सफलता पूर्वक की जा
सकती है।
सोनामुखी पेट से संबंधित सभी बीमारियों का ईलाज है।
ReplyDeleteVery good crop for dryland farmers.
ReplyDeleteEnglish please.Many of us in South india Comprising of AP, Telengana,Orissa,Tamilnadu,Karnataka,Kerala Donot know to read & write Hindi.CRRao
ReplyDelete👏👏
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