शालीन परिधान
परिधान एवं वेशभूषा सभ्यता और संस्कृति की पहचान हैं। हमारे देश में एक समय था जब पुरूष और महिलाओं के वस्त्रों से उनकी जाति, समुदाय, परगना, प्रांत का पता चल जाता था। लोग अपनी वेशभूषा को जल्दी से नहीं छोड़ते थे। आज भी राजस्थान के कई जिलों के लोग दूर दक्षिण भारत में व्यापार करने या नौकरी करने जाते हैं। महिलायें उस प्रांत की वेशभूषा साड़ी पहन लेती हैं। साड़ी आजकल 90 प्रतिशत भारतीय महिलाओं का वस्त्र हैं। प्रवासी राजस्थानी वर्ष में तीन-चार बार अपने गाँव जरूर आते हैं। उस समय वे अपनी समुदाय की परंपरागत वेशभूषा पहनकर आती हैं। परंपरागत वेशभूषा पहनकर अपने आप को गौरवान्वित समझती हैं।
समय के साथ-साथ वेशभूषा में तीव्रगति से बदलाव आया, विशेषकर महिलाओं में। फैशन के युग में शरीर के अंग प्रदर्शित होते रहें ऐसे वस्त्रों की बनावट चल रही हैं। फैशन शो व फिल्मों में पहनी जाने वाली वेशभूषा की नकल तीव्रगति से शहरों में शुरू हुई और अब छोटे-छोटे गाँवों तक भी पहुँच गई। कपड़े ऐसे बनाये जा रहे हैं या रेडिमेड मिलते हैं, जिसमें शरीर के अंग जैसेः- पीठ, बाहें, सीना, पेट, टांगे आदि अंग अधिक से अधिक नंगे दिखाई देते हैं। हर आयुवर्ग की लड़कियों को भी माताएँ ऐसे कपड़े उपलब्ध कराती हैं, जिसे देखकर देखने वाले को शर्म आती हैं। कई सामाजिक बुराईयों का वेशभूषा से सीधा सम्बन्ध होता हैं। आये दिन अखबारों में छेड़खानी की दुर्घनाएँ पढ़ने को मिलती हैं। उसमें आजकल की वेशभूषा का बहुत बड़ा योगदान हैं।
माता-पिता चाहे तो अपने और अपने बच्चों को शालीन वस्त्र पहनाकर समाज को अच्छा संदेश दे सकते हैं। भारतीय समाजशास्त्रीयों ने बड़े सोच विचार कर विभिन्न प्रकार की वेशभूषा का निर्धारण किया था। भौगोलिक परिस्थितियाँ, जलवायु, विभिन्न पर्वों व अवसरों पर, प्रतिदिन किये जाने वाले काम के आधार पर और शरीर को स्वस्थ व सुडोल रखें। इन सारी बातों को ध्यान में रखकर किया गया था। आवश्यकता हैं पुनः वेशभूषा पर सामाजिक विद्वानों को वैचारिक मंथन करके कुछ गाईडलाईन समाज को देनी चाहिए ताकि समाज इस बुराई से मुक्त हो सके।
Really bhut achcha vishay hai aaj ke es vatavaran ke liye jo vilupt hote ja rha hai.
ReplyDeleteApne paridhan se pta chalta hai apna pehchan.
Apna Bharat Desh vivinthao ka Desh hai.
Hum apne salin poshak se apne Desh samaj aur parivar ki parampara ko darshate hai.
Very nice sir
ReplyDeleteSamay badal gaya he. Pahle sunder vastro se shrir to dhak kar shringar hota tha......ab kam kapado se.
ReplyDeleteYe bilkul accha nahi he....par new generation ko samajhana muskil he
Very nice Sir, It's the responsibility of mothers to teach daughters a proper Indian dressing sense.
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